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Thursday 21 April 2022 01:35:15 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लालकिले में श्रीगुरु तेगबहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के उत्सव के पहले दिन के कार्यक्रम में भाग लिया और कहाकि लाल किले में आयोजित नौवें पातशाह श्रीगुरु तेगबहादुरजी के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित अलौकिक समागम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिख गुरुओं केप्रति अटूट श्रद्धा का प्रतिबिंब है। इसका आयोजन संस्कृति मंत्रालय ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के सहयोग से किया है। गृहमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि श्रीगुरु तेगबहादुर छोटी आयु सेही अपने बलिदान और वीरता के गुणों केलिए जाने जाते थे, वह कश्मीरी पंडितों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ खड़े होने केलिए शहीद हुए थे, यही कारण हैकि पूरे विश्व में उन्हें हिंद की चादर के रूपमें सम्मानित किया जाता है। अमित शाह ने कहाकि सिख गुरुओं के सर्वोच्च बलिदान के कारणही आज देश आजाद हुआ है और अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहाकि राष्ट्र वास्तव में महान सिख गुरुओं का ऋणी है।
गृहमंत्री ने कहाकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सौभाग्य हैकि वह अपने कार्यकाल केदौरान तीन सिख गुरुओं जैसे श्रीगुरु नानक देवजी के 550वें प्रकाश पर्व, श्रीगुरु तेगबहादुरजी के 400वें प्रकाश उत्सव और श्रीगुरु गोविंद सिंहजी के 350वें प्रकाश पर्व के उपलब्धिपूर्ण स्मरणोत्सव के साक्षी बने। गृहमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में संस्कृति मंत्रालय ने अत्यंत उत्साह केसाथ इन्हें मनाने और दुनियाभर में सिख गुरुओं के बलिदान, वीरता और समानता के संदेश को ग्रहण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कार्यक्रम का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत किया गया है। कार्यक्रम के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से रागियों और बच्चों ने 'शब्द कीर्तन' में भाग लिया। श्रीगुरु तेगबहादुर के जीवन को दर्शाने वाला भव्य लाइट एंड साउंड शो भी हुआ, कार्यक्रम का शुभारंभ रागी जत्थे द्वारा कीर्तन केसाथ पथश्री रेहरास साहिब से हुआ।
गौरतलब हैकि श्रीगुरु तेगबहादुर सिखों के नौवें गुरु हैं। वह 'हिंद दी चादर', जगतगुरु के नामसे विख्यात हैं। श्रीगुरु तेगबहादुर पहले सिख शहीद श्रीगुरु अर्जनदेव के पोते हैं। कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने केलिए औरंगजेब के आदेश पर श्रीगुरु तेगबहादुर को शहीद कर दिया गया था। दिल्ली के चांदनी चौक में उनका सर कलम कर दिया गया था। दिल्ली में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज उनके पवित्र बलिदान से जुड़े हैं। उनकी पुण्यतिथि 24 नवंबर को हर वर्ष शहीदी दिवस के रूपमें मनाई जाती है। श्रीगुरु तेगबहादुर का स्वभाव अपनी युवावस्था सेही गहन ध्यान में लीन रहने का था और इस आध्यात्मिक भावमें उनकी पत्नी भी सक्रिय रूपसे भागीदार थीं। पहले पांच सिख गुरुओं की तरह श्रीगुरु तेगबहादुर को भी शबद के गूढ़ अनुभव थे और उन्होंने गीतों के माध्यम से अपने अनुभव साझा किए।
श्रीगुरु नानक देवजी की तरह उन्होंने दूर-दराज के क्षेत्रों की यात्रा करते हुए नए समुदायों की स्थापना की और मौजूदा समुदायों का पोषण किया। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी, संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी, डीएसजीएमसी और प्रतिष्ठित सिख संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ऐतिहासिक लालकिले में 400वें प्रकाश पर्व के समारोह में भाग लेंगे। इस शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेंगे।