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Monday 16 May 2022 06:40:13 PM
लुंबिनी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैशाख पूर्णिमा पर लुंबिनी में इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर एंड मेडिटेशन हॉल में 2566वें बुद्ध जयंती और लुंबिनी दिवस-2022 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा हैकि बुद्ध हर किसी के हैं, हर किसी केलिए हैं। उन्होंने कहाकि उन्हें पहलेभी वैशाख पूर्णिमा के दिन तथागत भगवान गौतम बुद्ध से जुड़े दिव्य स्थलों उनसे जुड़े आयोजनों में जाने का अवसर मिलता रहा है और आज भारत के मित्र नेपाल में भगवान गौतम बुद्ध की पवित्र जन्मस्थली लुम्बिनी आने का सौभाग्य मिला है। प्रधानमंत्री ने कहाकि कुछ देर पहले उन्होंने मायादेवी मंदिर में दर्शन-पूजन किया, जो उनके लिए अविस्मरणीय है, वो जगह जहां स्वयं भगवान गौतम बुद्ध ने जन्म लिया हो, वहां की ऊर्जा, चेतना ये एक अलग ही एहसास है। उन्होंने कहाकि उन्हें ये देखकर खुशी हुई हैकि इस स्थान केलिए 2014 में उन्होंने महाबोधि वृक्ष का जो पौधा भेंट किया था, वो अब विकसित होकर एक वृक्ष बन रहा है। समारोह में नेपाल के प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा और उनकी पत्नी डॉ आरजू राणा देउबा, नेपाल के संस्कृति, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री प्रेमबहादुर अले, जोकि लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट (एलडीटी) के अध्यक्ष भी हैं, लुंबिनी के मुख्यमंत्री कुलप्रसाद केसी, एलडीटी के उपाध्यक्ष मेतैय्या शाक्य पुट्टा और नेपाल सरकार के कई मंत्री शामिल हुए। इस अवसर पर दोनों प्रधानमंत्रियों ने वहां उपस्थित बौद्ध भिक्षुओं को चीवर भेंट करके उन्हें सम्मानित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि पशुपतिनाथ हों, मुक्तिनाथ हों चाहे जनकपुरधाम हो या फिर लुम्बिनी मैं जब-जब नेपाल आता हूं, नेपाल अपने आध्यात्मिक आशीर्वाद से मुझे कृतार्थ करता है। उन्होंने कहाकि जनकपुर में मैंने कहा थाकि नेपाल के बिना हमारे राम भी अधूरे हैं और मुझे पता है कि आज जब भारत में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है तो नेपाल के लोग भी उतना ही ख़ुशी महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि नेपाल यानी, दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत-सागरमाथा का देश, दुनिया के अनेक पवित्र तीर्थों, मंदिरों और मठों का देश, दुनिया की प्राचीन सभ्यता संस्कृति को सहेजकर रखने वाला देश। नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत और भारत के लोगों ने हजारों सालों से नेपाल को इसी दृष्टि और आस्था केसाथ देखा है। उन्होंने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि कुछ समय पहले जब शेरबहादुर देउबा और आरज़ू देउबा जब भारत गए आए थे और काशी विश्वनाथ धाम की यात्रा की थी तो उन्हें भी ऐसी ही अनुभूति भारत केलिए होना बहुत स्वाभाविक है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये सांझी विरासत, संस्कृति, आस्था और प्रेम यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम दुनिया तक भगवान गौतम बुद्ध का संदेश पहुंचा सकते हैं, दुनिया को दिशा दे सकते हैं, आज जिस तरह की वैश्विक परिस्थितियां बन रही हैं, उसमें भारत-नेपाल की निरंतर मजबूत मित्रता, घनिष्ठता संपूर्ण मानवता के हित का काम करेगी और इसमें भगवान गौतम बुद्ध केप्रति हम दोनों ही देशों की आस्था उनके प्रति असीम श्रद्धा हमें एक सूत्र में जोड़ती है, एक परिवार का सदस्य बनाती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि बुद्ध मानवता के सामूहिक बोध का अवतरण हैं, बुद्ध बोध भी हैं और बुद्ध शोध भी हैं, बुद्ध विचार भी हैं और बुद्ध संस्कार भी हैं, बुद्ध इसलिए विशेष हैं, क्योंकि उन्होंने केवल उपदेश नहीं दिए, बल्कि उन्होंने मानवता को ज्ञान की अनुभूति करवाई। उन्होंने महान वैभवशाली राज्य और चरम सुख सुविधाओं को त्यागने का साहस किया। निश्चित रूपसे उनका जन्म किसी साधारण बालक के रूपमें नहीं हुआ था, लेकिन उन्होंने हमें ये एहसास करायाकि प्राप्ति सेभी ज्यादा महत्व त्याग का होता है, त्याग से ही प्राप्ति पूर्ण होती है, इसीलिए वो जंगलों में विचरे, तप किया, शोध किया, उस आत्मशोध केबाद जब वो ज्ञान के शिखर तक पहुंचे तो भी उन्होंने किसी चमत्कार से लोगों का कल्याण करने का दावा कभी नहीं किया, बल्कि भगवान बुद्ध ने हमें वो रास्ता बताया, जो उन्होंने खुद जिया था, उन्होंने हमें मंत्र दिया था-अपना दीपक स्वयं बनो, मेरे वचनों को भी मेरे प्रति आदर के कारण ग्रहण मत करो, बल्कि उनका परीक्षण करके उन्हें आत्मसात करो।
