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Friday 20 May 2022 12:04:56 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘स्वराज से नव-भारत तक भारत के विचारों का पुनरावलोकन’ विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा हैकि स्वराज की संपूर्ण कल्पना ही न्यू इंडिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग ने संगोष्ठी का आयोजन किया है। गृहमंत्री ने कहाकि आज़ादी केबाद स्वराज शब्द की बहुत अलग तरीक़े से व्याख्या की गई, इसे सिर्फ़ शासन व्यवस्था तक सीमित कर दिया गया, जबकि हमारी स्वराज की कल्पना में स्वशब्द का बहुत वृहद महत्व है, स्वराज की व्याख्या करने वालों ने आज़ादी केबाद स्वशब्द को बहुत डाइल्यूट और शासन शब्द को बहुत बड़ा कर दिया। अमित शाह ने कहाकि स्वराज की व्याख्या में स्वदेशी, स्वभाषा, स्वधर्म, हमारी संस्कृति और देश का विचार सर्वोच्च हो ये अपने आप आते हैं, ये उसके अभिन्न हिस्सा हैं। अमित शाह ने कहाकि अगर हम भारत को जियो-पॉलिटिकल देश के रूपमें देखेंगे तो हम कभी भारत को समझ नहीं पाएंगे, भारत एक भू-सांस्कृतिक देश है और जबतक इस बातको हम नहीं समझेंगे हम भारत की कल्पना को समझ नहीं सकते।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि परिवर्तन के विचार, नीति और कल्पना का वाहक विश्वविद्यालय और विद्यार्थी ही हो सकते हैं और जबभी युग बदलता होता है तो उस परिवर्तन का वाहक हमेशा विश्वविद्यालय ही होता है। उन्होंने कहाकि किसी भी संस्था केलिए सौ साल केबाद भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना अपने आपमें बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। उन्होंने कहाकि देश में इतने सारे विश्वविद्यालयों केबीच दिल्ली विश्वविद्यालय ने ना केवल अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है, बल्कि अपने नेतृत्व के गुण कोभी संजोकर रखा है। अमित शाह ने विश्वास व्यक्त कियाकि देश में 2014 से परिवर्तन का जो युग शुरू हुआ है, इसकी वाहक भी दिल्ली यूनिवर्सिटी बने। गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि अंग्रेज़ों ने वर्ष 1922 में दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी, कई ऐतिहासिक प्रसंगों का दिल्ली विश्वविद्यालय साक्षी रहा है, वर्ष 1975 में देश के लोकतंत्र को बचाने के आंदोलन में दिल्ली यूनिवर्सिटी का भी बहुत बड़ा योगदान था। अमित शाह ने कहाकि देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और ये यात्रा हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
अमित शाह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन 25 साल को संकल्प सिद्धि के 25 साल के रूपमें वर्णित किया है। उन्होंने कहाकि हज़ारों साल से हमारी चिरपुरातन सांस्कृतिक प्रवाह बह रहा है और इसने जिन-जिन लोगों को अपने आग़ोश में लिया वो भारत है, हमारी संस्कृति ही भारत को जोड़ती है और एक रखती है, इस विचार को जबतक हम नहीं अपनाएंगे, नए भारत की कल्पना हम नहीं कर सकते। उन्होंने कहाकि विश्व में जो कुछ भी अच्छा है, उसे स्वीकार करना भारत का मूलभूत स्वभाव है, हज़ारों सालों से हम वसुधैव कुटुंबकम को मानकर चलने वाले लोग हैं। गृहमंत्री ने कहाकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में समविकास की परिकल्पना को चरितार्थ करने का कार्य हुआ है, कई उपलब्धियां हासिल हुई हैं, देश के 80 करोड़ लोग आज अपने आपको भारत की व्यवस्था का हिस्सा मानते हैं। गृहमंत्री ने कहाकि जब हम नवभारत की बात करते हैं तो नवभारत किस रास्ते पर महासत्ता बनेगा, किस रास्ते पर सामर्थ्यवान देशों की सूची में सबसे ऊपर होगा, वह रास्ता मोदीजी ने तय कर दिया है और उस रास्ते में 8 साल की हमारी यात्रा समाप्त भी हो गई है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहाकि जहां तक सुरक्षित भारत का सवाल है, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पहले भारत की कोई रक्षा नीति ही नहीं थी, हम विदेश नीति को ही रक्षा नीति मानते थे, भारत पर सालों से हमारे पड़ोसी देशों द्वारा प्रच्छन्न रूपसे हमले होते थे, आतंकवादी भेजे जाते थे, उरी और पुलवामा में इन 8 साल में भी जब ये