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Friday 10 May 2013 09:18:15 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद (अयोग्यता का निवारण) अधिनियम 1959 में संशोधनों को मंजूरी दे दी है। इसके लिए संसद में एक विधेयक, संसद (अयोग्यता का निवारण) संशोधन विधेयक 2013 पेश किया गया है। समय-समय पर संशोधित संसद (अयोग्यता का निवारण) अधिनियम 1959 के खण्ड-3 में भारत सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीन लाभ के विशिष्ट कार्यालयों की सूची दी गई है, जो संसद सदस्य होने अथवा चुने जाने के लिए धारक को अयोग्य नहीं ठहराता है। संसद (अयोग्यता का निवारण) अधिनियम 1959 के खण्ड-3 की धारा (बीए) की उपधारा (ii) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष को इस प्रकार की अयोग्यता से छूट देता है।
संविधान (89वें संशोधन) अधिनियम 2003 के द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय आयोग को दो स्वतंत्र आयोगों में बांटा गया, यथा-अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग और अनुसूचित जनजाति राष्ट्रीय आयोग। इस संशोधित अधिनियम के जरिए संविधान का अनुच्छेद 338 संशोधित किया गया और अनुच्छेद 338-ए नामक एक नया अनुच्छेद संविधान में जोड़ दिया गया। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति संबंधी राष्ट्रीय आयोग को दो भागों में बांटे जाने के परिणाम स्वरूप संसद (अयोग्यता का निवारण) अधिनियम 1959 के खण्ड-3 की धारा (बीए) की उपधारा (ii) में भी संशोधन की जरूरत है, ताकि अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष और अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष को संसद का सदस्य चुने जाने अथवा होने के लिए अयोग्य न ठहराया जा सके। संविधान (89वें संशोधन) अधिनियम 2003, 19 फरवरी, 2004 से लागू हो गया है और इसलिए प्रस्ताव किया गया है कि वर्तमान संशोधन को भी उसी तारीख से लागू माना जाए।