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'सूरत में प्राकृतिक खेती की सफलता की कहानी'

'देश-दुनियाभर में रासायनिक मुक्त प्राकृतिक उत्पादों की मांग बढ़ी'

प्रधानमंत्री ने किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 11 July 2022 04:16:08 PM

narendra modi addressing the natural farming conclave

सूरत/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए सूरत में प्राकृतिक कृषि सम्‍‍मेलन को संबोधित किया, जिसमें हजारों किसानों और हितधारकों की भागीदारी देखी गई, जिन्होंने सूरत में प्राकृतिक खेती को एक सफलता की कहानी के रूपमें अपनाया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्राकृतिक खेती का सूरत मॉडल पूरे देश केलिए एक मॉडल बन सकता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह सम्‍‍मेलन इस बात का संकेत हैकि गुजरात अमृतकाल के लक्ष्यों को प्राप्त करने के देश के संकल्प का नेतृत्व कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हर पंचायत के 75 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने में सूरत की सफलता पूरे देश केलिए एक मिसाल बनी है। उन्होंने सरपंचों की भूमिका पर प्रकाश डाला और किसानों को खेती के प्राकृतिक तरीके की दिशा में आगे बढ़ने केलिए बधाई दी। सम्मेलन में गुजरात के राज्यपाल और मुख्यमंत्री शामिल हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आजादी के 75 साल के निमित्त देश ने ऐसे अनेक लक्ष्यों पर काम करना शुरू किया है, जो आनेवाले समय में बड़े बदलावों का आधार बनेंगे। उन्होंने कहकि अमृतकाल में देश की गति-प्रगति का आधार सबका प्रयास की वो भावना है, जो हमारी इस विकास यात्रा का नेतृत्व कर रही है। उन्होंने कहाकि गरीबों और वंचितों के कल्याणकारी परियोजनाओं में ग्राम पंचायतों को अहम भूमिका दी गई है। उन्होंने कहाकि स्थानीय निकायों ने प्रत्येक पंचायत से 75 किसानों को चुनने में ठोस भूमिका निभाई और प्रशिक्षण के साथ-साथ अन्य संसाधनों की उपलब्धता में उनकी मदद की, इससे 550 पंचायतों के 40 हजार से अधिक किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ गए हैं, यह एक अच्छी शुरुआत है और बहुत उत्साहजनक है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब लोगों की भागीदारी के बल पर बड़ी परियोजनाएं शुरू की जाती हैं तो उनकी सफलता देश के लोगों द्वारा ही सुनिश्चित की जाती है। नरेंद्र मोदी ने जल जीवन मिशन का उदाहरण दिया, जहां लोगों को परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इसी तरह डिजिटल इंडिया मिशन की असाधारण सफलता भी उन लोगों को देश का जवाब है, जो कहते थेकि गांव में बदलाव लाना आसान नहीं है, हमारे गांवों ने दिखा दिया हैकि गांव न केवल बदलाव ला सकते हैं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि प्राकृतिक खेती को लेकर जनांदोलन भी आनेवाले दिनों में एक बड़ी सफलता होगी। उन्होंने कहाकि जो किसान इस आंदोलन से जल्दी जुड़ जाएंगे, उन्हें बहुत फायदा होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारा जीवन, हमारा स्वास्थ्य, हमारा समाज सबके आधार में हमारी कृषि व्यवस्था ही है, भारत तो स्वभाव और संस्कृति से कृषि आधारित देश ही रहा है, इसलिए जैसे-जैसे हमारा किसान आगे बढ़ेगा, जैसे-जैसे हमारी कृषि उन्नत और समृद्ध होगी, वैसे-वैसे हमारा देश आगे बढ़ेगा। उन्होंने किसानों को याद दिलायाकि प्राकृतिक खेती समृद्धि का साधन होने के साथ-साथ हमारी धरती मां का सम्मान और सेवा भी है। उन्होंने कहाकि जब आप प्राकृतिक खेती करते हैं तो आप धरती माता की सेवा करते हैं, मिट्टी की क्वालिटी, उसकी उत्पादकता की रक्षा करते हैं और प्रकृति एवं पर्यावरण की सेवा करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि पूरी दुनिया एक स्थायी जीवनशैली केबारे में बात कर रही है। उन्होंने कहाकि यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां भारत ने सदियों से दुनिया का नेतृत्व किया है, इसलिए समय आ गया हैकि हम प्राकृतिक खेती के रास्ते पर आगे बढ़ें और उभर रहे वैश्विक अवसरों का पूरा फायदा उठाएं। नरेंद्र मोदी ने पारंपरिक खेती केलिए संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान करनेवाली 'परंपरागत कृषि विकास योजना' जैसी योजनाओं के रूपमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने केलिए सरकार के किएगए उपायों के बारेमें भी बताया, लाखों किसानों के लाभ केलिए योजना केतहत पूरे देश में 30 हजार क्लस्टर बनाए गए हैं, 10 लाख हेक्टेयर को परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत कवर किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्राकृतिक खेती को नमामि गंगे परियोजना से जोड़ा गया है, क्योंकि गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक कृषि गलियारा बनाने केलिए एक अलग अभियान चलाया गया है। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती की उपज के प्रमाणीकरण केलिए गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली की भी जानकारी दी। उन्होंने कहाकि प्रमाणित उत्पादों की अच्छी कीमत मिलती है, जब किसान उन्हें निर्यात करते हैं। प्रधानमंत्री ने संस्थानों, गैर-सरकारी संगठनों और विशेषज्ञों से प्राचीन ज्ञान पर शोध करने का अनुरोध किया और कहाकि आधुनिक समय की मांगों के अनुसार इसे किसानों तक पहुंचाया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वास व्यक्त कियाकि प्रत्येक पंचायत में 75 किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की शुरुआत होने के बाद जल्द ही यह कई गुना बढ़ जाएगी, क्योंकि इस रासायनिक मुक्त प्राकृतिक उत्पाद की मांग बढ़ना तय है। आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूपमें प्रधानमंत्री ने मार्च 2022 में गुजरात पंचायत महासम्मेलन में संबोधन में प्रत्येक गांव में कम से कम 75 किसानों को खेती के प्राकृतिक तरीके को अपनाने केलिए प्रोत्साहित किया था। प्रधानमंत्री के इस दृष्टिकोण से निर्देशित सूरत जिले ने प्राकृतिक खेती को अपनाने में किसानों की मदद करने के उद्देश्य से जिले में किसान समूहों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, पंचायत सचिवों, कृषि उत्पाद विपणन समितियों, सहकारी समितियों, बैंकों जैसे विभिन्न हितधारकों और संस्थानों को संवेदनशील तथा प्रेरित करने केलिए एक ठोस और समन्वित प्रयास किया। नतीजतन प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम 75 किसानों की पहचान की गई और उन्हें प्राकृतिक खेती करने केलिए प्रेरित तथा प्रशिक्षित किया गया, किसानों को 90 विभिन्न समूहों में प्रशिक्षित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप जिलेभर के 41,000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया गया।

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