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Wednesday 13 July 2022 01:06:19 PM
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में उगाए जानेवाले बागवानी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देते हुए अब स्थानीय रूपसे उत्पादित कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने केलिए एक मजबूत रणनीति तैयार की है। पूर्वोत्तर क्षेत्र भौगोलिक रूपसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चीन, भूटान, म्यांमार, नेपाल और बांग्लादेश केसाथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं साझा करता है, जो इसे पड़ोसी देशों एवं साथमें विदेशी गंतव्य स्थानों को कृषि ऊपज के निर्यात केलिए संभावित हब बनाता है। इसके परिणामस्वरूप इन कुछ वर्ष में असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम एवं मेघालय से कृषि ऊपज के निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में छह वर्ष के दौरान कृषि उत्पादों के निर्यात में 85.34 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है और यह वित्तवर्ष 2016-17 के 2.52 मिलियन डॉलर से बढ़कर वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान 17.2 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। बांग्लादेश, भूटान, मध्य पूर्व, ब्रिटेन, यूरोप पूर्वोत्तर क्षेत्र के उत्पादों के प्रमुख गंतव्य देश हैं।
गौरतलब हैकि पूर्वोत्तर क्षेत्र में सिक्किम जैविक प्रमाणन एजेंसी रखने वाला पहला राज्य है, जिसे एपीडा की सहायता से 2016 में स्थापित किया गया था। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद विकास प्राधिकरण ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत संभावित मार्केट लिंकेज प्रदान करने केलिए किसानों द्वारा अनुपालन की जानेवाली गुणात्मक खेती पद्धतियों के बारेमें प्राथमिक जानकारी प्रदान करने केलिए आयातकों केलिए प्रक्षेत्र दौरों का आयोजन किया था। ये आयातक मुख्य रूपसे मध्य पूर्व, सुदूर पूर्वी देशों तथा यूरोपीय राष्ट्रों और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के थे। तीन वर्ष में एपीडा ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में निर्यात जागरुकता पर 136 क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन किया, सबसे अधिक 62 क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन पूर्वोत्तर क्षेत्र में वित्तवर्ष 2019-20 के दौरान किया गया, जबकि वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान 21 और वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान 53 ऐसे क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन एपीडा ने किया। क्षमता निर्माण पहलों के अतिरिक्त एपीडा ने तीन वर्ष के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में 22 अंतर्राष्ट्रीय क्रेता विक्रेता बैठकों तथा व्यापार मेलों के आयोजन को भी सुगम बनाया।
एपीडा ने असम तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के पड़ोसी राज्यों के जैविक कृषि उत्पादों की प्रचुर निर्यात क्षमता का दोहन करने केलिए गुवाहाटी में प्राकृतिक, जैविक तथा भौगोलिक संकेतकों की निर्यात क्षमता पर सम्मेलन भी किया। एपीडा का लक्ष्य निर्यातकों केलिए सीधे उत्पादक समूहों तथा प्रोसेसरों से उत्पादों को प्राप्त करने केलिए असम में एक प्लेटफॉर्म का सृजन करना है, यह प्लेटफॉर्म असम के उत्पादकों तथा प्रोसेसरों तथा देश के अन्य हिस्सों से निर्यातकों को लिंक करेगा जो असम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में निर्यात पॉकेट के आधार को विस्तारित करेगा और राज्य के लोगों के बीच रोजगार के अवसरों में वृद्धि करेगा। एपीडा ने जोरहट में असम कृषि विश्वविद्यालय केसाथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया है, जिससे कि फसल पूर्व तथा फसल उपरांत प्रबंधन पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं अन्य अनुसंधान कार्यकलापों का आयोजन किया जा सके। पूर्वोत्तर क्षेत्र के एपीडा प्रवर्तित जीआई उत्पादों जैसेकि भुत जोलोकिया, असम लेमन आदि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आकृष्ट किया, जिन्होंने अपने मन की बात कार्यक्रम के दौरान इसका उल्लेख किया। असम लेमन का अब नियमित रूपसे लंदन तथा मध्य पूर्व देशों को निर्यात होता है और अभीतक 50 एमटी से अधिक असम लेमन का निर्याज किया जा चुका है। लीची तथा कद्दू की भी कई खेपें एपीडा द्वारा असम से विदेशों में निर्यात की जा चुकी हैं।
