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Monday 30 May 2022 12:37:22 PM
उज्जैन। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उज्जैन में अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59वें महाधिवेशन का उद्घाटन करते हुए कहा हैकि हमारा स्वास्थ्य हमारे आहार, व्यवहार और यहां तककि हमारी दिनचर्या पर आधारित होता है। उन्होंने कहाकि हमारी दिनचर्या कैसी हो, ऋतुचर्या कैसी हो और औषध सेभी पहले हमारा आहार कैसा हो, यहसब आयुर्वेद में बताया गया है। उन्होंने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि लगभग 115 वर्ष पहले 1907 में अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन की स्थापना पवित्र गोदावरी नदी के किनारे कुंभनगरी नासिक में की गई थी और क्षिप्रा नदी के किनारे एक अन्य कुंभ नगरी उज्जैन में इसका 59वां अधिवेशन आयोजित किया गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत सरकार ने समय-समय पर भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के संरक्षण और संवर्धन केलिए अनेक उपाय किए हैं, परंतु वर्ष 2014 में आयुष मंत्रालय की स्थापना केबाद से इस कार्य में औरभी तेजी आई है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि संबंधित विभिन्न अनुसंधान परिषदों, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थाओं ने आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने योग एवं भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में सदैव विशेष रुचि प्रदर्शित की है, सम्मेलन के आयोजन में और शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय के आधुनिक भवन के निर्माण में भी प्रदेश सरकार का भरपूर योगदान है। उन्होंने कहाकि चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाने की दृष्टि से किए जा रहे इन सभी प्रयासों को देखकर यह विश्वास मजबूत होता हैकि राज्यपाल मंगूभाई सी पटेल के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चिकित्सा सुविधाओं को मध्य प्रदेश में लगातार संबल मिलता रहेगा और यह प्रदेश आयुर्वेदिक चिकित्सा का भी पसंदीदा गंतव्य बनेगा। रामनाथ कोविंद ने उज्जैन में शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय में लगभग 20 करोड़ रुपए के इस आधुनिक भवन के निर्माण से आयुर्वेदिक शिक्षण, प्रशिक्षण और उपचार की सुविधाओं को निश्चित ही बढ़ावा मिलेगा।
राष्ट्रपति ने कहाकि दुनियाभर में कई चिकित्सा प्रणालियां प्रचलित हैं, लेकिन आयुर्वेद उनसे अलग है, आयुर्वेद का अर्थ है-जीवन का विज्ञान, 'पैथी' शब्द दुनिया में प्रचलित कई चिकित्सा प्रणालियों से जुड़ा है, इसका अर्थ है किसी बीमारी के होने पर उसका इलाज करने की विधि, लेकिन आयुर्वेद में स्वास्थ्य के साथ-साथ बीमारियों से बचाव पर भी बल दिया गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि हम भाग्यशाली हैंकि हमें आयुर्वेद का पारंपरिक ज्ञान है, लेकिन आज प्रमाणन और गुणवत्ता केलिए अनुसंधान और अन्वेषण का समय है। उन्होंने कहाकि यह समय आयुर्वेद के ज्ञान को और गहराई से समझने, वैज्ञानिक परीक्षण केसाथ बने रहने और वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुसार तकनीकी मानकों को संशोधित करने का है। राष्ट्रपति ने कहाकि वर्ष 2014 में अलग आयुष मंत्रालय की स्थापना केबाद से भारतीय चिकित्सा पद्धति के संरक्षण और संवर्धन केलिए कई उपाय किए गए हैं। उन्होंने कहाकि भारत सरकार से जुड़ी विभिन्न शोध परिषदों ने आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि महाधिवेशन के दौरान 'आयुर्वेद आहार-स्वस्थ भारत का आधार' विषय पर भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि इस विचार-विमर्श के परिणाम लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने में उपयोगी होंगे।
रामनाथ कोविंद ने कहाकि अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन शुरू सेही आयुर्वेद को भारत की राष्ट्रीय चिकित्सा प्रणाली बनाने का काम करता रहा है। उन्होंने कहाकि गुजरात के जामनगर में ‘डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन’ की स्थापना से यह पुष्टि होती हैकि विश्व अब भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को स्वीकार करने केलिए तैयार है। राष्ट्रपति ने आयुर्वेद के प्रशासन, अनुसंधान और शिक्षा से जुड़े लोगों से आशा व्यक्त कीकी प्रशासक नीतिगत बाधाओं को दूर करेंगे और आयुर्वेद के बारेमें आम जनता में जागरुकता बढ़ाएंगे, आयुर्वेद के शिक्षक ऐसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से योग्य चिकित्सकों को तैयार करेंगे, जो लोगों को वहनीय उपचार प्रदान कर सकें और शोधकर्ता रोगों के उपचार एवं महामारी विज्ञान के नए क्षेत्रों में अनुसंधान, दस्तावेजीकरण और सत्यापन से आयुर्वेद की पहुंच, प्रभावशीलता एवं लोकप्रियता में वृद्धि करेंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि यह जानकर गौरव होता हैकि वर्तमान में मॉरीशस सहित विश्व के लगभग बीस देशों में आयुर्वेद में अनुसंधान कार्य किया जा रहा है।