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उपराष्ट्रपति का लोकोन्मुखी पुलिस बल का सपना!

पुलिस सुधार अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय-उपराष्ट्रपति

पुस्तक 'द स्ट्रगल फॉर पुलिस रिफार्म्स इन इंडिया' का विमोचन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 9 May 2022 01:21:05 PM

police reforms very important and sensitive subject- vice president

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने कहा हैकि पुलिस सुधार एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय है, हमें इन सुधारों को लागू करने पर नए सिरे से जोर देना चाहिए और मुझे उम्मीद हैकि देश में बहुत जरूरी पुलिस सुधारों को लागू करने केलिए राज्य और केंद्र टीम इंडिया की सच्ची भावना से एकसाथ आएंगे। उन्होंने कहाकि एक प्रगतिशील, आधुनिक भारत में निश्चित रूपसे एक ऐसा पुलिस बल होना चाहिए, जो लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को पूरा करे। उन्होंने पुलिस बलों में सुधारों को लागू करने केलिए फिरसे जोर देने की अपील की। उन्होंने कहाकि आज समाज साइबर अपराध, आर्थिक अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसे नए डोमेन में अपराधों की भीड़ का सामना कर रहा है, जिसके लिए विशेष खोजी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, हमें 21वीं सदी के इन अपराधों से निपटने केलिए अपने पुलिस बलों को कौशल और उन्नत बनाने की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने ये बातें पूर्व आईपीएस अधिकारी प्रकाश सिंह की पुस्तक 'द स्ट्रगल फॉर पुलिस रिफार्म्स इन इंडिया' के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं। उपराष्ट्रपति ने विशेष रूपसे उन मुद्दों, जिसमें पुलिस विभागों में भारी संख्या में रिक्तपदों को भरना और आधुनिक युग की पुलिसिंग की आवश्यकताओं के अनुरूप पुलिस के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल है और जिनसे युद्धस्तर पर निपटने की आवश्यकता है को रेखांकित किया। उपराष्ट्रपति ने जमीनी स्तरपर पुलिस बल को विशेष रूपसे मजबूत करने का आह्वान किया, जो ज्यादातर मामलों में सबसे पहले कदम उठाने वाले होते हैं। वेंकैया नायडु ने पुलिस कर्मियों की आवास सुविधाओं में सुधार लाए जाने कीभी इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहाकि आम आदमी के प्रति पुलिसकर्मियों का व्यवहार विनम्र और मित्रतापूर्ण होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से इस संबंध में उदाहरण प्रस्तुत करने की अपील की। उन्होंने कहाकि पुलिस स्टेशन जाना ऐसे व्यक्ति केलिए परेशानी मुक्त अनुभव होना चाहिए, जो वहां मदद मांगने जाता है, इसके लिए सुधार करनेवाली पहली चीज पुलिस का रवैया है-उन्हें खुले विचारों वाला, संवेदनशील और प्रत्येक नागरिक की चिंताओं केप्रति ग्रहणशील होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि हालांकि पिछले कुछ वर्षों में सुधारों को लागू करने के कई प्रयास हुए हैं, लेकिन अपेक्षित सीमातक प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार सुधारों को समुचित रूपसे लागू करने केलिए राज्यों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की अपील की। उपराष्ट्रपति ने देश में कानून-व्यवस्था कायम रखने और भारत के आर्थिक विकास को बनाए रखने केलिए पुलिस सुधारों की आवश्यकता को भी दोहराया। उन्होंने कहाकि प्रगति केलिए पहली शर्त शांति है। भारत में पुलिस व्यवस्था के इतिहास का स्मरण करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि 1857 के विद्रोह केबाद अंग्रेजों ने अपने साम्राज्यवादी हितों को बनाए रखने के मुख्य उद्देश्य केसाथ एक पुलिस बल का निर्माण किया और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मुख्य रूपसे स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारियों के उत्पीड़न एवं दमन केलिए पुलिस का उपयोग किया। उन्होंने कहाकि आजादी केबाद पुलिस व्यवस्था में व्यापक सुधारों की आवश्यकता थी, दुर्भाग्य से हम इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में पिछड़ गए हैं। वेंकैया नायडु ने कहाकि स्वतंत्रता केबाद के वर्षों में मूल्यों और प्रथाओं में महत्वपूर्ण क्षरण केसाथ पुलिस बल का तेजीसे राजनीतिकरण किया गया है।
