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Friday 20 May 2022 05:57:04 PM
मैसूरु (मैसूर)। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि कृषि तकनीकी से जुड़े स्टार्टअप्स भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य केलिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार के भारतीय कृषि के समक्ष उत्पन्न कठिनाइयों को दूर करने केलिए नीतिगत माहौल प्रदान किए जाने की वजह से इन कुछ वर्ष में भारत में कृषि तकनीक स्टार्टअप्स की एक नई लहर आई है। सीएसआईआर-सीएफटीआरई परिसर मैसूरू में कृषि तकनीकी और खाद्य तकनीकी विषय पर सम्मेलन सह-प्रदर्शनी को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, पुराने पड़ चुके उपकरणों के इस्तेमाल, अनुचित संरचना और किसानों की विभिन्न बाजारों का आकलन करने में अक्षमता जैसी कठिनाइयों को दूर किया गया है। उन्होंने संतोष व्यक्त कियाकि युवा उद्यमी अब आईटी सेक्टर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अपनी नौकरियां छोड़कर अपने खुद के स्टार्टअप स्थापित कर रहे हैं, इन युवा उद्यमियों ने अब इस तथ्य को महसूस करना शुरू कर दिया हैकि कृषि में निवेश करना बहुत सुरक्षित और लाभकारी व्यापारों मेंसे एक है।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि कृषि तकनीकी से जुड़े स्टार्टअप समूची कृषि मूल्य श्रृंखला के समक्ष उत्पन्न विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव विचार और किफायती समाधान सुझा रहे हैं, इन स्टार्टअप्स में इतना सामर्थ्य हैकि वे भारतीय कृषि क्षेत्र के परिदृश्य को बदल सकते हैं और अंततः किसानों की आय में वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि यह स्टार्टअप्स और नवोदित उद्यमी किसानों, कृषि सामग्री के डीलरों, थोक विक्रेताओं, फुटकर विक्रताओं और उपभोक्ताओं को एक-दूसरे से जोड़कर उनके लिए सशक्त बाजार संपर्क और समय पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्रदान करने वाली बीच की कड़ियां बन गए हैं। राज्यमंत्री ने कहाकि ‘भारत की खाद्य तकनीकी, कृषि तकनीकी और कृषि अर्थव्यवस्था परिदृश्य को परिवर्तित करने’ थीम पर आधारित ‘टेक भारत’ का तीसरा संस्करण एक बहुत ही सामयिक कार्यक्रम है, क्योंकि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभों मेंसे एक स्तंभ है, यहां की 54 प्रतिशत आबादी कृषि पर सीधे निर्भर है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका हिस्सा करीब 19 (21) प्रतिशत है। उन्होंने कहाकि भारतीय कृषि में बीते कुछ वर्ष में सतत प्रगति हुई है, लेकिन इस क्षेत्र में युवाओं और अभिनव विचारों को प्रोत्साहित करने केलिए कुछ ज्यादा नहीं किया गया।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कृषि क्षेत्र में आधुनिक नवीन प्रौद्योगिकी के उपयोग की वकालत की और बतायाकि इस्राइल, चीन और अमरीका जैसे देशों ने अपने यहां नई प्रौद्योगिकी की मदद से खेती करने के तरीकों में बड़ा परिवर्तन किया है। उन्होंने कहाकि इन देशों ने दिखा दिया हैकि प्रौद्योगिकी का वर्गीकरण जैसे हाइब्रिड बीज, सटीक खेती, डाटा के बड़े पैमाने पर विश्लेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जीओ टैगिंग और सेटेलाइट मॉनेटरिंग, मोबाइल ऐप और कृषि प्रबंधन सॉफ्टवेयर को खेती की पूरी प्रक्रिया में विभिन्न स्तरों पर लागू कर उपज और कृषि से होनेवाली आय को बढ़ाया जा सकता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष फरवरी में कृषि क्षेत्र केलिए देशभर में भारत में निर्मित 100 कृषि ड्रोन की शुरुआत की, ये अपनी अनूठी समकालिक उड़ानों से खेती की प्रक्रिया में सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा थाकि फसल के आकलन, भू-रिकॉर्डों के डिजिटाइजेशन और कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव केलिए किसान ड्रोन्स के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