प्रधानमंत्री ने कहाकि भगवान बुद्ध से जुड़ा एक और विषय है, जिसका आज मैं ज़रूर जिक्र करना चाहता हूंकि वैशाख पूर्णिमा का दिन लुम्बिनी में सिद्धार्थ के रूपमें बुद्ध का जन्म हुआ, इसी दिन बोधगया में वो बोध प्राप्त करके भगवान बुद्ध बने और इसी दिन कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ, एक ही तिथि, एक ही वैशाख पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध की जीवन यात्रा के ये पड़ाव केवल संयोग मात्र नहीं था, इसमें बुद्धत्व का वो दार्शनिक संदेश भी है, जिसमें जीवन, ज्ञान और निर्वाण, तीनों एकसाथ हैं, यही मानवीय जीवन की पूर्णता है और संभवत: इसीलिए भगवान बुद्ध ने पूर्णिमा की इस पवित्र तिथि को चुना होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब हम मानवीय जीवन को इस पूर्णता में देखने लगते हैं तो विभाजन और भेदभाव केलिए कोई जगह नहीं बचती, तब हम खुदही ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की उस भावना को जीने लगते हैं, जो ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ से लेकर ‘भवतु सब्ब मंगलम्’ के बुद्ध उपदेश तक झलकती है, इसीलिए भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठकर बुद्ध हर किसी के हैं, हर किसी केलिए हैं। उन्होंने कहाकि भगवान बुद्ध केसाथ मेरा एक और संबंध भी है, जिसमें अद्भुत संयोग भी है और जो बहुत सुखद भी है, जिस स्थान पर मेरा जन्म हुआ, गुजरात का वडनगर, वहां सदियों पहले बौद्ध शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र था, आज भी वहां प्राचीन अवशेष निकल रहे हैं, जिनके संरक्षण का काम जारी है और हम तो जानते हैंकि हिंदुस्तान में कई नगर ऐसे हैं, कई शहर, कई स्थान ऐसे हैं, जिसको लोग बड़े गर्व केसाथ उस राज्य की काशी के रूपमें जानते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत में सारनाथ, बोधगया और कुशीनगर से लेकर नेपाल में लुम्बिनी तक ये पवित्र स्थान हमारी सांझी विरासत और सांझे मूल्यों का प्रतीक है, हमें इस विरासत को साथ मिलकर विकसित करना है आगे समृद्ध भी करना है। उन्होंने कहाकि अभी हम दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने यहां बौद्ध संस्कृति और विरासत के लिए भारत अंतर्राष्ट्रीय केंद्र का शिलान्यास भी किया है, इसका निर्माण भारत का अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ द्वारा किया जाएगा और हमारे सहयोग के इस दशकों पुराने सपने को साकार करने में प्रधानमंत्री देउबाजी का अहम योगदान है, लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूपमें उन्होंने इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन को इसके लिए ज़मीन देने का निर्णय लिया था और अब इस प्रोजेक्ट को पूरा करने मेभी उनकी ओरसे पूरा सहयोग किया जा रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि खुशी हैकि नेपाल सरकार, बुद्ध सर्किट और लुम्बिनी के विकास के सभी प्रयासों को सहयोग दे रही है, विकास की सभी संभावनाओं को भी साकार कर रही है, नेपाल में लुम्बिनी म्यूज़ियम का निर्माण भी दोनों देशों के साझा सहयोग का उदाहरण है और आज हमने लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय में बाबासाहेब डॉ भीमराव आम्बेडकर बौद्ध अध्ययन केलिए कुर्सी स्थापित करने का भी निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत और नेपाल की सरकारों ने भैरहवा और सोनौली में एकीकृत चेक पोस्ट बनाने जैसे फैसले भी लिए हैं, इसका काम भी शुरू हो गया है, ये पोस्ट्स बनने केबाद बार्डर पर लोगों के आवागमन केलिए सुविधा बढ़ेगी, भारत आनेवाले इंटरनेशनल पर्यटक ज्यादा आसानी से नेपाल आ सकेंगे, साथ ही इससे व्यापार और जरूरी चीजों के परिवहन को भी गति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमें अपने इन स्वाभाविक और नैसर्गिक रिश्तों को हिमालय जितनी ही नई ऊंचाई भी देनी है, खान-पान, गीत-संगीत, पर्व-त्योहार और रीति-रिवाजों से लेकर पारिवारिक सम्बंधों तक जिन रिश्तों को हमने हजारों सालों तक जिया है, अब उन्हें साइन्स, टेक्नालजी और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों सेभी जोड़ना है। उन्होंने कहाकि लुम्बिनी बुद्धिस्ट यूनिवर्सिटी, काठमांडू यूनिवर्सिटी और त्रिभुवन यूनिवर्सिटी में भारत का सहयोग और प्रयास इसके बड़े उदाहरण हैं और मैं इस क्षेत्र में अपने आपसी सहयोग के विस्तार केलिए और भी कई बड़ी संभावनाएं देखता हूं। उन्होंने कहाकि हमारे सक्षम युवा सफलता के शिखर पर बढ़ते हुए पूरी दुनिया में बुद्ध की शिक्षाओं के संदेशवाहक बनेंगे। इस अवसर पर बौद्ध भिक्षु एवं बौद्ध धर्मावलंबी और विभिन्न देशों से पधारे गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे।