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Wednesday 20 April 2022 02:40:55 PM
जामनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जामनगर में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंदकुमार जगन्नाथ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस घेब्रेयसस की उपस्थिति में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की आधारशिला रखी। जीसीटीएम दुनियाभर में पारंपरिक चिकित्सा केलिए पहला और एकमात्र वैश्विक आउटपोस्ट केंद्र होगा, यह वैश्विक कल्याण के अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के रूपमें उभरेगा। इस अवसर पर बांग्लादेश, भूटान, नेपाल के प्रधानमंत्रियों और मालदीव के राष्ट्रपति के वीडियो संदेश चलाए गए। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री डॉ मनसुख मांडविया, सर्बानंद सोनोवाल, मुंजपारा महेंद्रभाई और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल उपस्थित थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस घेब्रेयसस ने जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना में सहयोग करनेमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्वकारी भूमिका केलिए उनको धन्यवाद दिया। उन्होंने इस सेंटर को वास्तव में एक वैश्विक परियोजना करार दिया, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 107 सदस्य देशों के अपने देश विशिष्ट सरकारी कार्यालय हैं, जिसका अर्थ हैकि दुनिया पारंपरिक चिकित्सा में नेतृत्व केलिए भारत आएगी। उन्होंने कहाकि पारंपरिक दवाओं के उत्पाद विश्वस्तर पर प्रचुर मात्रा में हैं और केंद्र पारंपरिक चिकित्सा के वादे को पूरा करने में एक लंबा सफर तय करेगा। दुनिया केलिए पारंपरिक चिकित्सा, उपचार का पहला चरण है। उन्होंने कहाकि नया केंद्र डेटा, नवाचार और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करेगा और पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग का अनुकूलन करेगा। टेड्रोस घेब्रेयसस ने कहाकि केंद्र के पांच मुख्य क्षेत्रों में अनुसंधान एवं नेतृत्व, साक्ष्य एवं शिक्षा, डेटा एवं विश्लेषण, स्थायित्व एवं समानता तथा नवाचार एवं प्रौद्योगिकी शामिल होंगे।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने विभिन्न संस्कृतियों में स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली और हर्बल उत्पादों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि केंद्र की स्थापना केलिए इससे अधिक उपयुक्त समय नहीं हो सकता। उन्होंने केंद्र की स्थापना में नेतृत्व संभालने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत योगदान के बारेमें बताया। प्रविंदकुमार जगन्नाथ ने कहाकि हम इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत सरकार और भारतीय लोगों के बहुत आभारी हैं। उन्होंने 1989 से मॉरीशस में आयुर्वेद को विधायी मान्यता दिए जाने के बारेमें भी जानकारी दी। उन्होंने जामनगर में आयुर्वेदिक चिकित्सा का अध्ययन करने केलिए मॉरीशस के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने केलिए गुजरात को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने डॉ टेड्रोस घेब्रेयसस के भारत केसाथ जुड़ाव और डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की परियोजना में उनकी व्यक्तिगत भागीदारी पर कहाकि उनका स्नेह डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के साकार होने से प्रकट हुआ है। प्रधानमंत्री ने महानिदेशक को आश्वासन दियाकि भारत उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंदकुमार जगन्नाथ और उनके परिवार केसाथ तीन दशक लंबे जुड़ाव पर भी प्रकाश डाला और उनकी बातों एवं उनकी उपस्थिति केलिए उन्हें धन्यवाद दिया। नरेंद्र मोदी ने उन देशों के नेताओं को भी धन्यवाद दिया, जिनके वीडियो संदेश चलाए गए। प्रधानमंत्री ने कहाकि ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्रमें भारत के योगदान और क्षमता के सम्मान का प्रतीक है-डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन। उन्होंने घोषणा कीकि भारत इस साझेदारी को पूरी मानवता की सेवा की एक बड़ी जिम्मेदारी के रूपमें लेता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन केसाथ वेलनेस के क्षेत्र में जामनगर के योगदानों को वैश्विक पहचान मिलेगी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि पांच दशक से भी अधिक समय पहले जामनगर में विश्व की पहली आयुर्वेद यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी, यहां एक बेहतरीन आयुर्वेद संस्थान-इंस्टीट्यूट ऑफ टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद है। प्रधानमंत्री ने जोर दियाकि हमारा अंतिम लक्ष्य अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करना होना चाहिए, रोगमुक्त रहना जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है, लेकिन अंतिम लक्ष्य स्वस्थ होना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि दुनिया आज स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने के नए आयाम खोज रही है, खुशी हैकि 'वन प्लानेट आवर हेल्थ' का नारा देकर डब्ल्यूएचओ ने 'एक धरती, एक स्वास्थ्य' के भारत के विजन को आगे बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं है, यह जीवन का समग्र विज्ञान है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आयुर्वेद उपचार और इलाज से भी बढ़कर है, आयुर्वेद में उपचार और उपचार के अलावा सामाजिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य-प्रसन्नता, पर्यावरणीय स्वास्थ्य, सहानुभूति, करुणा और उत्पादकता शामिल हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आयुर्वेद को जीवन के ज्ञान के रूपमें लिया गया है और इसे पांचवां वेद माना गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अच्छे स्वास्थ्य का सीधा संबंध संतुलित आहार से है। उन्होंने बतायाकि हमारे पूर्वज आहार को आधा इलाज मानते थे और हमारी चिकित्सा प्रणाली आहार संबंधी सलाह से परिपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह भारत केलिए बहुत गर्व की बात हैकि संयुक्तराष्ट्र द्वारा 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूपमें चुना गया है। उन्होंने कहाकि यह कदम मानवता केलिए लाभदायक साबित होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि विश्वस्तर पर आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी नुस्खों की बढ़ती मांग केबारे में कई देश महामारी से निपटने केलिए पारंपरिक चिकित्सा पर जोर दे रहे हैं, इसी तरह योग दुनियाभर में लोकप्रियता हासिल कर रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि योग मधुमेह, मोटापा और अवसाद जैसी बीमारियों से लड़ने में बेहद उपयोगी साबित हो रहा है, योग मानसिक तनाव को कम करने तथा मन-शरीर एवं चेतना में संतुलन खोजने में भी लोगों की मदद कर रहा है। प्रधानमंत्री ने नए केंद्र केलिए पांच लक्ष्य निर्धारित किए इनमें पहला लक्ष्य है-प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए पारंपरिक ज्ञान प्रणाली का डेटाबेस बनाना, दूसरा-जीसीटीएम पारंपरिक दवाओं के परीक्षण और प्रमाणन केलिए अंतरराष्ट्रीय मानक बना सकता है, ताकि इन दवाओं में विश्वास बढ़े, तीसरा-जीसीटीएम को एक ऐसे मंच के रूपमें विकसित किया जाएगा, जहां पारंपरिक दवाओं के वैश्विक विशेषज्ञ एकसाथ अनुभव साझा करें। उन्होंने केंद्र से एक वार्षिक पारंपरिक चिकित्सा उत्सव की संभावना तलाशने को भी कहा। चौथा जीसीटीएम को पारंपरिक दवाओं के क्षेत्र में अनुसंधान केलिए धन जुटाना चाहिए, जीसीटीएम को विशिष्ट रोगों के समग्र उपचार केलिए प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए।