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Thursday 28 April 2022 05:33:48 PM
गुवाहाटी। असमी भाषा के कार्बी आंग-लोंग कोरटे इंगजिर, के-डो अं-अपहान्ता, नेली कारडोम पजीर इग्लो के प्रारंभिक उद्बोधन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज असम में कार्बी आंगलोंग जिले के दीफू में 'शांति एकता और विकास रैली' को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि ये सुखद संयोग हैकि आजजब देश अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तबहम इस धरती के महान सपूत लचित बोरफुकन की 400वीं जन्मजयंती भी मना रहे हैं, उनका जीवन राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रशक्ति की प्रेरणा है, इस महान नायक को आदरपूवर्क नमन। इन लाइनों के साथ प्रधानमंत्री ने यहां विभिन्न परियोजनाओं-पशु चिकित्सा महाविद्यालय (दीफू), डिग्री कॉलेज (पश्चिम कार्बी आंगलोंग) और कृषि महाविद्यालय (कोलोंगा पश्चिम कार्बी आंगलोंग) की आधारशिला रखी। असम के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक की ये परियोजनाएं क्षेत्रमें कौशल और रोज़गार के नए अवसर लेकर आएंगी। प्रधानमंत्री ने 2950 से अधिक अमृत सरोवर परियोजनाओं की भी नींव रखी, इन अमृत सरोवरों को लगभग 1150 करोड़ रुपये की संचयी लागत से विकसित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के राज्यपाल जगदीश मुखी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, कार्बी राजा रामसिंग रोंगहांग, कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल के तुलीराम रोंगहांग, असम सरकार में मंत्री पीयूष हज़ारिका, जोगेन मोहन, सांसद होरेन सिंग बे, विधायक भावेश कलिता, जनप्रतिनिधियों और कार्बी आंगलोंग की जनता-जनार्दन का उनका गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि 'डबल इंजन' की सरकार सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से काम करती है, आज ये संकल्प कार्बी आंगलोंग की धरती पर फिर सशक्त हुआ है। उन्होंने कहाकि असम की स्थाई शांति और तेज विकास केलिए जो समझौता हुआ था, उसको जमीन पर उतारने का काम तेजी से चल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज असम में भी 2600 से अधिक अमृत सरोवर बनाने का काम शुरू हो रहा है। उन्होंने कहाकि सरोवरों का निर्माण पूरी तरह से जनभागीदारी पर आधारित है, ऐसे सरोवरों की तो जनजातीय समाज में एक समृद्ध परंपरा रही है, इससे गांवों में पानी के भंडार तो बनेंगे ही, ये कमाई के भी स्रोत बनेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि 2014 केबाद से नॉर्थ ईस्ट में मुश्किलें कम हो रही हैं, लोगों का विकास हो रहा है। उन्होंने कहाकि आज जब कोई असम के जनजातीय क्षेत्रों में आता है, नॉर्थ ईस्ट के दूसरे राज्यों में जाता है तो हालात बदलते देखकर उसेभी अच्छा लगता है। प्रधानमंत्री ने पिछले साल शांति और विकास प्रक्रिया में कार्बी आंगलोंग के कई संगठनों को शामिल किए जाने के बारे में बताया। उन्होंने कहाकि 2020 में बोडो समझौते ने भी स्थायी शांति के द्वार खोल दिए है, इसी तरह त्रिपुरा मेभी निफ्ट ने शांति की दिशा में कदम उठाया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि ढाई दशक पुराना ब्रू-रियांग भी सुलझ गया है, जो लंबे समय तक आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट (एएफएसपीए) नॉर्थ ईस्ट के अनेक राज्यों में रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसलिए बीते 8 साल के दौरान स्थाई शांति और बेहतर कानून व्यवस्था लागू होने के कारण हमने एएफएसपीए को नॉर्थ ईस्ट के कई क्षेत्रों से हटा दिया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सबका साथ, सबका विकास की भावना के साथ सीमाई मामलों के समाधान खोजे जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि असम और मेघालय के बीच बनी सहमति दूसरे मामलों को भी प्रोत्साहित करेगी।
असम के आदिवासी समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रधानमंत्री ने कहाकि जनजातीय समाज की संस्कृति, यहां की भाषा, खान-पान, कला, हस्तशिल्प ये सभी हिंदुस्तान की समृद्ध धरोहर हैं, असम तो इस मामले में और भी समृद्ध है, यही सांस्कृतिक धरोहर भारत को जोड़ती है, एक भारत श्रेष्ठ भारत के भाव को मजबूती देती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजादी के इस अमृतकाल में कार्बी आंगलोंग भी शांति और विकास के नए भविष्य की तरफ बढ़ रहा है, अब यहां से हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना है। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ वर्षों में हमें मिलकर उस विकास की भरपाई करनी है, जो बीते दशकों में हम नहीं कर पाए। प्रधानमंत्री ने सेवा और समर्पण की भावना केसाथ केंद्र की योजनाओं को लागू करने केलिए असम और क्षेत्र की अन्य राज्य सरकारों की सराहना की। उन्होंने महिलाओं को इतनी बड़ी संख्या में बाहर आने केलिए धन्यवाद दिया और सरकार के सभी उपायों में महिलाओं की स्थिति के उत्थान, जीवन को आसान बनाने और महिलाओं की गरिमा पर अपना निरंतर ध्यान केंद्रित किया।
प्रधानमंत्री ने असम के लोगों को आश्वासन दिया कि वे उनके प्यार और स्नेह को ब्याज के साथ चुकाएंगे और इस क्षेत्रके निरंतर विकास केलिए खुद को फिर से समर्पित कर देंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज पूरा देश ये देख रहा हैकि बीते वर्षों में हिंसा, अराजकता और अविश्वास की दशकों पुरानी समस्याओं का कैसे निर्बाध रूपसे समाधान किया जा रहा है, समाधान के कैसे रास्ते खोजे जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि कभी इस क्षेत्र की बहुत चर्चा होती थी तो कभी बम और गोलियों की आवाज़ें सुनाई देती थीं, मगर आज तालियां गूंज रही हैं, जयकारा हो रहा है। उन्होंने कहाकि पिछले वर्ष सितंबर में कार्बी आंगलोंग के अनेक संगठन शांति और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने का संकल्प लेकर मुख्यधारा से जुड़ गए हैं। गौरतलब हैकि भारत सरकार और असम सरकार में छह कार्बी उग्रवादी संगठनों केसाथ समझौता ज्ञापन पर हालही में हुए हस्ताक्षर से क्षेत्रकी शांति और विकास केप्रति प्रधानमंत्री की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है। इस समझौता ज्ञापन से क्षेत्रमें शांति के एक नए युग की शुरुआत हुई है।