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नई दिल्ली। ब्रिटिश परंपरा के अनुसार ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स ने महारानी के प्रतिनिधि के रूप में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में रविवार की शाम 19वें राष्ट्रमंडल खेलों का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा-'माननीया राष्ट्रपति महोदय और सम्मानित अतिथियों, मैं 19वें राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन की घोषणा करता हूं।' इनके बाद भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने राष्ट्रमंडल खेल 2010 नई दिल्ली के शुभारंभ की घोषणा की। प्रिंस चार्ल्स से उद्घाटन को लेकर देश में काफी विवाद हुआ था और मांग की गई थी कि राष्ट्रमंडल खेल चूंकि भारत में हो रहे हैं इसलिए राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को उद्घाटन करना चाहिए लेकिन इस सबके बावजूद प्रिंस चार्ल्स ने ही उद्घाटन किया। कॉमनवेल्थ के रंगारंग उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, दुनिया के दिग्गज खिलाड़ी, विशिष्ट अतिथि और राजनेता मौजूद थे। पूरी दुनिया ने इस उद्घाटन को देखा और सराहा। इन खेलों में 71 देशों के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। प्रिंस चार्ल्स ने महारानी का संदेश पढते हुए कहा कि मुझे इन खेलों की शुरूआत की घोषणा करते हुए अपार खुशी हो रही है जबकि राष्ट्रपति प्रतिभादेवी पाटिल ने अपने भाषण में कहा कि राष्ट्रमंडल खेल 2010 अब शुरू होते हैं, आइए खेलों को शुरू करें।
भारतीय संस्कृति की झाकियों के सम्मोहक प्रदर्शन, विख्यात संगीतकार एआर रहमान एवं गायक हरिहरन की मधुर सुरलहरियों और सात हजार से अधिक कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ राष्ट्रमंडल खेलों की शुरूआत हुई। करीब तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम में भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध विरासत को दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में खूब सराहा गया। समारोह को राष्ट्रमंडल खेल महासंघ के प्रमुख माइक फेनेल और राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी ने भी संबोधित किया। प्रिंस चार्ल्स ने बीजिंग खेलों के कांस्य पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार से बेटन थामी और महारानी का संदेश पढ़ा। इसके बाद 71 प्रतिभागी देशों के ध्वज मैदान पर लाए गए। सीजीएफ का ध्वज सेना का आठ सदस्यीय दल लेकर आया। खिलाड़ियों की ओर से बीजिंग ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने शपथ ली जिसमें कहा गया कि हम घोषणा करते हैं कि पूरी खेलभावना से 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेंगे।
कार्यक्रम की शुरूआत नगाड़ों के साथ हुई और स्टेडियम में 40 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया गुब्बारा पूरी ऊंचाई तक पहुंच गया। इसके बाद राइम्स आफ इंडिया के तहत भारत के विभिन्न हिस्सों में बजने वाले ढोल बजे जिसमें मणिपुर का पुंग चोलम, केरल का चेंडा, पंजाब का भांगड़ा ढोल और पांडेच्चेरी का बाल तबला वादक केशव शामिल है। स्कूली बच्चों के साथ मशहूर गायक हरिहरन ने स्वागतम गीत पेश किया तो 18 भारतीय भाषाओं में स्वागतम शब्द लिखा गुब्बारा नजर आने लगा। बच्चों ने चार हिस्सों में बंटकर अपने सिरों का इस तरह से तालमेल बनाया कि मैदान पर खुली हथेली नजर आई। कपड़े के भीतर से पेंट करके