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Saturday 16 April 2022 06:20:35 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री संग्रहालय के विकास में प्रसार भारती अभिलेखागार की उल्लेखनीय भूमिका की सराहना करते हुए कहा हैकि महान राष्ट्रीयकार्य में योगदान देना प्रशंसनीय है और एक सम्मान की बात है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार डॉ भीमराव आंबेडकर की 131वीं जयंती पर 14 अप्रैल को प्रसार भारती अभिलेखागार ने प्रधानमंत्री संग्रहालय को जीवंत कर दिया है, यह संग्रहालय देशमें अबतक हुए सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान केबारे में नागरिकों में जागरुकता पैदा करने केलिए समर्पित है, प्रसार भारती अभिलेखागार ने ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व की दुर्लभ सामग्री के खजाने के रूपमें लगभग 206 घंटे ऑडियो और 53 घंटे की वीडियो सामग्री प्रदान करके अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इसमें संविधान सभा को संबोधन (ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी), प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र केनाम प्रसारण, शपथ-ग्रहण समारोह, परमाणु ऊर्जा संस्थापना का उद्घाटन और प्रथम परमाणु रिएक्टर की शुरुआत, आपातकाल की घोषणा, संयुक्तराष्ट्र महासभा, गुटनिरपेक्ष सम्मेलन को संबोधन, दिल्ली मेट्रो का उद्घाटन आदि अनेक संबोधन शामिल हैं। उन्होंने कहाकि लोक प्रसारक केपास 1940 के दशक से विशेष रूपसे उपलब्ध इन अनमोल रिकॉर्डिंग को प्रसार भारती ने जनहित में संरक्षित और डिजिटाइज किया था। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री संग्रहालय आनेवाली पीढ़ियों केलिए एक महान ज्ञानकेंद्र होगा, क्योंकि यह भारत केसभी प्रधानमंत्रियों के जीवन और योगदान को प्रदर्शित करेगा। उन्होंने कहाकि यह संग्रहालय 10,000 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रमें फैला है, इसमें भारत केसभी प्रधानमंत्रियों से संबंधित प्रदर्श रखे गए हैं, जिनमें दुर्लभ तस्वीरें, भाषण, वीडियो क्लिप, समाचार पत्र की कतरनें, साक्षात्कार और मूल लेखन शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह संग्रहालय वर्चुअल रियलिटी, ऑगमेंटेड रियलिटी और इंटरैक्टिव स्क्रीन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से आकर्षक तरीके से जानकारी प्रदान करता है। उन्होंने कहाकि ऐसी और दुर्लभ और ऐतिहासिक सामग्री प्रसार भारती आर्काइव्स यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है, आर्काइव्स यूट्यूब चैनल तक पहुंचने केलिए क्यूआर कोड को स्कैन करें। प्रसार भारती अभिलेखागार में उपलब्ध ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व की दुर्लभ ऑडियो-वीडियो सामग्री मेसे यहां 1930 से 2000 के दशक तक इस तरह की सामग्री की दशक-वार यूट्यूब प्लेलिस्ट हैं।