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Friday 10 May 2013 09:04:05 AM
नई दिल्ली। आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने जहाजरानी मंत्रालय के प्रस्तावों को स्वीकृति दी है। सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के जरिए पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप में एक नई बंदरगाह बनाई जाएगी, इसके लिए पर्यावरण अनुमति सहित परियोजना मूल्य निर्धारण, अनुमोदन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। परियोजना के आबंटन के लिए कारोबारी सलाहकारों और कानूनी परामर्शदाताओं की नियुक्ति और नीलामी प्रक्रिया शुरू करने तथा पश्चिम बंगाल की सरकार और योजना आयोग की सलाह से परियोजना की संरचना को अंतिम रूप दिया जाएगा। दुगराजपतनम में नई प्रमुख बंदरगाह के लिए तकनीकी आर्थिक संभाव्यता रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
परियोजना संरचना और कार्यांवयन संबंधी अन्य मामलों के बारे में निर्णय लेने के लिए जहाजरानी मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति गठित की जाएगी। इस समिति में आर्थिक मामले विभाग के सचिव, योजना आयोग के सचिव, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव तथा कानूनी मामले विभाग के सचिव शामिल होंगे।
प्रमुख बंदरगाहों की स्थापना के लाभ-पश्चिम बंगाल में सागर बंदरगाह कोलकाता और हल्दिया की मौजूदा बंदरगाहें कम गहरी हैं। वर्तमान प्रस्ताव के अनुसार सागर द्वीप में गहरे पानी की व्यवस्था करना है, जिससे भारी रख-रखाव की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी और बंदरगाह में बड़े आकार के जहाज खड़े हो सकेंगे। आंध्र प्रदेश में प्रमुख बंदरगाह-विशाखापटनम बंदरगाह के हिंटरलैंड में तेजी से हुए औद्योगीकरण ने आंध्र प्रदेश में एक अन्य प्रमुख बंदरगाह बनाना अनिवार्य कर दिया है। नई प्रमुख बंदरगाह के बन जाने से आंध्र प्रदेश और आस-पास के क्षेत्रों के आर्थिक विकास में तेजी आएगी।