स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 23 April 2022 03:35:53 PM
भोपाल। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल में 48वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा हैकि अपराधी दुनियाभर की नई तकनीक से लैस हो रहे हैं तो ज़रूरी हैकि पुलिस अपराधी से दो क़दम आगे रहे, इसके लिए पुलिस कोभी आधुनिक टेक-सेवी बनना होगा और तकनीक के उपयोग का बीट तक परकोलेशन करना होगा। उन्होंने कहाकि जबतक कॉंस्टेबल और हेड कॉंस्टेबल तक तकनीक का उपयोग नहीं पहुंचता, तबतक हम नए प्रकार के अपराधों के ख़िलाफ़ नहीं लड़ सकते। अमित शाह ने कहाकि अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस का देशभर की पुलिसिंग में दो दृष्टिसे बहुत महत्वपूर्ण योगदान है-एक समान चुनौतियों से निपटने केलिए देशभर की पुलिस केबीच समन्वय और दूसरा अपराधियों से दो कदम आगे बने रहने केलिए तकनीक का उपयोग। उन्होंने कहाकि संविधान में पुलिस को राज्य का विषय़ माना गया है और संविधान बनने से लेकर आजतक पुलिस के सामने कई बड़ी चुनौतियां आई हैं, क्योंकि अपराध की दुनियामें नए-नए आयाम जुड़ गए हैं, इसमें कुछ ऐसी चीज़ें सामने आई हैं, जिसमें देशभर की पुलिस को एकवाक्यता और एक-दूसरे केसाथ सामंजस्य से काम करना होगा अन्यथा इन चुनौतियों का सामना संभव नहीं है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि क़ानून व्यवस्था राज्य का विषय है, इसीलिए पुलिस राज्य की चुनी हुई सरकार के निर्देशन में चलती है, ऐसेमें बहुत बड़ी चुनौती एकसमान रिस्पॉंस की है, उदाहरण केलिए उत्तरपूर्व के आठ राज्यों में अलग-अलग सरकारें हैं और अलग-अलग पुलिस है, लेकिन उनके सामने एकसमान चुनौती हथियारबंद समूहों की है, वामपंथी उग्रवाद वाले क्षेत्रमें अलग-अलग राज्य हैं, लेकिन चुनौती एकसमान है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि ऐसी चुनौतियों का सामना करने केलिए समन्वय, नीति और एकवाक्यता की ज़रूरत है, अगर राज्य की पुलिस आइसोलेशन में काम करती है तो इन सब चुनौतियों का हम ठीकसे सामना नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहाकि अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस और डीजी कांफ्रेंस जैसी बैठकों एवं व्यवस्था के माध्यम से कुछ राज्य मिलकर यहां अपने क्षेत्र विशेष की समस्याओं की चर्चा करके एकसमान नीति बना सकते हैं। उन्होंने कहाकि देशभर की पुलिस के सामने ड्रग्स, हवाला ट्रांस्जेक्शन औरसाइबर फ्रॉड जैसी कुछ एकसमान चुनौतियां हैं, इनके ख़िलाफ़ विचार-विमर्श, साझा रणनीति और एकवाक्यता केसाथ काम करने केलिए पुलिस विज्ञान कांग्रेस एक आदर्श फ़ोरम है। गृहमंत्री ने बीपीआरएंडडी से आग्रह कियाकि वह अपने कार्यक्रमों और सत्रों की रचना, समान चुनौतियों का सामना करने केलिए देशभर की पुलिस की रणनीति को ध्यान में रखकर बनाए।
गृहमंत्री ने कहाकि भारत सरकार ने इन 8 सालमें कश्मीर, वामपंथी उग्रवाद, पूर्वोत्तर में नारकोटिक्स और हथियारबंद समूहों जैसी तीन समस्याएं जो कई साल से आंतरिक सुरक्षा केलिए ख़तरा बनी हुई थीं, उन्हें बहुत वैज्ञानिक तरीक़े से अड्रेस करते हुए इनके समाधान में बहुत बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने कहाकि कई हथियारबंद समूह हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हुए हैं, धारा 370 ख़त्म होने केबाद कश्मीर में ऩए उत्साह, उमंग और विकास के ऩए युग की शुरूआत हुई और आज आतंकवाद पर हमारी सुरक्षा एजेंसियों का कमांडिग वर्चस्व दिखाई देता है साथही वामपंथी उग्रवाद भी समाप्त होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। गृहमंत्री ने कहाकि पुलिस विभागों में 10 साल की पुलिस रणनीति और इसकी सालाना समीक्षा की प्रथा को इंस्टीट्यूश्नलाइज़ करना चाहिए, ये बहुत ज़रूरी है, क्योंकि अब इस प्रकार के अपराध होने लगे हैं, जिनसे पुलिस के मॉडर्नाइज़ेशन, ट्रेनिंग, राज्य में पुलिस केबीच समन्वय, राज्य के बाहर पुलिस केबीच समन्वय और तकनीक को आत्मसात किए बिना सफलता पाना संभव नहीं है। उन्होंने कहाकि देशभर की पुलिस को डाटा नया विज्ञान है और बिग डाटा में सभी समस्याओं का समाधान है वाक्य को आत्मसात करना चाहिए। अमित शाह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए पुलिस टेक्नोलॉजी मिशन की घोषणा की है, जिसका गृह मंत्रालय ने ख़ाका बना लिया है, जो बीपीआरएंडडी केज़रिए राज्यों की पुलिस कोभी सुझाव केलिए भेजा जाएगा, इससे देशभर की पुलिस एकही प्रकार के उपकरणों और तकनीक से सुसज्जित हो सकेगी।
