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हमारे फैसलों में राष्ट्र प्रथम-प्रधानमंत्री

सिविल सेवा दिवस पर उत्कृष्ट लोक प्रशासन पुरस्कृत

जिला प्रशासन के परिप्रेक्ष्य में स्वागतयोग्य गतिशीलता

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Friday 22 April 2022 11:49:54 AM

pm narendra modi presented awards for excellence in public administration

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिविल सेवा दिवस समारोह में सभी कर्मयोगियों को बधाई दी और लोक प्रशासन में उत्कृष्टता केलिए प्रधानमंत्री पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने शासन में सुधार और ज्ञान साझा करने के सुझाव केसाथ अपना संबोधन बात शुरू किया। उन्होंने सुझाव दियाकि सभी प्रशिक्षण अकादमियां, साप्ताहिक आधार पर प्रक्रिया और पुरस्कार विजेताओं के अनुभवों को वर्चुअल माध्यम से साझा कर सकती हैं, दूसरा-पुरस्कृत परियोजनाओं मेसे कुछ जिलों में लागू करने केलिए एक योजना को चुना जा सकता है और अगले वर्षके सिविल सेवा दिवस में उसीके अनुभव पर चर्चा की जा सकती है। प्रधानमंत्री ने याद करते हुए कहाकि पहले मुख्यमंत्री के रूपमें और बादमें प्रधानमंत्री के रूपमें वे 20-22 वर्षसे सिविल सेवकों केसाथ बातचीत कर रहे हैं, यह परस्पर सीखने का अनुभव रहा है। उन्होंने इस वर्ष के उत्सव के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि यह आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में संपन्न हो रहा है। उन्होंने प्रशासकों से इस विशेष वर्षमें पिछले जिला प्रशासकों को जिले में बुलाने केलिए कहा, इससे जिले में नई ऊर्जा का संचार होगा और पूर्व के अनुभव से अवगत कराए गए जिला प्रशासन के परिप्रेक्ष्य में एक स्वागतयोग्य गतिशीलता मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि राज्यों के मुख्यमंत्री इस ऐतिहासिक वर्ष में राज्य के पूर्व मुख्य सचिवों, कैबिनेट सचिवों को बुला सकते हैं और स्वतंत्र भारत की यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रशासनिक तंत्र के ध्वजवाहकों से लाभ ले सकते हैं। उन्होंने कहाकि अमृतकाल केवल उत्सव मनाने या अतीत की प्रशंसा करने केलिए नहीं है और 75 से 100 वर्ष की यात्रा सिर्फ साधारण नहीं हो सकती है। उन्होंने कहाकि इस अवधि को एक इकाई के रूपमें देखा जाना चाहिए और हमें अभीसे ही एक दृष्टिकोण रखना चाहिए, यह एक ऐतिहासिक उत्सव होना चाहिए, इसी भावनासे हर जिले को आगे बढ़ना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रयासों में कोई कमी नहीं होनी चाहिए, यह समय सरदार वल्लभभाई पटेल के 1947 में किएगए संकल्पों और निर्देशों केप्रति खुद को फिरसे समर्पित करने का है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में है और हमारे सामने तीन लक्ष्य साफ-साफ होने चाहिएं, पहला लक्ष्य हैकि देश में सामान्य से सामान्य मनुष्य के जीवन में बदलाव आए, उसके जीवन में सुगमता आए और उसे इसका एहसास भी हो, आम लोगों को सरकारी कार्य से निपटने में संघर्ष करने की जरूरत न हो, उन्हें लाभ और सेवाएं प्राप्त करने में कोई परेशानी न हो। उन्होंने कहाकि आम आदमी के सपनों को संकल्प के स्तरपर ले जाना व्यवस्था की जिम्मेदारी है, इस संकल्प को सिद्धि तकले जाना चाहिए और यही हमसभी का लक्ष्य होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि दूसरा लक्ष्य हम भारत में कुछ भी करें, उसको वैश्विक संदर्भ में करना समय की मांग है, यदि हम वैश्विक स्तर पर क्रियाकलापों का अनुसरण नहीं करते हैं तो हमारे लिए अपनी प्राथमिकताओं को निर्धारित करना और विशेष ध्यान देने योग्य क्षेत्रों का पता लगाना बहुत मुश्किल होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमें इस परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए अपनी योजनाओं और शासन संबंधी मॉडल को विकसित करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे सिस्टम और मॉडल नियमित गति से अपडेट होते रहना चाहिए, हम पिछली शताब्दी की प्रणालियों केसाथ आज की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते। उन्होंने कहाकि तीसरा लक्ष्य एक प्रकार से मै दोहरा रहा हूंकि व्यवस्था में हम कहीं परभी हों, लेकिन जिस व्यवस्था से हम निकले हैं, उसमें हमारा मुख्य उत्तरदायित्व है, देश की एकता-अखंडता, इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता, स्थानीय फैसलों कोभी इस कसौटी पर मापा जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि हमारे हर फैसले का मूल्यांकन देश की एकता और अखंडता को ताकत प्रदान करने की उसकी क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए, हमारे फैसलों में हमेशा 'राष्ट्र प्रथम' की झलक मिलनी चाहिए।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत की महान संस्कृति की ये विशेषता हैकि हमारा देश राज व्यवस्थाओं एवं राज सिंहासनों से नहीं बना है, हमारी हजारों साल की जो परंपरा है, वो जन सामान्य के सामर्थ्य को लेकर चलने की परंपरा है, यह हमारे प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करते हुए परिवर्तन और आधुनिकता को स्वीकार करने की देश की भावना सेभी अवगत कराता है। उन्होंने कहाकि यह सरकारी प्रणाली का दायित्व हैकि वह समाज की क्षमता को पोषित करे, उसे मजबूत करे और उसका समर्थन करे। उन्होंने स्टार्ट-अप इको-सिस्टम और कृषि में होरहे नवाचारों का उदाहरण दिया एवं प्रशासकों को प्रोत्साहन देने और सहायक की भूमिका निभाने केलिए कहा। प्रधानमंत्री ने एक उदाहरण देते हुए टाइपिस्ट और सितार वादक केबीच अंतर के बारेमें बताया। उन्होंने कहाकि एक परखा हुआ जीवन, सपनों तथा उत्साह एवं उद्देश्यपूर्ण जीवन जीनेकी आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि मै हर पल जीना चाहता हूं, ताकि मै सेवा कर सकूं और दूसरों की मदद कर सकूं। नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को घिसे-पिटे रास्ते से अलग रहने और लीकसे हटकर सोचने केलिए प्रेरित किया। उन्होंने कहाकि शासन में सुधार करने केप्रति हमारा स्वाभाविक रूझान होना चाहिए, शासन सुधार प्रयोगात्मक तथा समय और देश की जरूरतों के अनुसार होना चाहिए। उन्होंने अप्रचलित कानूनों में कमी और अनुपालनों की संख्या को अपनी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक बताया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि हमें दबाव में नहीं बदलना चाहिए, बल्कि सक्रियता से सुधार करने का प्रयास करना चाहिए, इसी तरह हमें चुनौतियों पर प्रतिक्रिया करने के बजाय उम्मीद करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दियाकि बीते 8 साल केदौरान देश में अनेक बड़े काम हुए हैं, इनमें से अनेक अभियान ऐसे हैं, जिनके मूल में व्यवहारगत परिवर्तन है। उन्होंने कहाकि वे राजनीतिक स्वभाव के नहीं, बल्कि जननीति के स्वभाव के हैं। उन्होंने अधिकारियों से अपने निजी जीवन में महत्वपूर्ण सुधारों को अपनाने का अनुरोध किया, उदाहरण केलिए स्वच्छता, जीईएम या यूपीआई का उपयोग उनके अपने जीवन में है या नहीं। उन्होंने कहाकि आम नागरिक के कल्याण केलिए कार्यांवयन इकाइयों और केंद्र एवं राज्य सरकारों के संगठनों के असाधारण और अभिनव कार्यों को मान्यता देने केलिए लोक प्रशासन में उत्कृष्टता केलिए प्रधानमंत्री पुरस्कार स्थापित किए गए हैं, उन्हें पहचान किएगए प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों और नवाचार के प्रभावी कार्यांवयन केलिए भी सम्मानित किया जाता है। सिविल सेवा दिवस समारोह में केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा, कैबिनेट सचिव राजीव गाबा और वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

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