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Friday 10 June 2022 01:22:28 PM
जम्मू। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय प्रबंधन संस्थान जम्मू के 5वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा हैकि भारत केपास दुनिया में युवा प्रतिभाओं का सबसे बड़ा पूल है और आईआईएम जम्मू जैसे संस्थान हमारे युवाओं का पोषण कर रहे हैं, ये प्रतिभाशाली युवा नए भारत का निर्माण करने जा रहे हैं, लोगों के जीवन को बेहतर और देश को मजबूत बनाने जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि यह दीक्षांत समारोह उन होनहार युवा छात्रों के जीवन का एक ऐतिहासिक पल है, जिन्होंने आज अपनी डिग्री और पदकों को अर्जित किया है। राष्ट्रपति ने छात्रों को उनकी उपलब्धियों केलिए बधाई दी और उनके माता-पिता एवं शिक्षकों को भी बधाई दी, जिन्होंने इस दिन को देखने केलिए कड़ी मेहनत की है। उन्होंने कहाकि मैं इस आयोजन को बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं, क्योंकि इसका सीधा संबंध हमारे प्रतिभाशाली युवाओं के भविष्य और इस तरह से भारत के भविष्य से है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने छात्रों को सलाह दीकि वे जीवनपर्यंत शिक्षण का भाव बनाए रखें। उन्होंने कहाकि तीव्रगति से जारी तकनीकी परिवर्तनों की भूमिका विघटनकारी हो सकती है, प्रौद्योगिकियों के प्रबंधन और नेतृत्व शैलियों की शेल्फ समयसीमा कम होने वाली है, ऐसे परिदृश्य से निपटने केलिए उन्हें 'ज्ञात के उपयोग' की मानसिकता से 'अज्ञात की खोज' के दृष्टिकोण की ओर बढ़ना होगा। राष्ट्रपति ने कहाकि युवाओं को अपने कम्फर्ट जोन से परे जाकर नवीन क्षेत्रों में कार्य करना होगा, उन्हें चुनौतियों को अवसरों में बदलना होगा, उन्हें परिवर्तन के समर्थक के रूपमें नवीन परिवर्तन की दिशा में कार्य करना चाहिए। राष्ट्रपति ने युवाओं को खुले मस्तिष्क, स्वच्छ हदय और दृढ़ इच्छाशक्ति का भाव बनाए रखने की सलाह दी। उन्होंने कहाकि वास्तव में एक अच्छा उद्यमी, अच्छा प्रबंधक या एक अच्छा बिजनेस लीडर वही है, जो बेहतर कार्य करते हुए अच्छा करने में विश्वास रखता है। उन्होंने कहाकि उत्कृष्टता और नैतिकता कदम मिलाकर एकसाथ आगे बढ़ते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि शिक्षा सबसे बड़ी प्रवर्तक है, हमारे देश का भविष्य हमारी युवा आबादी की अच्छी शिक्षा पर निर्भर करता है।
राष्ट्रपति ने कहाकि प्रतिभाशाली युवा लोगों के जीवन को बेहतर और देश को मजबूत बनाने केलिए आगे बढ़ रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि सर्वविदित हैकि हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को आज की ज्ञान अर्थव्यवस्था में 'ज्ञान केंद्र' के रूपमें स्थापित करना चाहती है, यह हमारे प्राचीन मूल्यों को संरक्षित करते हुए 21वीं सदी की दुनिया केलिए हमारे युवाओं को सुसज्जित करने का प्रयास करती है, जो आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहाकि भारत को एक वैश्विक ज्ञान केंद्र बनने केलिए हमारे शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हैकि वैश्विक रैंकिंग में भारतीय संस्थानों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। उन्होंने कहाकि आईआईएम जम्मू जैसे नए संस्थानों को तेजीसे वैश्विक सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को अपनाना चाहिए और उच्च रैंकिंग का आकांक्षी होना चाहिए। रामनाथ कोविंद ने कहाकि 2016 में आईआईएम जम्मू की स्थापना जम्मू-कश्मीर में उच्चशिक्षा के एक नए अध्याय के शुभारंभ का प्रतीक है। उन्होंने खुशी जाहिर कीकि 25 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के छात्र देशभर से आए शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, यह आईआईएम जम्मू को एक युवा मिनी-इंडिया के तौरपर दर्शाता है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि यूके, फ्रांस, ब्राजील और यूएस जैसे देशों की सहायक फैकल्टी आईआईएम जम्मू से जुड़ी हुई हैं, संस्थान ने छात्रों और संकाय आदान-प्रदान कार्यक्रमों केलिए अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया और यूके में 15 प्रतिष्ठित संस्थानों केसाथ करार भी किया है। रामनाथ कोविंद ने कहाकि संस्थान के नए परिसर को इस वर्ष नवंबर तक पूरी तरह से शुरू करने का लक्ष्य है, आईआईएम जम्मू के श्रीनगर ऑफ-कैंपस को विकसित करने केलिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकर खुशी हुई है, इससे देश के इस हिस्से में उच्चशिक्षा की पहुंच और तेजी से बढ़ेगी। राष्ट्रपति ने कहाकि प्रौद्योगिकियों और अवसरों के अभिसरण से सहायता प्राप्त कई स्टार्ट-अप बेहद सफल बन चुके हैं और उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था का उभरता हुआ मुख्य आधार कहा जा सकता है। उन्होंने कहाकि यूनिकॉर्न, जिनमें से अधिकांश को युवाओं ने स्थापित किया है और उन्हें सभी छात्रों केलिए प्रेरणास्रोत होना चाहिए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि भारत के युवाओं केबीच रोज़गार प्राप्तकर्ता न बनकर रोज़गार प्रदाता बनने की मानसिकता हमारे देश के प्रमुख कारकों मेंसे एक बन चुकी है और ये दुनिया के सबसे अच्छे स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र मेंसे एक हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई हैकि आईआईएम जम्मू, डीआईसीसीआई और सीआईआई के सहयोग से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के संभावित उद्यमियों की सहायता केलिए एक विशेष विविधता प्रकोष्ठ स्थापित करने जा रहा है। उन्होंने उद्यमिता और समावेश को बढ़ावा देने की इस पहल से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं को पदक और डिग्रियां देकर सम्मानित भी किया। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, छात्र-छात्राएं एवं शिक्षक और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।