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Wednesday 8 June 2022 02:20:05 PM
नई दिल्ली। यद्यपि भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन होना गर्व की बात है, लेकिन उसमें सर्वोच्चता हासिल करना इस बात की गारंटी नहीं हैकि वे अच्छे प्रशासक भी होंगे, तथापि उनसे यह आशा की जाती है वे प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र की जटिल चुनौतियों का त्वरित और श्रेष्ठतम समाधान प्रस्तुत करेंगे। इन दशकों में देखा जा रहा हैकि प्रशासनिक सेवाओं को केवल शासन में भौतिक सुख भोगने का उत्कृष्ट साधन मान लिया गया है, इस कारण इन सेवाओं में चयन होकर आने वाले अधिकांश लोग केवल अपने में ही खोए रहते हैं, एक सिविल सेवक की जिम्मेदारियों के निर्वहन में कुछ ही सिविल सेवकों को अपनी जिम्मेदारी निभाते पाया जाता है। सिविल सेवा में चयन प्रक्रिया भी गंभीर दोषों से ग्रस्त है और अपवाद को छोड़कर इसे आज की चुनौतियों को देखते हुए बदलने की कोशिश सामने नहीं आई है। इसमें तकनीकी क्षेत्र के लोगों की भीड़ इकठ्ठी हो गई है और अन्य पाठ्यक्रमों के लोगों की संख्या बहुत कम हो गई है एवं होती जा रही है। सवाल हैकि संघ लोकसेवा आयोग हो या भारत सरकार क्या ऐसी ही लोकसेवा चाहते हैं, जो चुनौतियों के सामने भाग खड़ी हो, जैसाकि आज देखा जा रहा हैकि स्थानीय प्रशासन में इन लोकसेवकों की बदतर कार्यप्रणालियों और निजी जीवन के विवाद सड़कों पर और कोर्ट-कचहरी में प्रदर्शन से एक निराशा का वातावरण बना हुआ है।
जी हां! यह एक सच है और महान दार्शनिक और श्रेष्ठ शासन-प्रशासन के आदर्श चाण्क्य ने अनेक बार लिखा हैंकि एक प्रशासक होने बाद रिश्ते-नातों और अतिरेक भौतिकसुखों के मोह से दूर रहना चाहिए तभी वह श्रेष्ठ प्रशासन दे पाएगा। बहरहाल प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक एवं लोक शिकायत और पेंशन विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह कल सिविल सेवा परीक्षा-2021 के 20 अखिल भारतीय टॉपर्स से मिले और उनके साथ रस्मी संवाद किया, उन्हें सम्मानित भी किया। राज्यमंत्री ने नॉर्थ ब्लॉक में कार्मिक एवं प्रशिक्षण मुख्यालय पर इनसे मुलाकात की। गौरतलब हैकि सिविल सेवा परीक्षा-2021 का परिणाम 30 मई को घोषित हुआ था, जिसमें श्रुति शर्मा, अंकिता अग्रवाल और गामिनी सिंगला क्रमश: तीन टॉपर महिलाएं हैं, उनके बाद क्रमश: ऐश्वर्या वर्मा, उत्कर्ष द्विवेदी, यक्ष चौधरी, सम्यक एस जैन, इशिता राठी, प्रीतम कुमार, हरकीरत सिंह रंधावा, शुभंकर प्रत्यूष पाठक, यशार्थ शेखर, प्रियंवदा अशोक मद्दालकर, अभिनव जे जैन, सी यशवंत कुमार रेड्डी, अंशू प्रिया, महक जैन, रवि कुमार सिहाग, दीक्षा जोशी और अर्पित चौहान हैं। टॉप 20 रैंकर्स और उनके परिजनों के स्वागत संबोधन में डॉ जितेंद्र सिंह ने 2021 बैच के सिविल सेवकों को भारत की सदी के वास्तुकार बताया। उन्होंने कहाकि जब भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, ऐसे में यह सेंचुरी बैच 25 से 30 वर्ष की सक्रिय सेवा केसाथ जब स्वतंत्र भारत के 100 साल हो जाएंगे, उस समय एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा।
कार्मिक राज्यमंत्री इन सिविल सेवकों को भारत की सदी के वास्तुकार बता रहे हैं, उनका कथन उनको प्रेरणा देने केलिए बहुत अच्छा है, लेकिन क्या वे यह भी बताएंगे कि उनसे पहले जो टॉपर्स हुए हैं, उन वास्तुकारों का इस समय उनके प्रशासन में क्या आउटपुट है? वो अपने कार्यक्षेत्र में क्या कर रहे हैं? नौकरी कर रहे हैं या लोकसेवा? उनकी अधिकांश विफल कार्यप्रणालियों के परिणामस्वरूप क्या वह समय नहीं आ गया है कि इनकी सेवाओं की समीक्षा की जाए? क्या कारण हैकि स्थानीय प्रशासन में अपवाद को छोड़कर अनेक सिविल सेवक अपने कर्तव्यों के निर्वहन में विफल हो रहे हैं, उनका न तो जनता से संवाद है और न ही जनप्रतिनिधियों से समन्वय है। सबकुछ सामने है कि वे जन समस्याओं के निदान और नियंत्रण में कितने विफल हैं। ऐसे अनेक विषय हैं, जो ये सिविल सेवक अपनी निराशाजनक कार्यप्रणाली, फाइलों को लटकाने और स्वयं निर्णय नहीं लेकर कमैटियां बनादेने एवं अपने ईगो के कारण शासन-प्रशासन में गंभीर चुनौतियां बने हुए हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकसेवकों को अनेक नसीहतें बहुत प्रासंगिक हैंकि वे जनता केलिए उपलब्ध हों, जनता केप्रति उनका व्यवहार सहज हो और जनसंवाद से समस्याओं का समयबद्ध निराकरण करें। इन दशकों में भारतीय प्रशासनिक सेवा में जो चयनित होकर आ रहे हैं, उनमें से अधिकांश की जनसमस्याओं के निस्तारण में दिलचस्पी नहीं दिखती है बल्कि वे भौतिक सुखों और अनैतिक धन अर्जित करने के ज्यादा लालायित दिखते हैं।