मेंहदी रची हथेली का रूप देखकर दर्शक अचंभित हो गए। मेजबान होने के नाते भारतीय दल की अगुवाई ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने की। मार्चपास्ट के बाद खिलाड़ियों ने मैदान पर बैठकर पूरे कार्यक्रम का मजा लिया। हर देश के मार्च के आगे चल रही भारतीय युवती देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग तरीके से पहनी जाने वाली साड़ी में सजी हुई थीं। खिलाड़ियों की परेड में भारतीय दल सभी के आकर्षण का केंद्र था मगर टेनिस स्टार सानिया मिर्जा मौजूद नहीं थीं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने समारोह में कहा कि यह भागीदारी की भावना और खेलभावना है, जीतने या हारने की नहीं, और यही भावना राष्ट्रमंडल देशों को एक विशाल परिवार के रूप में एकजुट करती है, यह देशवासियों के लिए गौरव का क्षण है, भारत में आप सभी का स्वागत है! इन खेलों का स्वागत है! भारत के लोग इस ऐतिहासिक शहर में राष्ट्रमंडल खेलों को आयोजित कर प्रफुल्लित है। उन्होंने कहा कि ये खेल देशों के बीच मित्रता की भावना बरकरार रखने के लिए आयोजित किए जा रहे हैं। राजकुमार चार्ल्स ने कहा कि दिल्ली के राष्ट्रमंडल खेल उनके लिए जीवनभर यादगार रहेंगे, क्योंकि उन्होंने इस अंतर्राष्ट्रीय आयोजन के 19वें संस्करण का उद्घाटन किया है। उन्होंने कहा कि मैं खेलों के लिए अपनी शुभकामना देता हूं, मुझे भरोसा है कि यह मेरे लिए आजीवन यादगार होगा, मैं महारानी की ओर से यहां उपस्थित होकर बहुत खुश हूं। राष्ट्रमंडल खेल परिसंघ के प्रमुख माइकल फेनेल ने कहा कि वे और सभी टीमों के अधिकारी और खिलाड़ी भारत की जनता के आतिथ्य से अभिभूत हुए हैं। उनका कहना था कि मित्रता खेलों के जरिए निभाई जा सकती है। आने वाले दिनों में खिलाड़ियों के खेल के 11 शानदार दिनों को देखने जा रहे हैं। सभी खिलाड़ियों का एकमात्र अरमान अपने देश के लिए अपने लिए और राष्ट्रमंडल के लिए बेहतर कर गुजरने के हैं। फेनेल ने खेलों के आयोजन के लिए अथक प्रयास करने के लिए आयोजन समिति को भी शुभकामनाएं भी दीं।
भारतीय संस्कृति की धरोहर गुरू़ शिष्य परंपरा को दिखाता बोधिवृक्ष भी उद्घाटन समारोह का प्रमुख आकर्षण था। शास्त्रीय संगीत-नृत्य शास्त्रीय संगीत की धुनों, भरतनाटयम, कथक, मोहिनीअटटम और कुचीपुड़ी जैसे शास्त्रीय नृत्यों के बीच गुब्बारे पर गौतम बुद्ध की छवि पेश की गई। पश्चिमी देशों को भारत की ओर खींचता योग भी समारोह में पेश किया गया। भारत के सफर के तहत भारत के बाजारों, धान काटती महिलाओं और कपड़े धोते धोबियों के साथ भारतीय जीवनशैली का हिस्सा बने रिक्शा, चूड़ीवाले, ट्रायसिकल, ऊंट, मछुआरे, चायवाले, मजदूर भी दिखाए गए। हुक्के, पतंग की दुकानों और हथकरघों को भी भारतीयता के सफर में शामिल किया गया था। साधुओं से लेकर राजनीतिक रैलियों का सूचक बनी एम्बेसेडर कारों को दिखाया गया। आस्कर पुरस्कृत संगीतकार एआर रहमान ने राष्ट्रमंडल खेलों का थीमसांग उठो बढ़ो जीतो पेश किया। उन्होंने मां तुझे सलाम और जय हो भी पेश किया।
समारोह में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नाशिद, खेलमंत्री एमएस गिल, मंत्रिमंडल समूह के अध्यक्ष जयपाल रेड्डी, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना, सहारा इंडिया समूह के अध्यक्ष सुब्रत रॉय सहारा, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष जाक रोगे, न्यूजीलैंड के गर्वनर जनरल सर आनंद सत्यानंद, मोनाको के प्रिंस अलबर्ट द्वितीय, राहुल गांधी भी मौजूद थे।