राज्यमंत्री ने कहाकि ड्रोंस का इस्तेमाल फसल या अन्य प्रकार के पेड़-पौधों के स्वास्थ्य की जांच केलिए, खर-पतवार (चरस), संक्रमण और कीटों आदि से ग्रस्त खेतों की जांच तथा किसी खेत में रासायनिक उरवर्कों की सटीक जरूरतों का पता लगाने और इस तरह किसान की कुल लागत को कम करने केलिए किया जा सकता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने इस बात को रेखांकित कियाकि भारतीय कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जबर्दस्त क्षमता है, क्योंकि इससे देश की बहुत बड़ी आबादी जुड़ी हुई है। उन्होंने कहाकि कृषि तकनीकी और कुछ नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र में आधुनिक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर उपज को बढ़ाने, कुशलता लाने और राजस्व में वृद्धि करने का उपाय है। उन्होंने कहाकि इस परिकल्पना में किसी भी अनुप्रयोग, प्रक्रिया, उत्पादन और सेवाओं तक को शामिल किया जा सकता है और इससे कृषि प्रक्रिया के सभी आयामों को जोड़ा जा सकता है, चाहे वें कृषि उपयोग में आनेवाली वस्तुएं हों या उससे होने वाली उपज। राज्यमंत्री ने कहाकि भारत में बहुत से कृषि तकनीकी स्टार्टअप्स मुख्य रूपसे बाजार आधारित हैं, जहां ई-कॉमर्स कंपनियां ताजे और ऑर्गेनिक फल और सब्जियां सीधे किसानों से खरीद कर बिक्री करती हैं, लेकिन हालमें बहुत से स्टार्टअप्स ने किसानों की कठिनाइयों के अभिनव और टिकाऊ समाधान प्रदान करने शुरू किए हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि स्टार्टअप्स अब बायोगैस संयंत्र, सौर ऊर्जा चालित प्रशीतन गृह, बाड़ लगाने और पानी पम्प करने, मौसम का पूर्वानुमान करने, छिड़काव करने वाली मशीन, बुआई की मशीन और वर्टिकल फार्मिंग जैसे समाधानों से किसानों को आय बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि उन्हें पूरी उम्मीद हैकि इंटरनेट उपयोग में वृद्धि, स्मार्ट फोन के उपयोग में वृद्धि, स्टार्टअप्स के उभरने और ग्रामीण इलाकों में की जा रही सरकार की विभिन्न पहलों की वजह से कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को अपनाने की गति और तेज होगी। उन्होंने कहाकि कृषि क्षेत्र के ज्यादातर मसलों के प्रौद्योगिकी आधारित समाधान अभीभी हमारे पास हैं, लेकिन चुनौती उन समाधानों को देश के सिर्फ एक किसान तक ही नहीं, बल्कि हर किसान तक पहुंचाने की है। उन्होंने कहाकि अब समय आ गया हैकि जब हमें अपनी अर्थव्यवस्था के हर एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में प्रौद्योगिकी को बड़े पैमाने पर अपनाना होगा, ताकि कृषि और किसान समुदाय इससे लाभांवित हों और इसके बूते भारतीय अर्थव्यवस्था भी तेजीसे प्रगति करे। कार्यक्रम में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के चेयरमैन डॉ जीआर चिंतला, सीएसआईआर-सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट मैसूरू की निदेशक डॉ श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह, लघु उद्योग भारती-मैसूरू विभाग के अध्यक्ष महेश शिनॉय, लघु उद्योग भारती-मैसूरू विभाग के सचिव राजप्पा केसाथ ही कई वरिष्ठ अधिकारी, प्रतिनिधि और आमंत्रित लोग उपस्थित थे।