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Sunday 10 April 2022 01:28:34 PM
ईटानगर। केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में अरुणाचल प्रदेश के पक्के बाघ अभ्यारण्य में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की 20वीं बैठक हुई, जिसमें वनमंत्री ने रिज़र्व क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों केबारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करने के निर्देश दिए। एनटीसीए की बैठक पहलीबार राष्ट्रीय राजधानी के बाहर हुई है और ये बैठकें अब दिल्ली के बाहर वन क्षेत्रों या बाघ अभ्यारण्यों में हुआ करेंगी। वनमंत्री ने कहाकि हमें देशभर में बाघ अभ्यारण्यों को बढ़ावा देना चाहिए, जहां वनों पर निर्भर लोगों की आजीविका सुनिश्चित करने के साथ-साथ अपार वनस्पतियां और जीव-जंतु हैं। वनमंत्री ने वन क्षेत्र और बाघ अभ्यारण्य के संरक्षण एवं बेहतर विकास केलिए स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि हमें विभिन्न मुद्दों से निपटने वाले वन अधिकारियों, स्थानीय ग्रामीणों, विशेषज्ञों, छात्रों, हितधारकों केसाथ बैठक करनी चाहिए।
इस अवसर पर स्थानीय लोगों ने लगभग 100 एयरगन भी प्रशासन के सम्मुख आत्मसमर्पण कीं। गौरतलब हैकि उत्तर-पूर्व राज्यों में एयरगन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल एक समस्या है। अरुणाचल प्रदेश ने मार्च 2021 में एयरगन सरेंडर अभियान शुरू किया था, जिसके अबतक अच्छे परिणाम सामने आए हैं। वनमंत्री ने बाघों के जीवन और जंगल में पूरकता केलिए मानक संचालन प्रक्रिया, बाघ अभ्यारण्यों केलिए वन अग्नि ऑडिट प्रोटोकॉल, एनटीसीए के भारत में बाघ अभ्यारण्यों के एमईई पर तकनीकी मैनुअल का विमोचन किया। उन्होंने कहाकि भारत के जंगलों में दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत बाघ रहते हैं, ये बाघ देशके विभिन्न भू-भागों में बसे हुए हैं। उन्होंने कहाकि एक ओर कुछ भू-भागों में प्राकृतिक परिवास और शिकार-आधार के अनुरूप बाघों की सघन और सुगठित आबादी है, वहीं कुछ ऐसे प्राकृतिक परिवास भी हैं, जहां विभिन्न कारणों से बाघों की संख्या अपेक्षाकृत कम तो है, लेकिन वहां बाघों की संख्या बेहतर करने की व्यापक संभावनाएं हैं, कुछ अन्य प्राकृतिक परिवास ऐसे भी हो सकते हैं जहां बाघों की संख्या लुप्त हो गई है।
वनमंत्री ने कहाकि ऐसे परिदृश्य में कभी-कभी बाघों की पुनः प्रस्तुति या उनकी मौजूदा आबादी को पूरक बनाना अनिवार्य हो जाता है, यह एक संवेदनशील और तकनीकी कार्य होने के कारण एनटीसीए ने पुन: प्रस्तुति और पूरकता के संबंध में एक मानक संचालन प्रोटोकॉल तैयार किया है। भूपेंद्र यादव ने कहाकि एसओपी में इस विषय पर उपलब्ध वैज्ञानिक ज्ञान के साथ-साथ भारत की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहाकि जहांतक जंगलों में बाघों की पुनः प्रस्तुति और पूरकता का प्रश्न है, कुछ इलाकों में बाघ ऐतिहासिक रूपसे मौजूद थे, लेकिन अब विभिन्न कारणों से विलुप्त हो रहे हैं या कम घनत्व में पाए जा रहे हैं, पर वहां बाघों की उपस्थिति को