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Wednesday 20 April 2022 05:56:33 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने आम जनता के हितों की रक्षा केलिए निधि नियम-2014 में संशोधन किया है, जिसमें नया प्रावधान किया गया हैकि निधियों के रूपमें कार्य करने की इच्छुक सार्वजनिक कंपनियों को जमा स्वीकार करने से पहले केंद्र सरकार से पूर्व घोषणा प्राप्त करनी होगी। कम्पनी कानून-1956 केतहत एक निधि या म्यूचुअल बेनेफिट सोसाइटी का अर्थ एक ऐसी कंपनी है, जिसे केंद्र सरकार ने अधिसूचना द्वारा आधिकारिक राजपत्र में निधि या म्यूचुअल बेनिफिट सोसाइटी के रूपमें घोषित किया है। कम्पनी कानून-2013 के तहत शुरूमें किसी कम्पनी को निधि कम्पनी के रूपमें कार्य करने केलिए केंद्र सरकार से घोषणा प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं होती थी, ऐसी कम्पनियों को केवल निधि के रूपमें शामिल करना आवश्यक होता था और निधि नियमावली के नियम 5 के उप-नियम (1) केतहत आवश्यकताएं पूरी करनी होती थीं जैसेकि 200 की न्यूनतम सदस्यता, 10 लाख रुपये की शुद्ध स्वामित्व वाली निधि, एनओएफ को 1:20 के अनुपात में जमा करना होता था और निधि नियम-2014 के प्रारंभ होने के एक वर्षके भीतर 10 प्रतिशतभार मुक्त जमाराशि नियत वाणिज्यिक बैंकों या डाकघरों में जमा करनी होती थी।
कम्पनी कानून-2013 के कार्यांवयन से उत्पन्न मुद्दों पर सिफारिशें करने केलिए मंत्रालय में एक समिति गठित की गई थी और अन्य बातों के साथ यह महसूस किया गयाकि निधि के रूपमें घोषणा केलिए केंद्र सरकार की मंजूरी केलिए आवश्यक कम्पनी कानून-1956 तहत पूर्व में किएगए प्रावधान उपयुक्त हैं, क्योंकि वे ऐसी संस्थाओं के नियमन केलिए एक केंद्रीकृत और अधिक प्रतिबंधात्मक ढांचा प्रदान करते हैं और कम्पनी कानून-2013 की धारा 406 में 15 अगस्त 2019 से संशोधन किया गया, ताकि केंद्र सरकार द्वारा निधि के रूपमें घोषणा की आवश्यकता को वापस लाया जा सके। इस संशोधन केबाद निधियों के रूपमें शामिल की गई कम्पनियों केलिए यह अनिवार्य थाकि वे शामिल होने के 14 महीने के भीतर घोषणा केलिए फॉर्म एनडीएच-4 में केंद्र सरकार को आवेदन करें, यदि उन्हें निधि (संशोधन) नियमों के 15 अगस्त 2019 से प्रभावी होने केबाद और निधि (संशोधन) नियमों के लागू होने के 9 महीने के भीतर 2014 केबाद, लेकिन 15 अगस्त 2019 से पहले निधि के रूपमें शामिल किया जाता है।
कम्पनी कानून 1956 केतहत लगभग 390 कम्पनियों को केवल निधि कम्पनी घोषित किया गया था। दस हजार से अधिक कम्पनियों को 2014-2019 केदौरानशामिल किया गया, हालांकि घोषणा केलिए केवल 2,300 कंपनियों ने एनडीएच-4 फॉर्म में आवेदन किया था। फॉर्म एनडीएच-4 की जांच से पता चला हैकि कम्पनियां कानून और निधि नियम-2014 (संशोधित) के लागू प्रावधानों का पालन नहीं कर रही हैं। आम जनता के हितों की रक्षा केलिए यह अनिवार्य हो गया है कि इसका सदस्य बनने से पहले किसी को भी केंद्र सरकार द्वारा एक कम्पनी को निधि के रूपमें घोषित करना सुनिश्चित करना चाहिए और इसके लिए नियमों में कुछ आवश्यक या महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं, जो निधि (संशोधन) नियम-2022 केबाद शामिल की जानेवाली कम्पनियों पर लागू है-10 लाख रुपये की शेयर पूंजी केसाथ निधि के रूपमें शामिल एक सार्वजनिक कंपनी को खुद को निधि के रूपमें घोषित कराने लिए शामिल होने के 120 दिन के भीतर 20 लाख रुपये का एनओएफ केसाथ सबसे पहले 200 की न्यूनतम सदस्यता केसाथ फॉर्म एनडीएच-4 में आवेदन करना होगा।
कम्पनी के प्रमोटरों और निदेशकों को नियमों में निर्धारित फिट और उचित व्यक्ति के मानदंड पूरे करने होंगे। समय पर निपटान केलिए संशोधित नियमों में यह भी प्रावधान किया गया हैकि यदि केंद्र सरकार एनडीएच-4 के रूपमें कम्पनियों द्वारा दायर आवेदनों की प्राप्ति के 45 दिन के भीतर कोई निर्णय नहीं लेती है तो मंजूरी को स्वीकृत माना जाएगा। यह ऐसी कम्पनियों केलिए लागू होगा, जिन्हें निधि (संशोधन) कानून 2022 केबाद शामिल किया जाएगा।