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Monday 11 April 2022 01:03:55 PM
गुवाहाटी। केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने कहाकि केंद्र सरकार पूरे उत्तर-पूर्व क्षेत्र में आगनवाड़ियों और वन-स्टॉप सेंटरों को भौगोलिक एवं लॉजिस्टिक चुनौतियों के द्रुत समाधान केलिए सक्रिय सहयोग दे रही है और महिलाओं एवं बच्चों में पोषणस्थिति में सुधार लाना जनआंदोलन बन चुका है। स्मृति इरानी ने गुवाहाटी में उत्तर-पूर्व क्षेत्र की राज्य सरकारों और हितधारकों के ज़ोनल सम्मेलन में मंत्रालय के पोषण अभियान और पहलों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहाकि महिला स्वास्थ्य और बाल पोषण जैसे मुद्दों का समाधान हितधारकों के सहयोग तथा समर्थन सेही संभव हुआ है। वन-स्टॉप सेंटरों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहाकि वन-स्टॉप क्राइसेस सेंटर केलिए समवेत प्रयास हो रहे हैं, जहां सरकार के विभिन्न अंग एकसाथ मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैंकि पुलिस, मनो-सामाजिक काउंसलर, कानूनी सलाहकार और बाकी सभी लोग एक छतके नीचे काम करें।
महिला और बाल विकास मंत्री ने कहाकि देशभर की महिला हेल्पलाइनों के सहयोग से पिछले तीन वर्ष में 70 लाख महिलाओं को राज्य सरकारों तथा केंद्र सरकार से मदद मिली है। उन्होंने बतायाकि इस तरह के 300 और केंद्र खोले जाएंगे। स्मृति इरानी ने बतायाकि जन-धन योजना से लगभग 25 करोड़ महिलाओं को लाभ पहुंचा है, मुद्रा योजना में 68 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं और स्टैंडअप इंडिया में 80 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। महिला और बाल विकास राज्यमंत्री डॉ मुंजपरा महेंद्रभाई कालूभाई ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तीन प्रमुख सर्वसमावेशी योजनाओं का उल्लेख किया-मिशन पोषण, मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य। उन्होंने कहाकि सरकार विभिन्न योजनाओं केजरिए महिला सशक्तिकरण पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहाकि ज़ोनल सम्मेलनों का लक्ष्य हैकि राज्य सरकारों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को मंत्रालय सर्वसमावेशी मिशनों केप्रति संवेदनशील बनाना, ताकि अगले पांच वर्ष में योजनाओं का समुचित क्रियांवयन हो सके।
असम सरकार की वित्तीय और सामाजिक कल्याण मंत्री अजंता नियोग ने भी बच्चों और महिलाओं केलिए असम राज्य सरकार के किएगए प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहाकि असम सरकार राज्य में महिलाओं और बच्चों के विकास केलिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहाकि भारत की आबादी में महिलाएं और बच्चे 67.7 प्रतिशत हैं, इनके सशक्तिकरण, सुरक्षा और सुरक्षित वातावरण में विकास सुनिश्चित करना देशके सतत और समतावादी विकास तथा आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन का स्वरूप बदलने केलिए अति महत्वपूर्ण है। अजंता नियोग ने कहाकि इस लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल में मंत्रालय की तीन सर्वसमावेशी योजनाओं को अभियान के तौरपर क्रियांवित करने का निर्णय किया है, ये तीन मिशन हैं-मिशन पोषण 2.0, मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य, ये मिशन 15वें वित्त आयोग अवधि 2021-22 से 2025-26 के दौरान कार्यांवित किए जाएंगे।
अजंता नियोग ने कहाकि सर्वसमावेशी योजनाओं केतहत केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं आती हैं, जिन्हें राज्य सरकारें एवं केंद्रशासित प्रदेश साझा लागत नियमों के अनुसार प्रायोजित करते हैं। गौरतलब हैकि महिला और बाल कल्याण मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य हैकि महिलाओं और बच्चों केलिए राज्यों की कार्रवाई के अंतराल को कम करना तथा अंतर-मंत्रालयी और अंतर-क्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देना, ताकि लैंगिक समानता स्थापित हो, बच्चों को केंद्र में रखकर कानून बन सकें, नीति निर्माण हो सके तथा ऐसे कार्यक्रम तैयार हो सकें, जहां महिलाओं तथा बच्चों को वह माहौल मिले, जो उनके लिए सुगम, वहनीय, भरोसेमंद, हर तरह के भेदभाव एवं हिंसा से मुक्त हो। इस दिशा में मंत्रालय उद्देश्यों की पूर्ति केलिए राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के समर्थन का आकांक्षी है, जिनपर मैदानी स्तर पर योजनाओं को चलाने की जिम्मेदारी है। सम्मेलन में असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम और नगालैंड के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।