बढ़ावा देनेवाले कल्याणकारी कारक अभीभी मौजूद हैं या पर्याप्त प्रबंधन संबंधी उपायों के जरिए बाघों की संख्या को बेहतर किया जा सकता है, इसलिए एनटीसीए 'टाइगर रीइंट्रोडक्शन एंड सप्लीमेंटेशन इन वाइल्ड प्रोटोकॉल' शीर्षक वाला एक एसओपी जारी कर रहा है। भूपेंद्र यादव ने कहाकि जंगल के विविध आयामों को बनाए रखने में जंगल की आग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, आग स्वस्थ जंगलों, पोषकतत्वों के पुनर्चक्रण, पेड़ों की विभिन्न प्रजातियों को पुनर्जीवित करने, आक्रामक खरपतवारें हटाने, कुछ वन्यजीवों के प्राकृतिक परिवास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
भूपेंद्र यादव ने कहाकि कभी-कभार लगने वाली आग ईंधन के उस भार को कमकर सकती है, जो बड़ी और अपेक्षाकृत अधिक विनाशकारी आग को भड़काती है, हालांकि जैसे-जैसे आबादी और वन संसाधनों की मांग बढ़ी है, आग का चक्र संतुलन से बाहर हो गया है और थोड़े अंतराल पर बार-बार लगनेवाली ये अनियंत्रित आग वनों के क्षरण और जैवविविधता के नुकसान के प्रमुख कारणों में से एक बन गई है। उन्होंने कहाकि जंगल में आग की बढ़ती घटनाएं अब एक वैश्विक चिंता का विषय बन गई हैं, इसलिए बाघ अभ्यारण्यों के प्रबंधकों को आग से निपटने की तैयारियों का आकलन करने और जंगल में लगने वाली आग के संपूर्ण जीवनचक्र का प्रबंधन करने में मदद करने केलिए एनटीसीए ने बाघ अभ्यारण्यों के लिए फारेस्ट फायर ऑडिट प्रोटोकॉल तैयार किया है, जिसे अब जारी किया जा रहा है। वनमंत्री ने कहाकि बाघों का अस्तित्व उनके संरक्षण और प्रबंधन के प्रयासों पर निर्भर है, संरक्षण के प्रयासों की सफलता केसाथ-साथ प्रबंधन इनपुट को निर्देशित करने केलिए बाघ अभ्यारण्यों के प्रबंधन की प्रभावशीलता का आकलन करना महत्वपूर्ण है।
वनमंत्री ने कहाकि भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिन्होंने एमईई प्रक्रिया को संस्थागत रूप दिया है। उन्होंने कहाकि बाघ अभ्यारण्यों के प्रबंधन के प्रभावशीलता संबंधी मूल्यांकन के वैश्विक स्तर पर स्वीकृत ढांचे ने देशमें बाघ संरक्षण के प्रयासों का सफलतापूर्वक मूल्यांकन करने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने जानकारी दीकि बाघ अभ्यारण्य में एमईई संबंधी कवायद 2006 में शुरू की गई थी और इसके चार चक्र पूरे हो चुके हैं, तबसे अबतक इस संबंध में काफी अनुभव प्राप्त हुए हैं तथापि इस पूरी प्रक्रिया की समीक्षा तथा उसपर फिरसे गौर करने की जरूरत महसूस की गई, तदनुसार 2022 से शुरू होनेवाले एमईई संबंधी कवायद के पांचवें चक्र केलिए एमईई के मानदंडों की समीक्षा और उसपर फिरसे गौर करने केलिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने एक समिति गठित की है, जिसके पीछे देशके विविध बाघ अभ्यारण्यों के विश्लेषण में समानता लाने और मूल्यांकनकर्ताओं का आगामी वित्तीय वर्ष के आकलनों के संदर्भ में मार्गदर्शन करने का इरादा था। समिति के सुझावों के आधार पर एनटीसीए ने भारत में बाघ अभ्यारण्यों के प्रबंधन का प्रभावशीलता संबंधी मूल्यांकन केबारे में एक तकनीकी मैनुअल जारी किया है।