वेंकैया नायडु ने कहाकि लोगों केलिए अनुकूल बल के रूपमें देखे जाने के बजाय इसे अभिजात्य और सत्ता के अनुकूल होने के रूपमें देखा गया। आपातकाल में पुलिस बल के दुरुपयोग की घटनाओं का उल्लेख करते हुए वेंकैया नायडु ने कहाकि इसका इस्तेमाल मानवाधिकारों का दमन करने और सत्तारूढ़ सरकार के सभी राजनीतिक विरोधियों सहित हजारों लोगों को गिरफ्तार करने केलिए किया गया था। उन्होंने स्मरण कियाकि इसके बाद 1977 में राष्ट्रीय पुलिस आयोग की स्थापना की गई, जिसने पुलिस सुधारों केलिए विस्तृत बहुआयामी प्रस्तावों केसाथ रिपोर्ट प्रस्तुत की। बहरहाल उपराष्ट्रपति ने कहाकि हमारे पुलिस बलों में व्यक्तिगत और संस्थागत स्तरपर सुधार लाने के मामले में बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने 2006 के पुलिस सुधारों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को कार्यांवित न करने पर निराशा जताते हुए कहाकि पुलिसिंग राज्य का विषय है और राज्यों कोही पुलिस सुधारों की दिशामें इस अभियान का नेतृत्व करना है। 
वेंकैया नायडु ने बेहतर पुलिस व्यवस्था की दिशा में भारत सरकार की पहलों में छोटे अपराधों और उल्लंघनों को अपराध से मुक्त करने की परियोजना एवं कैदियों की पहचान अधिनियम-1920 एक ऐसा कानून जिसे 100 साल पहले पारित किया गया था, में संशोधन का प्रस्ताव शामिल है पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने पुलिस को एक स्मार्ट बल जो सख्त और संवेदनशील, आधुनिक व गतिशील, सतर्क और जवाबदेह, विश्वसनीय एवं उत्तरदायी, तकनीक अनुकूल और प्रशिक्षित बल का प्रतीक है, बनाने की प्रधानमंत्री की अपील की भी सराहना की। वेंकैया नायडु ने पुलिस के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक उपयोग को उच्च प्राथमिकता देने केलिए सरकार की सराहना की। उन्होंने विशेष रूपसे पुलिस के पेशेवर और नैतिक मानकों में सुधार केलिए आंतरिक सुधार लाने, प्रौद्योगिकी अपनाने, डिजिटल परिवर्तन और प्रशिक्षण के जरिए एक स्मार्ट भारतीय पुलिस के दृष्टिकोण को साकार करने के प्रयासों केलिए भारतीय पुलिस फाउंडेशन की भी प्रशंसा की। वेंकैया नायडु ने व्यवस्था में लोगों का विश्वास बनाए रखने केलिए नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध आपराधिक मामलों के त्वरित निपटान की आवश्यकता पर बल दिया।
उपराष्ट्रपति ने निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच अनैतिक दलबदल को हतोत्साहित करने के लिए दलबदल विरोधी कानून में सुधार का आह्वान किया। देश में पुलिस सुधारों के ध्येय को आगे बढ़ाने केलिए लेखक की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने उनकी पुस्तक को उल्लेखनीय उदाहरण बतायाकि एक अधिकारी अपने अकेले प्रयासों से क्या उपलब्धि अर्जित कर सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि देश में एक लोकोन्मुखी पुलिस बल का उद्भाव होगा, जो कानून के शासन को बनाए रखने को सर्वोच्च महत्व देगा। उपराष्ट्रपति ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपराधियों, आतंकवादियों, चरमपंथियों और सभी प्रकार के अराजक तत्वों से जूझते हुए कर्तव्य की राह में अपने प्राणों की आहुति देने वाले पुलिसकर्मियों को भी श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम में इंडिया टुडे के कार्यकारी संपादक कौशिक डेका, कॉमन कॉज के निदेशक विपुल मुद्गल, भारतीय पुलिस फाउंडेशन के अध्यक्ष एन रामचंद्रन, रूपा प्रकाशन के प्रबंध निदेशक कपिश मेहरा, सेवानिवृत्त आईपीएस एनके सिंह और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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