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Tuesday 26 April 2022 06:24:19 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हैकि दुनिया का कोई भी लक्ष्य एकता के सूत्र में बंधे भारतीयों केलिए असंभव नहीं है और भारतीय होने के नाते हम सबकी एकही जाति है-भारतीयता, हम सभीका एकही धर्म है-सेवाधर्म और कर्तव्यों का पालन, हम सभीका एकही ईश्वर है-भारत माता। प्रधानमंत्री ने आज प्रधानमंत्री आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर शिवगिरी तीर्थ की 90वीं वर्षगांठ और ब्रह्म विद्यालय के स्वर्ण जयंती के वर्षभर चलनेवाले संयुक्त समारोहों के उद्घाटन कार्यक्रम में ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने वर्षभर चलने वाले संयुक्त समारोहों का लोगो भी जारी किया। शिवगिरी तीर्थदानम् और ब्रह्म विद्यालय दोनों महान समाज सुधारक श्रीनारायण गुरु के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में आरंभ हुआ था। प्रधानमंत्री ने संतों का स्वागत करते हुए हर्ष व्यक्त किया और शिवगिरी मठ के संतों और आस्थावानों से हुई भेंट का स्मरण किया। उन्होंने उल्लेख कियाकि उनसे बातचीत करके वे ऊर्जा का अनुभव करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वह समय भी याद किया जब उत्तराखंड-केदारनाथ त्रासदी हुई थी, उस समय केंद्र में कांग्रेस सरकार थी और रक्षामंत्री केरल के थे, इसके बावजूद शिवगिरी मठ के संतों ने उनसे मदद मांगी थी, जबकि वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि वे इस विशेष सम्मान को कभी नहीं भूलेंगे। नरेंद्र मोदी ने कहाकि शिवगिरी तीर्थदानम् की 90वीं वर्षगांठ और ब्रहम विद्यालय की स्वर्ण जयंती केवल इन संस्थानों की यात्रा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भारत के उस विचार की अमर यात्रा है, जो अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग माध्यमों के जरिए आगे बढ़ता रहता है। उन्होंने कहाकि चाहे वह वाराणसी में शिव की नगरी हो या वरकला में शिवगिरी भारत की ऊर्जा का हर केंद्र हमसब भारतीयों के जीवन में विशेष स्थान रखता है, ये स्थान केवल तीर्थभर नहीं हैं, ये आस्था के केंद्रभर नहीं हैं, ये एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना के जाग्रत प्रतिष्ठान हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि जहां दुनिया के कई देश और कई सभ्यताएं अपने धर्म से भटकीं तो वहां अध्यात्म की जगह भौतिकवाद ने ले ली। उन्होंने कहाकि भारत के ऋषियों, संतों, गुरुओं ने हमेशा विचारों और व्यवहारों का शोधन किया, संवर्धन किया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि श्रीनारायण गुरु ने आधुनिकता की बात की, लेकिन साथही उन्होंने भारतीय संस्कृति और मूल्यों को समृद्ध भी किया, उन्होंने शिक्षा और विज्ञान की बात की, लेकिन धर्म और आस्था की हजारों साल पुरानी परंपरा का गौरव बढ़ाने में कभी पीछे नहीं हटे। प्रधानमंत्री ने कहाकि श्रीनारायण गुरु ने जड़ता और बुराइयों के विरुद्ध अभियान चलाया और भारत को उसकी वास्तविकता केप्रति जागरुक बनाया, जातिवाद के नामपर चलनेवाले भेदभाव के विरुद्ध तर्कसंगत और व्यावहारिक लड़ाई लड़ी। प्रधानमंत्री ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र केसाथ देशके आगे बढ़ने का उल्लेख करते हुए कहाकि आज नारायण गुरुजी की उसी प्रेरणा से देश गरीबों, वंचितों, पिछड़ों की सेवा कर रहा है और उन्हें उनके अधिकार दे रहा है। श्रीनारायण गुरु को एक सिद्धांतवादी विचारक और व्यावहारिक सुधारक के रूपमें याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्होंने हमेशा चर्चा की मर्यादा का पालन किया और हमेशा दूसरों की भावनाओं को समझने की कोशिश करते थे, फिरवे अपनी बात समझाते थे, वे समाज में ऐसा वातावरण बनाते थे, जहां समाज खुद सही समझ केसाथ आत्मसुधार की दिशा में अग्रसर हो जाता था।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब हम समाज को सुधारने केपथ पर चलते हैं, तब समाज में आत्मसुधार की शक्ति भी जाग्रत हो जाती है। उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की सामाजिक स्वीकार्यता का उदाहरण देते हुए कहाकि सरकार के सही वातावरण बनाते ही परिस्थितियों में तेजीसे सुधार होने लगा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि श्रीनारायण गुरु का एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर का आह्वान हमारी राष्ट्रभक्ति की भावना को आध्यात्मिक आयाम देता है। उन्होंने कहाकि हमसब जानते हैंकि दुनिया का कोई भी लक्ष्य एकता के सूत्र में बंधे भारतीयों केलिए असंभव नहीं है। आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में प्रधानमंत्री ने एक बारफिर स्वतंत्रता संग्राम का अपना विश्लेषण प्रस्तुत किया, जो उनके अनुसार हमेशा आधात्मिक बुनियाद पर आधारित रहा। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारा स्वतंत्रता संग्राम केवल विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक रणनीतियों तक ही सीमित नहीं था, ये गुलामी की बेड़ियां तोड़ने की लड़ाई तो थी ही, लेकिन साथही आजाद देश के रूपमें हम होंगे, कैसे होंगे, इसका विचार भी था, हम किस सोच, किस विचार केलिए एक साथ हैं, यह भी कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम के महारथियों श्रीनारायण गुरु, गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर, गांधीजी और स्वामी विवेकानंद और महान लोगों की युग-प्रवर्तक भेंट का स्मरण किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि इन महान लोगों ने विभिन्न अवसरों पर श्रीनारायण गुरु से भेंट की और इन बैठकों में भारत के पुनर्निर्माण का बीज बोया गया, जिसका परिणाम आजके भारत तथा राष्ट्र की 75 वर्षीय यात्रा में परिलक्षित होता है। उन्होंने कहाकि 25 साल बाद देश अपनी आजादी के 100 साल मनाएगा और दस साल बाद हम शिवगिरी तीर्थदानम् के 100 साल की यात्रा का उत्सव मनाएंगे। उन्होंने कहाकि इन सौ सालों की यात्रा में हमारी उपलब्धियां वैश्विक होनी चाहिएं और इसके लिए हमारा विज़न भी वैश्विक होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि तीर्थदानम् के बौद्धिक विमर्श और प्रयासों में नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलता है, शिवगिरी तीर्थदानम् की ये यात्रा ऐसे ही निरंतर चलती रहेगी, कल्याण, एकता और गतिशीलता की प्रतीक तीर्थयात्राएं भारत को उसके गंतव्य तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बनेंगी। उल्लेखनीय हैकि शिवगिरी तीर्थदानम् हर वर्ष 30 दिसंबर से एक जनवरी तक शिवगिरी थिरुवनंतपुरम में मनाया जाता है।
श्रीनारायण गुरु के अनुसार तीर्थदानम् का उद्देश्य लोगों में समग्र ज्ञान का सृजन करना है, साथही तीर्थ द्वारा आमूल विकास और समृद्धि केलिए सहयोग करना है, इसलिए तीर्थदानम् शिक्षा, स्वच्छता, पवित्रता, हस्तशिल्प, व्यापार, वाणिज्य, कृषि, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संगठित प्रयास पर बल देता है। शिवगिरी तीर्थदानम् का शुभारंभ 1933 में मुट्ठीभर श्रद्धालुओं से हुआ था, लेकिन अब यह दक्षिण भारत के प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल हो गया है, हर वर्ष जाति, विश्वास, धर्म और भाषा से ऊपर उठकर दुनियाभर से श्रद्धालु शिवगिरी आते हैं और तीर्थ-सेवन करते हैं। ज्ञातव्य हैकि श्रीनारायण गुरु ने एक ऐसे स्थान की परिकल्पना की थी, जहां शांति और समान सम्मान का भाव रखते हुए सभी धर्मों के सिद्धांतों की शिक्षा दी जाए। शिवगिरी का ब्रह्म विद्यालय इसी परिकल्पना को वास्तविकता में बदलने केलिए स्थापित किया गया था। ब्रह्म विद्यालय में भारतीय दर्शन पर सात वर्षीय पाठ्यक्रम उपलब्ध है, जिसमें श्रीनारायण गुरु की कृतियां और दुनियाभर के सभी महत्वपूर्ण धर्मों के ग्रंथ शामिल किए गए हैं। इस अवसर पर श्रीनारायण धर्म संघम ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद, जनरल सेक्रेटरी स्वामी ऋतमभरानंद, केंद्रीय मंत्री, केरल के वी मुरलीधरण, राजीव चंद्रशेखर, श्रीनारायण गुरु धर्म संघम ट्रस्ट के पदाधिकारी, देश-विदेश से आए श्रद्धालु शामिल हुए।