स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 5 May 2022 05:09:06 PM
गुवाहाटी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि पूर्वोत्तर क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया और उससे आगे जाने केलिए भारत का प्राकृतिक प्रवेश द्वार है, कई पड़ोसी देशों केसाथ 5300 किलोमीटर से अधिक की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं केसाथ पूर्वोत्तर क्षेत्र का सामरिक महत्व है। राष्ट्रपति गुवाहाटी में पूर्वोत्तर महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे, उत्तरी पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत इसका आयोजन किया था। उन्होंने कहाकि ईस्ट लुक पॉलिसी के साथही पूर्व में पड़ोसियों केप्रति सुरक्षा केंद्रित दृष्टिकोण ने पूरे क्षेत्र में आर्थिक विकास का लाभ उठाने केलिए आर्थिक मुद्दों को प्राथमिकता देने का मार्ग प्रशस्त किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि वर्ष 2014 में एलईपी को एक्ट ईस्ट पॉलिसी में अपग्रेड कर दिया गया था, इससे नाटकीय बदलाव हुआ और पूर्वोत्तर क्षेत्र की विकासोन्मुख भूमिका में महत्वपूर्ण बदलाव दिखा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि उन्हें आजादी के अमृत महोत्सव केतहत पूर्वोत्तर महोत्सव के समापन समारोह में भाग लेकर प्रसन्नता हुई है। उन्होंने इसमें उत्साह केसाथ भाग लेने केलिए केंद्रीय उत्तरी पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री, सभी पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ इस क्षेत्र के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहाकि 'हम किसीसे कम नहीं' की उनकी भावना काफी सरहनीय है। राष्ट्रपति ने कहाकि देश जब स्वतंत्रता आंदोलन का जश्न मनाता है तो नागरिक न केवल अपने महान नेताओं की वीरता और देशभक्ति को याद करते हैं, बल्कि उन कम चर्चित या भूले-बिसरे लोगों को भी याद करते हैं, जिनके बलिदान केबिना यह एक जनआंदोलन नहीं बन सकता था। उन्होंने कहाकि हमें गर्व हैकि देश के कोने-कोने में इस तरह की भागीदारी देखी गई, भारत को विदेशी शासन की बेड़ियों से मुक्त देखने केलिए हर भारतीय तरस रहा था, आजादी के संघर्ष में शामिल होने के मोर्चे पर पूर्वोत्तर क्षेत्र किसीसे पीछे नहीं था।
राष्ट्रपति ने कहाकि जब हम आजादी का 75वां वर्ष मना रहे हैं, जब हम अपने स्वतंत्रता आंदोलन के शानदार प्रसंगों को याद कर रहे हैं, जब हम अपने महान नेताओं के जीवन और उनके कार्यों के बारेमें सोचते हैं तो हम ऐसा इसलिए करते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सकेकि आज हम उनके सपनों की तुलना में कहां खड़े हैं, हम उनके दृष्टिकोण के बारेमें अधिक जानने और बेहतर कल के निर्माण केलिए उनके संघर्षों से प्रेरित होने केलिए ऐसा करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि जब हमारे देश ने आजादी हासिल की थी तो पूर्वोत्तर क्षेत्र आज की तुलना में काफी अलग था, शुरू में इस क्षेत्र को भारत के विभाजन के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था, क्योंकि यह अचानक संचार, शिक्षा और व्यापार एवं वाणिज्य के लिए ढाका और कोलकाता जैसे प्रमुख केंद्रों से कट गया था। पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों को जोड़ने वाला एकमात्र गलियारा पश्चिम बंगाल के उत्तर में भूमि की एक संकरी पट्टी थी, जिससे यहां विकास कार्य काफी चुनौतीपूर्ण हो गए थे, फिरभी हमने भौगोलिक चुनौतियों से निपटने केलिए लगन से काम किया, 75 वर्ष में पूर्वोत्तर ने विभिन्न मानकों पर महत्वपूर्ण प्रगति की है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि पूर्वोत्तर क्षेत्रमें अपार शक्तियां अंतर्निहित हैं, पर्यटन, बागवानी, हथकरघा और खेल के मामले में इसकी पेशकश अक्सर अनोखी होती है। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर राज्यों को औद्योगिक रूपसे उन्नत राज्यों के बराबर बनाने केलिए प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि यहां अधिक रोज़गार सृजित हो सके, इस जरूरत का ध्यान में रखते हुए सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है, ताकि कारोबारी सुगमता मानकों में सुधार लाया जा सके और पूर्वोत्तर में निजी निवेश का प्रवाह बढ़ाया जा सके। जलवायु परिवर्तन को मानव जाति केलिए सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि पूर्वोत्तर की समृद्ध पारिस्थितिकी विरासत को संरक्षित करने केलिए आनेवाले वर्षों में सावधानीपूर्वक योजना बनाने और प्रयास करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहाकि यह क्षेत्र हिमालयी और इंडो-बर्मा जैव-विविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा है, जो दुनिया के ऐसे 25 हॉटस्पॉट में से दो हैं, इसलिए इस क्षेत्र के विकास में प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, पर्यावरण के अनुकूल औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचे के विकास पर गौर करने के साथ-साथ सतत खपत पैटर्न केलिए उपयुक्त रणनीतियों को एकीकृत करना चाहिए।