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Sunday 15 May 2022 05:16:11 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैशाख बुद्ध पूर्णिमा पर अपनी लुंबिनी यात्रा के बारेमें जानकारी देते हुए बताया हैकि वे नेपाल के प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा के निमंत्रण पर 16 मई 2022 को लुंबिनी जाएंगे। प्रधानमंत्री ने बतायाकि वे भगवान गौतम बुद्ध जयंती के अवसर पर मायादेवी मंदिर में पूजा-अर्चना करने केलिए उत्सुक हैं और लाखों भारतीयों की तरह भगवान गौतम बुद्ध की पवित्र जन्मस्थली पर श्रद्धा अर्पित करने का अवसर पाकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनकी पिछले महीने नेपाल के प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा की भारत यात्रा केदौरान हुई चर्चा केबाद वे उनसे फिरसे मिलने केलिए उत्सुक हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम जलविद्युत, विकास और कनेक्टिविटी सहित कई क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने केलिए अपनी साझा समझ का निर्माण करना जारी रखेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतायाकि वे लुंबिनी मठ क्षेत्रमें इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बौद्ध कल्चर एंड हेरिटेज के शिलान्यास समारोह में भाग लेंगे और नेपाल सरकार के बुद्ध जयंती पर आयोजित समारोहों में भी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि नेपाल केसाथ भारत के संबंध अद्वितीय हैं, भारत और नेपाल केबीच सभ्यतागत और लोगों के आपसी संपर्क हमारे घनिष्ठ संबंधों को स्थायित्व प्रदान करते हैं। उन्होंने कहाकि उनकी यात्रा का उद्देश्य भारत और नेपाल केबीच मज़बूत संबंधों का उत्सव मनाना तथा इन्हें और प्रगाढ़ करना है, जिन्हें सदियों से प्रोत्साहन मिला है एवं जिन्हें हमारे आपसी मेल-जोल के लंबे इतिहास में दर्ज किया गया है। गौरतलब हैकि भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की वित्तीय सहायता से लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट के तत्वावधान में इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फ़ेडरेशन अद्वितीय 'इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बुद्धिस्ट कल्चर एंड हेरिटेज' का निर्माण कर रहा है। इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फ़ेडरेशन संस्कृति मंत्रालय केतहत एक अनुदान प्राप्त संस्था है। बौद्ध केंद्र नेपाल में पहला ‘नेट जीरो इमिशन’ भवन होगा।
संस्कृति मंत्रालय, इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फ़ेडरेशन के सहयोग से नई दिल्ली में वैशाख बुद्ध पूर्णिमा दिवस समारोह केलिए एक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसमें लुंबिनी में दिन में शुरू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बौद्ध संस्कृति एवं विरासत केंद्र के शिलान्यास समारोह को पर्दे पर दिखाया जाना आयोजन का मुख्य आकर्षण होगा। विभिन्न बौद्ध स्थलों से मंत्रोच्चार केसाथ कार्यक्रम दोपहर 2 बजे शुरू होगा, जिसे पर्दे पर दिखाया जाएगा। इसमें केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू, संस्कृति, पर्यटन एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी और संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल मुख्य अतिथि के रूपमें शामिल होंगे। वैशाख बुद्ध पूर्णिमा को तीन मंगल कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है, जो भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण का प्रतीक है। इसी दिन बुद्ध का जन्म नेपाल में लुम्बिनी में हुआ था, उन्होंने बिहार के बोधगया में ज्ञान प्राप्त किया था, सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया था।
लुम्बिनी वह पवित्र स्थान है, जहां रानी महामायादेवी ने लगभग 623 ईसा पूर्व में सिद्धार्थ गौतम को जन्म दिया था, जो आगे जाकर भगवान गौतम बुद्ध कहलाए। भगवान गौतम बुद्ध का जन्मस्थान लुंबिनी तीर्थस्थान बन गया, जहां तीर्थयात्रियों में भारतीय सम्राट अशोक भी गए और उन्होंने वहां अपना एक स्मारक स्तंभ बनवाया था। यह स्थल अब एक बौद्धतीर्थ केंद्र के रूपमें विकसित किया जा रहा है, जहां भगवान बुद्ध के जन्म से जुड़े पुरातात्विक अवशेष एक मुख्य विशेषता हैं। म्यांमार का स्वर्ण मंदिर, तारा फाउंडेशन मंदिर, श्रीलंका मठ, कोरियाई मंदिर (दाए सुंग शाक्य), कंबोडियन मठ और वियतनामी फाट क्वोकटू मंदिर क्षेत्र के कुछ अन्य विहार और मठ भी हैं, जहां भगवान गौतम बुद्ध के अनेक रूपों का दर्शन और वर्णन मिलता है। लुंबिनी नेपाल के सबसे पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण स्थानों मेसे एक माना जाता है, जिसके परिणामस्वरूप इसे यूनेस्को ने विश्वविरासत क्षेत्रों की सूची में शामिल किया है।
इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फ़ेडरेशन का मुख्यालय नई दिल्ली में है। एक अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध अंब्रेला संस्था के रूपमें 2013 में इसका गठन किया गया था, यह दुनियाभर में बौद्धों केलिए एक सामान्य मंच के रूपमें काम करता है, इसे सर्वोच्च बौद्ध धार्मिक पदानुक्रम के संरक्षण में स्थापित होने का सम्मान प्राप्त है। इसका उद्देश्य साझा बौद्ध मूल्यों और सिद्धांतों को संरक्षित, प्रचारित करने और बढ़ावा देने केलिए दुनियाभर में विभिन्न बौद्ध संगठनों और परंपराओं केलिए एक मंच तैयार करना है। इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फ़ेडरेशन नेपाल में बौद्ध संगठनों को एकसाथ करनेमें सक्रिय रूपसे शामिल रहा है और कई वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं केसाथ इसके मजबूत संबंध हैं। आशा की जाती हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लुंबिनी यात्रा और साझा बौद्ध विरासत एवं संस्कृति के माध्यम से भारत-नेपाल संबंधों को और मजबूती मिलेगी।