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Friday 10 May 2013 09:29:23 AM
लखनऊ। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा कि राष्ट्र की प्रगति, मानवीय सशक्तीकरण और समाज के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण घटक है। मुखर्जी ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की बढ़ती घटनाओं के कारण उनकी सुरक्षा और रक्षा के लिए कारगर उपाय करना जरूरी है, इसके लिए हमारे समाज के नैतिक पतन को भी रोकना जरूरी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुकूल शिक्षा प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विश्वविद्यालय को एक ऐसे विभाग का चयन करना चाहिए, जिसे एक विशिष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके। उन्होंने इस सुधार की अगुआई करने के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों का आह्वान किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री जितिन प्रसाद के अलावा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि शिक्षण संस्थानों और विशेष रूप से विश्वविद्यालयों में नैतिक मूल्यों की जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता में महिलाओं के सम्मान की परम्परा रही है, इसे मजबूत किया जाना चाहिए। उन्होंने भीमराव अंबेडकर को एक महान शिक्षाविद् एवं समाज सुधारक बताते हुए विश्वविद्यालय से उनके दर्शन के अनुरूप कार्य करने का आग्रह किया। भारत में उपलब्ध कार्यकारी जनसंख्या का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सन् 2020-21 में लगभग 64 फीसदी वर्किंग जनसंख्या होगी। उन्होंने कहा कि इस विशाल जनसंख्या का लाभ उठाने के लिए हमें नौजवानों को स्वस्थ्य एवं निपुण बनाना होगा।
देश में स्थापित विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग प्रत्येक राज्य में कम से कम एक केंद्रीय विद्यालय स्थापित हैं, लेकिन इनकी गुणवत्ता संतोषप्रद नहीं है, इसीलिए लगभग 2 लाख प्रतिभाशाली नौजवान विदेशों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें देश के शिक्षण संस्थानों के अध्यापन की गुणवत्ता में सुधार के अलावा अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शिक्षा उपलब्ध करानी होगी।
राष्ट्रपति ने प्रत्येक विश्वविद्यालय में कम से कम एक विभाग को एक्सीलेंट सेंटर के रूप में विकसित करने, विश्वविद्यालयों में शोध को बढ़ावा देने तथा दूरस्थ छात्रों के लिए अच्छी पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने हेतु आईटी आधारित तकनीक के प्रयोग पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि देश के विश्वविद्यालयों में लगभग 63 फीसदी अध्यापकों के पद रिक्त हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इस गैप को शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने बीबीएयू के सहयोग से आयोजित उत्तर प्रदेश इनोवेशन प्रदर्शनी की प्रशंसा की तथा इसी प्रकार अन्य विश्वविद्यालयों से भी प्रयास करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उनका आह्वान किया कि वे अपनी नई सोच से देश एवं समाज को प्रगति के पथ पर ले जाने का प्रयास करें। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने हेतु विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को बढ़ावा देने का आग्रह भी किया। कार्यक्रम में केंद्रीयमानव संसाधन विकास राज्य मंत्री जतिन प्रसाद एवं कुलाधिपति एनएल लखन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। दीक्षांत समारोह में प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री अभिषेक मिश्र, पूर्व राज्यपाल एनडी तिवारी तथा माता प्रसाद, इस विद्यालय के कुलपति आरवी सोवती सहित बड़ी संख्या में अध्यापक, छात्र, अधिकारी उपस्थित थे।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का लखनऊ अमोसी एयरपोर्ट पर राज्यपाल बीएल जोशी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, महापौर दिनेश शर्मा, मुख्य सचिव जावेद उस्मानी, प्रमुख सचिव राज्यपालमंजीत सिंह, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री राकेश गर्ग, मण्डलायुक्त संजीव सरन, लेफ्टीनेंट जनरल एके मिश्र एवीएसएन सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। राष्ट्रपति के लखनऊ एयरपोर्ट पर पहुंचने पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा महापौर ने गुलदस्ता भेंटकर गर्मजोशी से स्वागत किया। कानपुर जाने के लिए राष्ट्रपति को एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने विदाई दी तथा राज्यपाल ने भी राष्ट्रपति के साथ कानपुर के लिए प्रस्थान किया।