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Saturday 16 April 2022 12:45:18 PM
नई दिल्ली। जम्मू विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रोफेसर उमेश राय ने केंद्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी, प्रधानमंत्री कार्यालय एवं कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और डॉ जितेंद्र सिंह की पहल पर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए छात्रों से संबंधित विभिन्न नए स्टार्टअप, परियोजनाओं, छात्रवृत्ति, फेलोशिप में विश्वविद्यालय के छात्रों को शामिल करके विज्ञान पाठ्यक्रम के एकीकरण की मांग की है। कुलपति के रूपमें पदभार ग्रहण करने केबाद डॉ जितेंद्र सिंह केसाथ अपनी पहली बैठक में प्रोफेसर उमेश राय ने कहाकि वह डॉ जितेंद्र सिंह के सक्रिय और उनके लीकसे हटकर दृष्टिकोण का काफी बारीकी से पालन कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कुछ अपरंपरागत निर्णय लिए थे, मसलन सभी मंत्रालयों और विभागों को एक छतरी के नीचे एकीकृत करना। प्रोफेसर उमेश राय अपना वर्तमान कार्यभार संभालने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे।
प्रोफेसर उमेश राय ने कहाकि वह विज्ञान से संबंधित सात विभिन्न विभागों और मंत्रालयों अर्थात विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, पृथ्वी विज्ञान, भारत मौसम विज्ञान विभाग, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष की संयुक्त बैठकें आयोजित करने के डॉ जितेंद्र सिंह के निर्णय से विशेष रूपसे प्रभावित थे, उनके इस एकीकरण से अनुसंधान परियोजनाओं में न्यूनतम अतिच्छादन या संसाधनों की बर्बादी रुकने केसाथ बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं। कुलपति ने डॉ जितेंद्र सिंह से मंत्रालय में उनके मार्गदर्शन में शुरू की गई भविष्य की कुछ विज्ञान परियोजनाओं में जम्मू विश्वविद्यालय के छात्रों को शामिल करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहाकि इससे आस-पास क्षेत्र में छात्रों का बेहतर प्रदर्शन हो पाएगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि उन्हें खुशी हैकि कुलपति प्रोफेसर उमेश राय खुद एक एकीकृत दृष्टिकोण के प्रस्ताव केसाथ आए हैं, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वह भारत सरकार में बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि उन्होंने विभागों को अलग-अलग परियोजनाओं केसाथ नहीं आने केलिए कहा है, लेकिन जिन परियोजनाओं को विषयों पर आधारित होनी चाहिए और विषयों के अनुसार विभिन्न संबंधित विभाग और मंत्रालय एक समान एजेंडा केलिए एकजुट हो सकते हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि विश्वविद्यालय में अनुसंधान को स्टार्टअप्स के साथ जोड़ा जाना चाहिए और स्टार्टअप्स को टिकाऊ बनाने केलिए न केवल अकादमिक धाराओं को एकसाथ आने की जरूरत है, बल्कि उद्योग को भी संसाधनों के समान निवेश के साथ समान हितधारक बनाने की आवश्यकता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कुलपति को बतायाकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विभिन्न कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों केलिए एक मेंटरशिप कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें एक शिक्षक एक संभावित विद्वान का प्रभार ले सकता है और फिर उसे आजीविका से जुड़ी स्थायी स्टार्टअप गतिविधि केलिए तैयार कर सकता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि शिक्षा में प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप इस पीढ़ी के छात्रों केलिए एक वरदान है और उन्होंने प्रोफेसर उमेश राय से शिक्षकों को पूरीतरह से उन छात्रों केसाथ तालमेल रखने केलिए कहा जो सूचना, मार्ग, साधन और प्रतिभा की पहुंच के कारण बहुत तेजीसे आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहाकि आज शिक्षाविदों की जिम्मेदारी एक डिग्री प्रदान करने की नहीं है, बल्कि जीवनयापन को आसान बनाने केलिए सिखाने की है, जो तभी हो सकता है, जब युवा सरकारी नौकरी की रट लगाने के बजाय अपने लिए आजीविका का एक स्थायी स्टार्ट-अप स्रोत खोजने में सक्षम हो। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि जम्मू तेजीसे उत्तर भारत के शिक्षा केंद्र के रूपमें उभर रहा है। उन्होंने जम्मू के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय जनसंचार संस्थान, एम्स, भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान, भद्रवाह में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई अल्टीट्यूड मेडिसिन, कठुआ में औद्योगिक बायोटेक पार्क और जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में उत्तर भारत के पहले अंतरिक्ष केंद्र केबीच व्यापक एकीकरण की अपील की। इस मौके पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी चर्चा की गई।