यह कड़वा सत्य है, जो सिविल सेवकों के तैनाती स्थानों पर उनका कार्यालय स्टाफ सबसे बड़ा राजदार होता है, उसका उनसे सबसे करीब का अनुभव होता है। अनेक दृष्टिकोण से अधिकांश सिविल सेवकों का स्थानीय प्रशासन में प्रदर्शन काफी निराशाजनक देखा जा रहा है। कार्मिक राज्यमंत्री ने इन टॉपर्स से कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्यू इंडिया विजन को साकार करने में सक्रिय भागीदार बनने की जिम्मेदारी अब उनकी होगी, जो बाकी दुनिया की अगुआई करेगा। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आगे बढ़ रहा है, सिविल सेवकों की नई पीढ़ी को भारत को वैश्विक पटल पर आगे ले जाने का दायित्व मिला है। डॉ जितेंद्र सिंह को इस बात पर खुशी हैकि इन बीस मेंसे 10 इंजीनियर और दो मेडिकोज हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि वे मोदी सरकार की 8 साल की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को तेजी से आगे ले जाने का काम करेंगे। राज्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि वे टेक्नोक्रेट्स स्वास्थ्य, कृषि, जल, पर्यावरण, उद्योग, शिक्षा, कौशल और मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में सरकार के बेहद प्रमुख कार्यक्रमों केसाथ न्याय करने में सक्षम होंगे। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि सिविल सेवा परीक्षा-2021 में पहले तीन टॉपर्स के अलावा 20 टॉपर्स में 8 महिलाएं हैं, जो लैंगिक समानता की स्थिति और पिछले कुछ साल में जनसांख्यिकीय बदलाव के कारण लगभग 40 प्रतिशत हैं और महिलाओं के अखिल भारतीय कवरेज का प्रतिनिधित्व करती हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि ये अभ्यर्थी बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से आते हैं, इसलिए यह लैंगिक और जनसांख्यिकीय परिवर्तन भारत जैसे विविधतापूर्ण देश केलिए एक शुभ संकेत है। राज्यमंत्री ने इस बात को भी रेखांकित कियाकि परीक्षा उत्तीर्ण करनेवाले अभ्यर्थियों की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय, नवोदय स्कूल और सरकारी स्कूलों से हुई है, जबकि पहले ज्यादातर प्रतिष्ठित स्कूलों के अभ्यर्थी ही आगे आते थे। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि 2014 में सरकार में शामिल होने केबाद उन्होंने डीओपीटी में अखिल भारतीय टॉपर्स को व्यक्तिगत रूपसे नॉर्थ ब्लॉक में आमंत्रित करने और उन्हें सम्मानित करने की परंपरा शुरू की थी, जो आज भी जारी है। टॉपर्स द्वारा भारतीय भाषा के छात्रों की मुश्किलों और परीक्षा देने में सामने आने वाली चुनौतियों से जुड़े कुछ सुझावों पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत सरकार भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने केलिए प्रतिबद्ध है और इंजीनियरिंग एवं मेडिकल की किताबों का पेशेवरों के माध्यम से भारतीय भाषाओं में अनुवाद के प्रयास कर रही है। उन्होंने कहाकि इनमें से कुछ चुनौतियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति एनईपी-2020 से दूर कर दिया जाएगा।
कार्मिक राज्यमंत्री ने बतायाकि डीओपीटी के तहत आनेवाली नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी इस साल के अंततक गैर राजपत्रित पदों पर भर्ती केलिए कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन कॉमन इलिजिबिलिटी टेस्ट केलिए तैयारी कर रही है। उन्होंने कहाकि इसकी शुरुआत केसाथ परीक्षा का आयोजन 12 भाषाओं में किया जाएगा और धीरे-धीरे संविधान की 8वीं अनुसूची में उल्लेखित सभी भाषाओं को शामिल किया जाएगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने पिछले सात वर्ष के दौरान युवा परिवीक्षाधीनों और आईएएस अधिकारियों केलिए लाए गए कुछ महत्वपूर्ण सुधारों को भी याद किया। उन्होंने कहाकि इनमें आवंटित कैडर में शामिल होने केलिए संबंधित राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में भेजने से पहले केंद्र सरकार में 3 महीने के मेंटरशिप की शुरुआत शामिल है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि सफल अभ्यर्थियों केसाथ संवाद हमेशा ही भविष्य के कार्यों केलिए एक सीखने वाला अनुभव रहा है। उन्होंने कामना कीकि अपने विविध अवसरों और चुनौतियों से परिपूर्ण करियर में वे देश को अपना सर्वश्रेष्ठ देने में सक्षम होंगे। देखना होगा कि इनमें से कितने सिविल सेवक प्रशासन और देश के विकास के विजन में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर पाएंगे। इस अवसर पर विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।