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Monday 2 May 2022 02:15:56 PM
बर्लिन। केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बर्लिन में भारतीय स्टार्टअप, छात्रों और युवा पेशेवरों केसाथ बातचीत की और उनसे नरेंद्र मोदी सरकार के विभिन्न फेलोशिप, संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों और पेशेवर विकल्पों का लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने भारतीय छात्रों, जिनमें से कुछ पोस्ट डॉक्टर, डॉक्टरेट और मास्टर डिग्री कर रहे हैं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में अत्याधुनिक शोध केलिए देश के अनोखे एवं नए अवसरों का लाभ उठाने को कहा। गौरतलब हैकि डॉ जितेंद्र सिंह जर्मनी गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं। जर्मनी के संघीय चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरेके पहले चरण में जर्मनी में डॉ जितेंद्र सिंह अपने जर्मन समकक्षों केसाथ परामर्श केलिए बर्लिन में हैं।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि जो छात्र यहां पोस्ट डॉक्टर का कार्य कर कर रहे हैं और स्वदेश वापस लौटना चाहते हैं, वे शोध केलिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की रामानुज फैलोशिप और जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य विज्ञान, कृषि विज्ञान में शोध केलिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग की रामलिंगास्वामी फैलोशिप केलिए आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि ये दोनों फेलोशिप 3 साल का तत्काल प्लेसमेंट प्रदान करती हैं, जिसे और 2 साल केलिए बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहाकि यह भारत में एक अकादमिक या अनुसंधान संगठन में अपनी योग्यता साबित करने और उसमें संलग्न होने केलिए पर्याप्त अवधि है। डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि डीएसटी विभिन्न स्तरों पर इंस्पायर फेलोशिप प्रदान करता है, जिसमें डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरल दोनों शामिल हैं, यह एक अकादमिक संगठन में पांच साल का असाइनमेंट है, जहां कोई अकादमिक और शोध असाइनमेंट ले सकता है। उन्होंने याद दिलाया कि नवंबर 2019 में चांसलर एंजेला मर्केल के दिल्ली दौरे केदौरान जर्मनी-भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम करने पर सहमत हुए थे। उन्होंने उच्चशिक्षा में इंडो-जर्मन साझेदारी को अगले चार वर्ष केलिए बढ़ाने का भी निर्णय लिया था, जिसमें प्रत्येक का योगदान 35 लाख यूरो था।
डॉ जितेंद्र सिंह ने रेखांकित कियाकि इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर ने नियोजन केलिए जोड़ीदार फैलोशिप (भारत-जर्मनी में युवा वैज्ञानिकों को एक जोड़ी बनाने की जरूरत है) परियोजनाओं में महिला शोधकर्ताओं के नियोजन केलिए विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान में महिलाएं और जर्मन औद्योगिक इकोसिस्टम में भारतीय छात्रों को एक्सपोजर प्रदान करने केलिए औद्योगिक फैलोशिप जैसी कुछ फेलोशिप की पेशकश की है। डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि भारत-जर्मनी के कई जर्मन संगठनों केसाथ द्विपक्षीय कार्यक्रम हैं, जिनमें शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय, जर्मन एकेडमिक एक्सचेंज प्रोग्राम और जर्मन रिसर्च फाउंडेशन शामिल हैं। उन्होंने कहाकि ये कार्यक्रम भारतीय और जर्मन संगठनों के बीच 3-5 साल के अनुसंधान सहयोग के अवसर प्रदान करते हैं, अगर कोई वर्तमान में किसी जर्मन संगठन में काम कर रहा है और उसके प्रोफेसर के पास इनमें से किसीभी कार्यक्रम केतहत एक सहयोगी परियोजना है तो जर्मनी में कार्यरत होने पर भी आपको भारतीय संगठनों केसाथ काम करने का अवसर मिल सकता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने वज्र, ज्ञान, स्पार्क जैसे अन्य अवसरों के बारेमें भी बताया और कहाकि इनके तहत भारतीय तथा सहयोगी संस्थानों केबीच अंतर-संस्थागत गतिविधियों का विकास किया जाता है और इन सभी गतिविधियों में युवा छात्रों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है। दो अन्य योजनाएं हैं-मेडिकल के छात्रों केलिए आईसीएमआर इंटरनेशनल फेलोशिप और कृषि के छात्रों केलिए आईसीएआर इंटरनेशनल फेलोशिप। उन्होंने कहाकि जर्मनी में हमारे विज्ञान परामर्शदाता भारत के दूतावास की एक पहल जर्मनी में भारतीय छात्रों के माध्यम से भारतीय छात्र समुदाय केसाथ बातचीत में सक्रिय रूपसे शामिल हैं और दूतावास उनतक पहुंचने केलिए जर्मनी में भारतीय छात्रों और शोधकर्ताओं का एक डेटाबेस रखता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत-जर्मनी केबीच सहयोगी अनुसंधान, प्रौद्योगिकी साझेदारी और उच्च शिक्षा सहयोग का लंबा इतिहास है एवं भारत-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी पिछले कुछ वर्ष में बड़े पैमाने पर बढ़ी है और उच्चस्तरीय राजनयिक दौरों से दोनों देशों केबीच द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ावा मिला है।