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Wednesday 4 May 2022 02:48:09 PM
तामुलपुर (असम)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज असम के तामुलपुर में बोडो साहित्य सभा के 61वें वार्षिक सम्मेलन में भाग लिया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि स्थानीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी समाज और सरकार की है। उन्होंने असम सरकार से बोडो भाषा को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहाकि बोडो भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु संविधान संशोधन वर्ष 2003 में हुआ और उसकी घोषणा जनवरी 2004 में की गई, उस समय भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। राष्ट्रपति ने कहाकि केंद्र सरकार और पूर्वोत्तर की राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों से क्षेत्रमें सद्भाव और शांति का माहौल मजबूत होता जा रहा है। उन्होंने कहाकि इस बदलाव में विकास कार्यों की अहम भूमिका है। उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और क्षेत्र के निवासियों की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहाकि मई का महीना बोडो लोगों केलिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे 1 मई को बोडोफा उपेंद्रनाथ ब्रह्मा को याद करते हैं, जो उनकी पुण्यतिथि है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि बोडो समाज के लोगों से मेरा पुराना परिचय है, मेरे लिए बोडो संस्कृति और भाषा से संपर्क कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहाकि बोडोफा ने 'जियो और जीने दो' का संदेश दिया था और बोडो स्वाभिमान केप्रति जागरुक रहते हुए सभी समुदायों केसाथ सद्भाव बनाए रखने का उनका संदेश हमेशा प्रासंगिक रहेगा। राष्ट्रपति ने बोडो भाषा, साहित्य और संस्कृति को मजबूत करने में पिछले 70 वर्ष में अमूल्य योगदान देने केलिए बोडो साहित्य सभा की सराहना की और कहाकि बोडो भाषा और साहित्य को आगे बढ़ाने वाले महानुभावों का इतिहास बहुत प्रेरणादायक है। उन्होंने कहाकि बोडो साहित्य सभा के संस्थापक अध्यक्ष जॉयभद्र हागजर और महासचिव सोनाराम थोसेन ने बोडो भाषा को मान्यता देने केलिए सराहनीय प्रयास किए हैं। उन्होंने कहाकि बोडो सभा ने स्कूली शिक्षा के माध्यम के रूपमें बोडो भाषा के प्रयोग और उच्चशिक्षा में स्थान दिलाने मेभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राष्ट्रपति ने कहाकि अबतक 17 लेखकों को बोडो भाषा में उनके कार्यों केलिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है और उसमें से 10 को कविता के काम केलिए सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि यह बोडो लेखकों केबीच कविता केप्रति स्वाभाविक झुकाव को दर्शाता है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को यह भी जानकर खुशी हुईकि कि अनेक महिलाएं बोडो साहित्य की विभिन्न विधाओं में साहित्य सृजन कर रही हैं, मैं चाहता हूंकि महिला रचनाकारों को राष्ट्रीय स्तरपर और अधिक मान्यता प्राप्त हो। उन्होंने कहाकि यहभी देखा गया हैकि मूल रचनाओं केलिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पानेवाले वरिष्ठ लेखकों में केवल दो महिलाएं हैं। रामनाथ कोविंद ने 'बोडो साहित्य सभा' से महिला लेखकों को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि किसी भी साहित्य को जीवंत और प्रासंगिक बनाए रखने केलिए युवा पीढ़ी की भागीदारी बहुत जरूरी है, इसलिए बोडो साहित्य सभा से युवा लेखकों को भी विशेष प्रोत्साहन देने को कहा। राष्ट्रपति को प्रसन्नता व्यक्त कीकि अन्य भाषाओं की कृतियों का बोडो भाषा में बड़े उत्साह केसाथ अनुवाद किया जा रहा है, यह किसीभी जीवंत साहित्यिक समुदाय की विशेषता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि इस तरह के अनुवादित साहित्य से बोडो भाषा के पाठकों को अन्य भारतीय भाषाओं के साथ-साथ विश्व साहित्य से परिचित होने का अवसर मिलेगा।