प्रयास हुए तो भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करके घर में घुसकर मुंहतोड़ जवाब दिया, तब समग्र विश्व के सामने भारत की रक्षा नीति क्या है, यह स्पष्ट हो गई। उन्होंने कहाकि हम विश्वभर के देशों केसाथ अच्छे रिश्ते रखना चाहते हैं, हम सबको साथ में लेकर चलना चाहते हैं, हम शांति चाहते हैं और शांति के पुजारी भी हैं, मगर जो हमारी सेना और सीमा केसाथ छेड़खानी करेगा उसको उसीकी भाषा में जवाब देने केलिए हम दृढ़ निश्चयी भी हैं। अमित शाह ने कहाकि पहलीबार देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के मामले में देश ने निर्णायक भाषा केसाथ विश्व को अपना परिचय कराया हैकि भारत की सीमाओं का कोई अपमान नहीं कर सकता और यह निर्णायक परिचय पूरे विश्व में भारत के परिचय में परिवर्तित हुआ है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि जब कभी रक्षाक्षेत्र की बात होती थी, तब दो ही देशों की बात होती थी अमेरिका और इजराइल, जो अपनी सीमाओं की सुरक्षा केलिए सचेत और चौकन्ने रहते हैं, आज उन 2 देशों की सूची में भारत का नाम जोड़ने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। गृहमंत्री ने कहाकि पूर्वोत्तर में बहुत सारे हथियारबंद समूह थे और इन 8 साल में इन समूहों के 9000 काडर अपने हथियार डालकर देश की मुख्यधारा में आए हैं, बहुत सारे समझौते हुए हैं जैसे-कार्बी आंगलोंग, बोडोलैंड, ब्रू और एनएलएफटी। उन्होंने कहाकि पहले एएफएसपीए हटाने केलिए आंदोलन करने पड़ते थे और भारत सरकार के लोग बचाव की मुद्रा में जवाब देते थे, लेकिन आज नार्थ ईस्ट में शांति स्थापित होने के कारण उत्तर पूर्व के 75 प्रतिशत हिस्से से हमने एएफएसपीए को हटाने का काम किया है, एएफएसपीए को आईडियोलॉजी और मानवाधिकार के नाम पर हटाने वालों को यह जवाब है। उन्होंने कहाकि मानवाधिकार उनका भी है, जो आतंकवाद में मारे जाते हैं, आतंकवाद फैलाने वालों के मानवाधिकारों की चर्चा करनेवालों से मैं कहता हूंकि उनके मानवाधिकार की रक्षा केलिए कानून को हटा देना नहीं है, बल्कि ऐसी स्थिति निर्मिति करना, जहां कानून की जरूरत ही ना पड़े, हमने वहां इस प्रकार की स्थिति बनाई है।
अमित शाह ने कहाकि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटा दिया गया और जो लोग कहते थेकि खून की नदियां बहेंगी, तो मोदी सरकार की नीतियों के कारण खून की नदियां बहना तो दूर की बात है, कंकर फेंकने की भी किसीकी हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने कहाकि जब दृढ़ता के साथ निश्चित उद्देश्य को मन में रखकर कोई शासन करता है तो परिवर्तन किस प्रकार से आता है, यह इसका उदाहरण है। उन्होंने कहाकि वामपंथी उग्रवाद के क्षेत्र में भी हमने विकास और सुरक्षा के मोर्चे पर कई प्रयास किए हैं, नए भारत की कल्पना में सुरक्षित भारत है। अमित शाह ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भारत के भविष्य का उज्जवल दस्तावेज बताया। उन्होंने कहाकि हर प्रकार के ज्ञान को एक प्लेटफार्म देने का प्रयास किया गया है, रोज़गारी को प्लेटफार्म देने का प्रयास है। उन्होंने कहाकि बच्चा पढ़-लिखकर सिर्फ़ ग्रेजुएट होकर ही बाहर ना निकले, उसमें जो क्षमता भरी पड़ी है, उनका संपूर्ण दोहन करने का उसको प्लेटफार्म देना पड़ेगा, किस प्रकार से उसको तैयार करना है, यही व्यवस्था नई शिक्षा नीति में है।
अमित शाह ने कहाकि नई शिक्षा नीति को बारीकी से देखेंगे तो मालूम पड़ेगा कि यह देश के लिए 5-3-3-4 का जो नया मॉडल आया है वो 10+2 के मॉडल की जगह कितना उपयुक्त होने वाला है। उन्होंने कहाकि मैं मानता हूंकि पहले 5 साल मातृभाषा में पढ़ाई बच्चे के विकास केलिए बहुत जरूरी है, न केवल बच्चे के विकास केलिए, बल्कि देश के विकास केलिए भी बहुत जरूरी है, क्योंकि हमारी संस्कृति, इतिहास, साहित्य, व्याकरण बच्चे को उसकी मातृभाषा में पढ़ाया जाए और अगर बच्चा उसी से कट जाता है तो वह अपने मूल से कट जाता है। उन्होंने कहाकि देश की शिक्षा व्यवस्था में सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं, बल्कि दुनिया की किसी भी भाषा का अभ्यास करें, लेकिन अगर मैं गुजराती न पढ़ूं, हिंदी न पढ़ूं तो मैं अपने आपको इस देश की