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Saturday 16 April 2022 11:24:37 AM
अयोध्या। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु पत्नी उषा नायडु केसाथ ऐतिहासिक नगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि में भगवान श्रीराम के दर्शन किए और प्रसिद्ध संकटमोचक हनुमान गढ़ी मंदिर में पूजा-अर्चना की। उपराष्ट्रपति ने श्रीराम जन्मभूमि स्थल का दौरा किया। उपराष्ट्रपति के सम्मुख श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के सदस्यों ने श्रीराम मंदिर के 3-डी मॉडल को प्रदर्शित करने वाली एक लघु फिल्म के माध्यम से विस्तृत प्रस्तुति भी दी, इसके बाद उपराष्ट्रपति ने निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर के गर्भगृह स्थल पर पूजा-अर्चना की। श्रीराम जन्मभूमि की दर्शक पुस्तिका में उन्होंने लिखाकि श्रीराम जन्मभूमि का दर्शन करके धन्य हो गया, भगवान श्रीराम हमारी संस्कृति, मूल्यों और गौरवशाली इतिहास के प्रतीक हैं। उन्होंने लिखाकि मर्यादा पुरुषोत्तम के जीवन से भारतीयों को हमेशा प्रेरणा मिली है, उनको सच्चा मार्गदर्शन मिला है, अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण भारत में आध्यात्मिक पुनर्जागरण है और विश्वास हैकि यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करने और उन्हें सच्चाई, न्याय तथा भाईचारे का मार्ग दिखाने केलिए प्रेरित करता रहेगा।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने हनुमान गढ़ी मंदिर में पूजा-अर्चना केबाद कहाकि ऐसा माना जाता हैकि श्रीराम के लंका से लौटने केबाद भगवान हनुमान ने इसी स्थान से अयोध्या की रक्षा की थी। उपराष्ट्रपति गणमान्य व्यक्तियों केसाथ पवित्र सरयू नदी तटपर गए और इस प्राचीन नदी की पूजा की, जो भगवान श्रीराम के जीवन से अभिन्न रूपसे जुड़ी हुई है। अयोध्या से लौटने पर उपराष्ट्रपति ने श्रीराम की नगरी में अपने गहन भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव को साझा करते हुए एक फेसबुक पोस्ट भी डाली, जिसमें उन्होंने लिखा हैकि मेरा अयोध्या जाना और श्रीराम जन्मभूमि का दर्शन एक लंबे समय से संजोए स्वप्न का पूरा होना था, जिसे मै अपने करोड़ों देशवासियों के साथ साझा करता हूं। उन्होंने लिखाकि यह मुझे हमारी महान आध्यात्मिक जड़ों और हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने वाला एक तीर्थस्थल है। उन्होंने लिखाकि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण और रामराज्य के सिद्धांतों केप्रति हमारी नवीनीकृत प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो लोकतांत्रिक और धार्मिक शासन का एक दृश्य है, जो सभी केलिए शांति, न्याय और समानता सुनिश्चित करता है।
वेंकैया नायडु ने लिखाकि प्रभु श्रीराम भारतीय संस्कृति के अवतार, भारतीयता के प्राचीन प्रतीक हैं, वह आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श मित्र दूसरे शब्दों में एक आदर्श मनुष्य हैं, उनमें सदियों से हमने भारत में उनसभी बेहतरीन गुणों का सम्मान किया है, जो एक इंसान में होने की इच्छा कर सकता है, इसीलिए महाविष्णु के अवतार भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। उपराष्ट्रपति ने अपने उद्गारों में कहा हैकि रामायण के संदेश का सार्वभौमिक महत्व है और भौगोलिक सीमाओं को पार करता है, इस कालातीत महाकाव्य के विभिन्न अनुकूलन थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, कंबोडिया और लाओस जैसे विभिन्न दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में काफी लोकप्रिय हैं, भगवान श्रीराम और देवी सीता की कथा इन राष्ट्रों के सांस्कृतिक परिदृश्य का अभिन्न अंग बन चुकी है। उन्होंने कहाकि भारत में रामायण एक सबसे महत्वपूर्ण धर्मग्रंथ है, एक इतिहास है, जिसकी शिक्षाओं ने भारत में लोगों के जीवन और विचारों को गहरा प्रभावित किया है, यह हमारी महान सभ्यता का जीवनरक्त है और सदियों से हमारी सामूहिक चेतना का एक हिस्सा रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि रामायण में दर्शाया गया हैकि भगवान श्रीराम का जीवन सत्य, करुणा, न्याय, समावेश और बड़ों के सम्मान के गुणों को व्यक्त करता है, ऋषि वाल्मीकि उन्हें रामो विग्रहवन धर्मः यानी राम धर्म अवतार या धर्म आचरण का अवतार है। उन्होंने कहाकि सहस्राब्दियों में भगवान श्रीराम भारतीय मूल्य प्रणाली के पर्याय रहे हैं, यही कारण हैकि महात्मा गांधी ने अपने सुशासन और न्यायपूर्ण समाज की अवधारणा का वर्णन करने केलिए रामराज्य का रूपक चुना। उन्होंने कहाकि अयोध्या संस्कृत में 'अजेय' का अर्थ है, कम से कम ढाई सहस्राब्दी का समृद्ध और गौरवशाली अतीत। उन्होंने कहाकि पवित्र सरयू नदी के तटपर यह शहर प्राचीन कौशल साम्राज्य की राजधानी था, भगवान श्रीराम की जन्मस्थली होने के कारण अवधपुरी को हिंदुओं के सात सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों मेसे प्रथम एक माना जाता है, यह साकेत के नामसे भी जाना जाता है, यह शहर बौद्ध और जैन परंपराओं मेभी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
