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नवोन्वेषी कृषि विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला

प्राकृतिक खेती रसायनमुक्त व पशुधन आधारित है-कृषिमंत्री

'कृषि क्षेत्रमें रोज़गार बढ़ने सहित देशको व्यापक फायदे होंगे'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 25 April 2022 05:47:22 PM

national workshop on innovative agriculture

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने कहा हैकि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी अभियान प्रारंभ किया है और इस दिशा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी मिशन मोड में कार्य करने जा रहा है। उन्होंने कहाकि कृषि संबंधी पाठ्यक्रमों मेभी प्राकृतिक खेती का विषय शामिल करने को लेकर बनाई गई समिति ने भी काम शुरू कर दिया है। नरेंद्रसिंह तोमर ने कहाकि प्राकृतिक खेती से हमारा प्रकृति केसाथ तालमेल बढ़ेगा, जिसके कृषि क्षेत्रमें-गांवों मेही रोज़गार बढ़ने सहित देशको व्यापक फायदे होंगे। कृषिमंत्री ने ये बातें आज नई दिल्ली विज्ञान भवन में नीति आयोग की 'नवोन्वेषी कृषि' विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में कहीं। कार्यशाला में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत शामिल हुए, वहीं केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला वर्चुअल जुड़े। तकनीकी सत्रों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रमुख कृषि विशेषज्ञों ने उद्बोधन दिया।
कृषिमंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने कहाकि रसायनिक खेती के दुष्प्रभावों का आंकलन करते हुए केंद्र सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का निश्चय किया है, यह हमारी देशी प्राचीन पद्धति ही है, जिसमें खेती की लागत कम आती है और प्राकृतिक संतुलन स्थापित होनेसे किसानों को फायदा पहुंचता है। उन्होंने कहाकि प्राकृतिक खेती रसायनमुक्त एवं पशुधन आधारित है, जिससे लागत में कमी केसाथ ही किसानों की आय में वृद्धि, स्थिर पैदावार होगी तथा पर्यावरण एवं मृदा स्वास्थ्य सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने बतायाकि कृषि मंत्रालय द्वारा भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति की उप-योजना के माध्यमसे किसानों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक खेती का रकबा बढ़ रहा है, जो अभी लगभग चार लाख हेक्टेयर क्षेत्र तक पहुंच चुका है। कृषिमंत्री ने कहाकि हमारी परंपराएं हैं, हमारे सिद्धांत हैं, लेकिन युग केसाथ चलना भी हमें आता है, अब कृषि क्षेत्र मेभी प्राकृतिक खेती को अपनाने के रूपमें होना चाहिए, प्रकृति से संतुलन बैठाने वाली पद्धति से हम तेजीके साथ आगे बढ़ सकेंगे, जो समयानुकूल भी है।
नरेंद्रसिंह तोमर ने कहाकि आज आवश्यकता इस बात कीभी हैकि कृषि क्षेत्र के माध्यम से रोज़गार की उपलब्धता बढ़े, पढ़े-लिखे युवाओं को गांवों मेही रोज़गार मिले, प्राकृतिक खेती के माध्यमसे भूमि की सेहत तो ठीक होगी ही, नए रोज़गार भी सृजित होंगे। केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहाकि कोरोना के कारण लोगों के खान-पान में बदलाव आया है और आर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ी है, जिसकी पूर्ति केलिए संज्ञान लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि खेती में कई चुनौतियां हैं, उन पर फोकस करते हुए किसानों को नई मांग के अनुरूप प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने आर्गेनिक रकबा बढ़ाने केलिए लागू किएगए लार्ज एरिया सर्टिफिकेशन सिस्टम हेतु कृषिमंत्री को धन्यवाद दिया, जिसके तहत सदैव रसायनमुक्त रही भूमि को आर्गेनिक घोषित किया जाता है। पुरुषोत्तम रूपाला ने कहाकि प्राकृतिक खेती से हमें अपनी परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिला है, यह पद्धति भारत को विश्व में अग्रणी बनाने में मील का पत्थर सिद्ध होगी। गुजरात के राज्यपाल ने कहाकि प्राकृतिक खेती में पौधे को पानी नहीं, बल्कि नमी चाहिए होती है, इसमें पहले साल लगभग 50 प्रतिशत पानी कम लगता है और तीसरे साल तक लगभग सत्तर प्रतिशत पानी की बचत होने लगती है। इस विधा में जीवाणु काफी संख्या में बढ़ते हैं, जो खेती की जान होती है, मृदा में कार्बन की मात्रा भी बढ़ती है, जो मृदा स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है।
राज्यपाल ने कहाकि रासायनिक खेती के दुष्परिणाम सबके सामने हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग केलिए भी जिम्मेदार हैं, इसके कारण भूजल भी औसतन हर साल लगभग चार फीट नीचे जा रहा है। उन्होंने उदाहरण सहित बतायाकि प्राकृतिक खेती में तीन फसल लेने का प्रयोग सफल हुआ है, वहीं पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी यह पद्धति सफल हो रही है, इसका विस्तार होगा तो केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही भारी खाद सब्सिडी की राशि की भी बचत होगी। आचार्य देवव्रत ने कहाकि धरती को बंजर होने से बचाने, पानी की बचत करने एवं पशुधन के उपयोग की दृष्टि से हमें प्राकृतिक खेती को अपनाना ही होगा, जिसके लिए केंद्र सरकार, नीति आयोग तथा अन्य संस्थाओं केसाथ मिलकर देशभर में युद्धस्तर पर अभियान चलाना शुरू किया गया है। नीति आयोग की वरिष्ठ सलाहकार (कृषि) डॉ नीलम पटेल ने स्वागत भाषण दिया। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत एवं सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर सफलता की कहानियों (हिंदी एवं अंग्रेजी) के संग्रह और प्राकृतिक खेती का अभ्यास करने वाले किसानों के वीडियो का विमोचन किया गया। इस मौके पर आयोग के निवृत्तमान उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार भी उपस्थित थे।

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