मूलधारा केसाथ जोड़कर नहीं रख पाऊंगा। उन्होंने कहाकि नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना, आत्मसात करना, रिसर्च और प्रोफेशनल्स की एक ऐसी फौज तैयार करना, जो देश में आरएंडडी और प्रोफेशनलिज्म को बढ़ाएंगे, यही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्य हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहाकि भारत के युवाओं को मोदीजी ने अपार संभावनाओं के अलग-अलग मंच दिए हैं जैसे-नई शिक्षा नीति अनुसंधान और कौशल रिसर्च और स्किल को बढ़ावा देगी, कैपेसिटी बिल्डिंग पर शिक्षा नीति में बहुत ध्यान दिया गया है, हायर एजुकेशन में 8 साल के अंदर लगभग 2014 से 39 हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बनाए गए हैं, आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी, आईआईआईटी शुरू किए गए हैं, मेडिकल कॉलेज में 55% की वृद्धि हुई है और एमबीबीएस की सीटों में लगभग पौने 2 गुना वृद्धि और पीजी मेडिकल में 2 गुना वृद्धि की गई है। स्किल इंडिया मिशन केतहत स्किलिंग और रिस्किलिंग, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना-3 लॉंच हो चुकी है, लगभग 4 लाख युवाओं को हमने प्रशिक्षित किया है। उन्होंने कहाकि 2014 में 724 स्टार्टअप थे, आज 70 हजार से ज्यादा स्टार्टअप बनने की प्रक्रिया शुरू हुई है, 10,000 से अधिक स्टार्टअप तो सिर्फ कोरोनाकाल में बने हैं और 2014 में जो 724 स्टार्टअप थे, उनमें से सिर्फ चार स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में थे, लेकिन आज 51 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में हैं। उन्होंने कहाकि स्टार्टअप में 44% स्टार्टअप हमारी युवा बहनों के बनाए हुए हैं और यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
अमित शाह ने कहाकि मेक इन इंडिया के माध्यम से भारत को विश्व में उत्पादन का हब बनाने का हमने काम किया है, डिजिटल इंडिया, फिट इंडिया, एनिमेशन, सूर्योदय जैसी योजनाएं युवाओं केलिए हैं। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी की स्पष्ट रूपसे एक नीति हैकि इस देश को महान इस देश का युवा ही बना सकता है, इस देश को अगर हर क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचना है तो युवा को प्रेरित करना पड़ेगा, युवा को रास्ता दिखाना पड़ेगा और उन्हें मंच देना पड़ेगा। गृहमंत्री ने कहाकि कुछ लोग इस देश को समस्याओं का देश कहते हैं, लेकिन लाखों समस्याओं का समाधान भी इस देश के विचार में ही है। उन्होंने कहाकि यूनिवर्सिटी को वैचारिक लड़ाई का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए, आईडियोलॉजी यूनिवर्सिटी से ही उत्पन्न होती है, युवा आईडियोलॉजी में संघर्ष की जगह विमर्श को स्थान दें, जो श्रेष्ठ है वह अपने आप बाहर आ जाएगा। अमित शाह ने कहाकि आज देशमें एक नए प्रकार का विचार चल पड़ा है, अधिकारों की लड़ाई का। उन्होंने कहाकि संविधान ने हम सबको अधिकार दिए हैं, परंतु अधिकार के साथ-साथ दायित्व का भी संविधान ने उल्लेख किया है और कोई ऐसा अधिकार नहीं होता जो दायित्व निभाए बगैर हमें मांगना चाहिए, युवाओं को देश के प्रति, समाज के प्रति, गरीबों के प्रति अपने दायित्व का भी विचार करना चाहिए।
गृहमंत्री ने कहाकि एक नया विचार इस देश में कुछ साल से चल रहा है, अधिकारों की मांग को सबसे ज्यादा ताकतवर करना, इसके आधार पर असंतोष खड़ा करना, असंतोष को संगठित करके एक प्रकार की नई अव्यवस्था खड़ी करना। उन्होंने छात्रों से कहाकि कहा कि अगर थोड़ा कम अधिकार मिलेगा तो कुछ नहीं जाएगा, लेकिन अगर ज्यादा दायित्व की चिंता करेंगे तो किसी के अधिकार की अपने आप हम चिंता कर लेंगे। उन्होंने कहाकि यह देश हमेशा से अपने दायित्व केलिए भी हमेशा से जागृत रहा है, जोश और जुनून होना चाहिए, मगर उसका रास्ता भी सही होना चाहिए, अगर सही रास्ते पर हम नहीं जाएंगे तो हम देश का भला नहीं कर सकते। गृहमंत्री ने कहाकि स्वराज से नवभारत तक की कल्पना और इस विचार का पुनरावलोकन केलिए यह बहुत सही समय है और इस विषय पर विचार-विमर्श होना चाहिए। उद्घाटन समारोह में केंद्र्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह और शिक्षक एवं छात्र उपस्थित थे।