उन्होंने कहाकि माना जाता हैकि गौतम बुद्ध कईबार अयोध्या गए थे और कहा जाता हैकि उनके ‘फेना सुत्ता’ की रचना यहां हुई थी, इसी तरह विमलसुरी का पौमाचारियम रामायण का जैन संस्करण रामायण के पात्रों को जैन विचार और दर्शन केसाथ जोड़ता है, यह अधिकांश खातों से अयोध्या मौर्य, गुप्त और बादकी अवधि में एक महत्वपूर्ण आर्थिक और आध्यात्मिक केंद्र है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 अगस्त 2020 को आधारशिला रखने केसाथ श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर पुनर्निर्माण कार्य आगे बढ़ रहा है, खुशी हुईकि आईआईटी, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, एलएंडटी कंस्ट्रक्शन्स और टाटा कंसल्टेंसी इंजीनियरिंग लिमिटेड सहित विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञ इस ऐतिहासिक मिशन की देखरेख और निर्माण करने वाली एक बड़ी टीम का हिस्सा हैं। गौरतलब हैकि श्रीराम जन्मभूमि गर्भगृह को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा हैकि हर रामनवमी को राम लल्ला के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी। उन्होंने कहाकि मैं भगवान श्रीराम के जन्मस्थान पर खड़े होकर शक्तिशाली भावनाओं से अभिभूत हो गया, क्योंकि मैंने अपने मन के कैनवास पर प्रभु श्रीराम के जीवन के कई दृश्य चित्रित किए, सरयू नदी के तटपर मेरा चलना एक असाधारण भावनात्मक अनुभव बना, ऐतिहासिक और पवित्र मार्ग पर चलकर मै बहुत धन्य महसूस कर रहा हूं, रिवर फ्रंट को एक उल्लेखनीय भक्ति माहौल केसाथ सबसे सौंदर्यपूर्ण ढंग से बनाया गया है।
उपराष्ट्रपति ने यहां का मनोरम वर्णन करते हुए कहाकि श्रीराम मंदिर के भव्य निर्माण के कार्य केलिए भारत सरकार द्वारा स्थापित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट आभार एवं प्रशंसा का पात्र है। उन्होंने कहाकि निकट केही मिर्जापुर जिले के पत्थरों को दक्षिणी भारत से प्लिंथ पत्थर और ग्रेनाइट पत्थर के रूपमें इस्तेमाल किया गया है और राजस्थान से प्रसिद्ध मकराना संगमरमर मुख्य मंदिर संरचना केलिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि मुझे बताया गया हैकि मंदिर के स्थायित्व और सौंदर्यशास्त्र को बढ़ाने केलिए निर्माण में पत्थर इंटरलॉकिंग तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है और सीता कुप और कुबेर टीला की विरासत संरचनाओं को उनके मूल में संरक्षित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहाकि यह काबिले तारीफ हैकि 70 एकड़ परिसर में श्रद्धालुओं केलिए सुविधा केंद्र, संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र, गौशाला और योग केंद्र सहित कई सुविधाएं भी होंगी, आयताकार सीमा दीवार के चारों कोनों पर चार छोटे मंदिर भी दृष्टिगोचर किए गए हैं। उन्होंने कहाकि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का पुनर्निर्माण भारत के सांस्कृतिक इतिहास में एक उच्च बिंदु ही नहीं है, बल्कि यह अयोध्या और पासके क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था और विकास में एक नया चरण भी है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि आध्यात्मिक पर्यटन भारत में एक प्रमुख रोज़गार जनरेटर है और अयोध्या राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भक्तों केलिए पसंदीदा गंतव्य है, यहां पर्यटक प्रवाह की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने केलिए केंद्र और राज्य सरकार ने कई बुनियादी ढांचात्मक कार्य शुरू किए हैं। उन्होंने कहाकि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहा है और अयोध्या रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास भी चल रहा है, निजी क्षेत्र होटल, चिकित्सा क्षेत्र और खाद्य श्रृंखलाओं में भी निवेश कर रहा है, रामनगरी अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त करने के लिए चल रही है। उन्होंने कहाकि आइए रामायण के सार्वभौमिक संदेश को समझें और फैलाएं और इसके समृद्ध आधार पर अपने जीवन को समृद्ध बनाएं। उपराष्ट्रपति केसाथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी थे। उपराष्ट्रपति एक विशेष ट्रेन से अयोध्या पहुंचे। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने अयोध्या रेलवे स्टेशन पर उनका स्वागत किया।