अमित शाह ने कहाकि पुलिस पर कभी नो एक्शन और कभी एक्स्ट्रीम एक्शन का आरोप लगता है, लेकिन हमें स्वाभाविक प्रतिक्रिया की आदत डालनी चाहिए और वह तभीहो सकता है, जब व्यक्ति सिस्टम पर निर्भर हो, नाकि सिस्टम व्यक्ति पर। उन्होंने कहाकि पुलिस विज्ञान के दो पहलू हैं-साइंस फ़ॉर पुलिस और साइंस ऑफ़ पुलिस, इन दोनों पर विचार करने सेही हम देश के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना कर पाएंगे। अमित शाह ने कहाकि आज विश्व में भारत एक बड़ी शक्ति के रूपमें उभर रहा है, हमारे पास लोकतंत्र, जनसांख्यिकीय लाभांश, मांग और निर्णायकता और भारत के भाग्य को बदलने वाला हमारा नेता भी है। उन्होंने कहाकि 16 हज़ार से ज़्यादा पुलिस स्टेशन ऑनलाइन हो चुके हैं, सीसीटीएनएस द्वारा नौ सेवाओं को राज्यस्तर पर उपलब्ध कराया गया है और अब इन्हें पॉपुलर बनाना ज़रूरी है। गृहमंत्री ने कहाकि सीसीटीएनएस की सभी नौ सिटीज़न सेवाओं को हर थाने तक पहुंचाने का काम देशभर की पुलिस को करना चाहिए, सभी एफ़आईआर और डेटा पर स्टडी करने केलिए आतंकवादरोधी दस्ते को सक्रिय करना चाहिए, नारकोटिक्स के मामलों में एनसीबी को डेटाबेस तैयार करने केलिए कहा गया है और इंटरओप्रेटेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम मे काफी डाटा तैयार हुआ है, साथही यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस भी तैयार किया है। उन्होंने कहाकि साइंस ऑफ पुलिस केलिए हमें मेडिकल साइंस, फॉरेंसिक साइंस, मैनेजमेंट साइंस, आर्म साइंस और कम्युनिकेशन साइंस के उपयोग को आगे बढ़ाना होगा।
गृहमंत्री ने कहाकि सरकार ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी की स्थापना करके दो बड़े कदम उठाए हैं, अबतक नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के 7 राज्यों में एफिलिएटिड कॉलेज खुल गए हैं। गृहमंत्री ने कहाकि सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों से अनुरोध हैकि वे अपने राज्य में दोनों यूनिवर्सिटी के एफिलिएटिड कॉलेज का आग्रह राज्य सरकार को करें, जिससे उनको पुलिस के क्षेत्र में एक्सपर्ट्स उपलब्ध हों। अमित शाह ने कहाकि अंग्रेजों के जमाने की पुलिसिंग का युग अब समाप्त हो गया है, अब नॉलेज-बेस्ड, एविडेंस- बेस्ड और तर्क के आधार पर पुलिसिंग करनी पड़ेगी, इसमें हमें पुलिस के साइंस को भी बदलना पड़ेगा। अमित शाह ने कहाकि बीपीआरएंडडी एक मॉडस ऑपरेंडी ब्यूरो बना रहा है, इसका उपयोग भी आनेवाले दिनोंमें बहुत अच्छे सेहो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कानूनी सुधार का इनीशिएटिव भी लिया है, कैदियों की शिनाख्त केलिए नया विधेयक संसद में पारित किया गया है, जिसको अभी लागू करना है, मॉडल जेल अधिनियम को लागू करना है, एफसीआरए के कठोर अनुपालन केलिए कानून बनाए गए हैं। गृहमंत्री ने अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस में फिक्की टेक एक्सपो का उद्घाटन किया।
अमित शाह ने कहाकि हम सीआरपीसी, आईपीसी और एविडेंस एक्ट मेभी सुधार ला रहे हैं, नारकोटिक्स की कोऑर्डिनेशन बैठक का जिम्मा राज्यों के पुलिस मुखियाओं को दिया गया है। गृहमंत्री ने कहाकि कोरोना महामारी का सामना देश और दुनिया ने किया, दुनियाभर में लाखों लोगों की मृत्यु हुई और कोरोना के समय देशमें लगभग 4 लाख से अधिक पुलिस और सीएपीएफ कर्मी संक्रमित हुए, 2700 से ज़्यादा जवानों की मृत्यु भी हुई, ऐसे समय देश की जनता के सामने पुलिस का मानवीय चेहरा आया और आपदा के समय पुलिस क्या कर सकती है, सभी बलों ने उसके एक उत्कृष्ट और सराहनीय उदाहरण का प्रदर्शन किया। गृहमंत्री अमित शाह ने ड्यूटी निभाते हुए प्रथम पंक्ति में महामारी का सामना करते हुए अपने प्राण गंवाने वाले 2712 जवानों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा, निशिथ प्रमाणिक, बीपीआरएंडडी के महानिदेशक बालाजी श्रीवास्तव और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।