स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 5 August 2022 12:04:37 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने इस बात पर जोर दिया हैकि शासन का अंतिम उद्देश्य लोगों को सशक्त बनाना और न्यूनतम सरकार की ओर बढ़ना होना चाहिए, जो उनके अनुसार तभी होगा, जब अंतिम लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया हो और निचले पायदान पर खड़े लोग वहां पहुंच चुके हों। उन्होंने कहाकि सुशासन की सफलता मेहनतकश जनता को विकास की प्रक्रिया में शामिल करने और समान हितधारक बनाने में निहित है। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के नई दिल्ली में आयोजित 48वें एडवांस्ड प्रोफेशनल प्रोग्राम इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि सुशासन की कुंजी समावेशिता, प्रौद्योगिकी का उपयोग और उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखने में निहित है। उन्होंने कहाकि प्रौद्योगिकी पारदर्शिता को बढ़ावा देती है और इस तरह जवाबदेही तय होती है, जो सुशासन की मूल विशेषता है, जबकि नैतिक मानक वैधता प्रदान करते हैं।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने आशा व्यक्त कीकि ये दोनों मिलकर परिवर्तनकारी सुधार लाने केलिए जमीन तैयार करने वाली एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरूआत करेंगे। समावेशी और उत्तरदायी शासन केलिए लोगों की भागीदारी को बहुत ही जरूरी बताते हुए उन्होंने कहाकि सरकार सुधार सिर्फ शुरू करती है, लेकिन वास्तव में वो तभी फल देते हैं, जब लोग अपने देश के भविष्य केलिए सक्रिय रूप से काम करते हैं। आज़ादी के अमृत महोत्सव के समारोहों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने प्रत्येक भारतीय से आग्रह कियाकि वे अपनी आज़ादी के 100वें वर्ष में प्रवेश करते समय तक एक खुशहाल, स्वस्थ, समृद्ध और विकसित राष्ट्रनिर्माण के उद्देश्य से काम करें। यह देखते हुएकि आज ध्यान सरकार से शासन की ओर जा रहा है, उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत आगे बढ़ रहा है और अपने अतीत के बोझ को त्याग कर दुनिया का नेतृत्व करने की अपनी आखिरी इच्छा को हासिल करने केलिए बड़ी उम्मीद केसाथ अपनी यात्रा शुरू कर रहा है।
वेंकैया नायडु ने औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलने की आवश्यकता पर भी बल दिया और प्रशासकों को अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करने के दौरान लोगों की भाषा का उपयोग करने केलिए कहा। उपराष्ट्रपति ने प्रशासकों से कहाकि उनको लोगों केसाथ उनकी भाषा में बातचीत करनी चाहिए। एक कहावत 'मनुष्य की सेवा ईश्वर की सेवा है' का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने इच्छा जताईकि सभी अधिकारी 'लोगों की सेवा' को अपना मुख्य लक्ष्य बनाएं। वेंकैया नायडु ने राष्ट्रीय विकास में आईआईपीए के योगदान की सराहना करते हुए कहाकि उन्हें यह देखकर खुशी हो रही हैकि आईआईपीए आज की गतिशील और तेजीसे बदलते युग की जरूरतों के साथ-साथ तेजीसे बदलते सामाजिक एवं आर्थिक परिवेश केलिए खुदको ढाल रहा है।
सार्वजनिक जीवन में गिरते मानकों की प्रवृत्ति को रोकने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहाकि प्रशासक और नेता ईमानदारी एवं नैतिकता में उदाहरण स्थापित करें। रामराज्य की अवधारणा का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारतीय परंपरा में यह परिभाषित करने केलिए रामराज्य एक रूपक हैकि एक अच्छी तरह से शासित कल्याणकारी राज्य कैसा दिखना चाहिए। उन्होंने प्रशासकों को गरीबी, भेदभाव और असमानता से मुक्त समाज का निर्माण करने केलिए इन उदात्त आदर्शों का पालन करने केलिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति के सचिव आईवी सुब्बाराव, आईआईपीए के महानिदेशक सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी, कार्यक्रम निदेशक डॉ वीएन आलोक, रजिस्ट्रार अमिताभ रंजन, संकाय सदस्य, पाठ्यक्रम प्रतिभागी और गणमान्य नागरिक शामिल हुए।