एपीडा के अध्यक्ष डॉ एम अंगमुथु ने इस अवसर पर कहाकि असम तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य राज्यों की लगभग सभी कृषि संबंधी तथा बागवानी फसलों को उगाने केलिए एक अनुकूल जलवायु स्थिति तथा मृदा प्रकार है, चूंकि पूर्वोत्तर क्षेत्र की लगभग सभी सीमाएं भूटान, बांग्ला देश, म्यांमार तथा चीन जैसे देशों केसाथ मिली हुई हैं, इस क्षेत्र से निर्यात में वृद्धि होने की संभावनाएं हैं। कोविड-19 अवधि के दौरान एपीडा ने अनानास, अदरक, नींबू, संतरा आदि की सोर्सिंग के संबंध में निर्यातकों तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के एफपीओ/ एफपीसी केसाथ विभिन्न देशों में भारतीय दूतावासों के सहयोग से वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठक से अपनी निर्यात योजनाओं को बढ़ावा देना जारी रखा। एपीडा ने महामारी के दौरान वर्चुअल व्यापार मेलों का भी आयोजन किया तथा अन्य देशों में निर्यात को सुगम बनाया। एपीडा ने क्षेत्र से 80 उभरते उद्यमियों तथा निर्यातकों का क्षमता निर्माण, किसान उत्पादक संगठनों और किसान उत्पादक कंपनियों तथा राज्य सरकारों के अधिकारियों, खाद्य प्रसंस्करण में कौशल विकास तथा प्रशिक्षण, बागवानी संबंधी ऊपज पर मूल्य संवर्धन आदि जैसी कई अन्य परियोजनाएं भी आरंभ की हैं।
एपीडा ने असम कृषि विभाग के अधिकारियों के क्षमता निर्माण को सुगम बनाने कीभी योजना बनाई है और चुने हुए अधिकारियों को बैचों में कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा गुजरात भेजा जाएगा। एपीडा ने कीवी वाईन, प्रसंस्कृत खाद्य, जोहा चावल पुलाव, काले चावल की खीर आदि का गीला नमूना जैसे पूर्वोत्तर क्षेत्र के उत्पादों की ब्रांडिंग तथा संवर्धन केलिए सहायता प्रदान करता है। एपीडा ने विनिर्माताओं, निर्यातकों तथा उद्यमियों केलिए कौशल विकास कार्यक्रमों का भी आयोजन किया, जिससे कि मूल्य संवर्धन तथा निर्यात केलिए स्थानीय ऊपज का उपयोग किया जा सके। मैसूर में केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान और भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न राज्यों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। एपीडा ने टिकाऊ खाद्य मूल्य श्रृंखला विकास के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र के कृषि तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मेघालय में री भोई तथा असम में डिब्रुगढ़ में पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात केलिए खाद्य गुणवत्ता तथा सुरक्षा प्रबंधन पर एक कार्यशाला के आयोजन में भी सहायता प्रदान की। एपीडा की युक्तिपूर्ण पहल के साथ त्रिपुरा के कटहल को पहलीबार एक स्थानीय निर्यातक के माध्यम से लंदन तथा नागालैंड के राजा मिर्च को लंदन में निर्यात किया गया।
असम के स्थानीय फल लेटेकु बर्मा का अंगूर को दुबई में निर्यात किया गया तथा असम के पान के पत्तों को नियमित रूपसे लंदन में निर्यात किया जाता रहा है। पोर्क तथा पोर्क उत्पादों की निर्यात क्षमता का दोहन करने केलिए एपीडा ने नजीरा में एक आधुनिक पोर्क प्रसंस्करण सुविधा केंद्र स्थापित करने में असम सरकार की सहायता की, जिसमें प्रतिदिन 400 पशुओं की स्लौटिरिंग की क्षमता है, यह यूनिट तैयार हो चुकी है और इसका शीघ्र ही कमीशन होना निर्धारित है। एपीडा ने राज्य पशुपालन विभाग के सहयोग से सिक्किम, जोकि भारत का एक जैविक राज्य है से जैविक पोर्क के निर्यात को बढ़ावा देने केलिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। एपीडा ने गुवाहाटी के पास रानी में सूअरों पर एनआरसी की सहायता से ताजे और प्रसंस्कृत पोर्क के निर्यात केलिए दिशानिर्देश भी विकसित किए हैं।