स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 6 August 2022 02:40:09 PM
नई दिल्ली। कपड़ा राज्यमंत्री दर्शना विक्रम जरदोश ने महिला सांसद हेमा मालिनी, नवनीतकौर राणा, महुआ मोइत्रा और अन्य के साथ हथकरघा हाट में विशेष हथकरघा एक्सपो 'माई हैंडलूम माई प्राइड एक्सपो' का उद्घाटन किया। उन्होंने बुनकरों और कारीगरों के साथ बातचीत की और उत्कृष्ट हथकरघा उत्पाद खरीदे। दर्शना जरदोश ने सभी महिला सांसदों को जनपथ हाट में विशेष हथकरघा एक्सपो में आने और बुनकरों को प्रोत्साहित करने और उद्योग को बढ़ावा देने केलिए समृद्ध हथकरघा विरासत को देखने केलिए आमंत्रित किया था। हथकरघा हाट में राज्यों के कुल 55 संत कबीर और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता उत्कृष्ट हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री कर रहे हैं। यह प्रदर्शनी 11 अगस्त 2022 तक सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक जनता केलिए खुली रहेगी।
हथकरघा एक्सपो राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के विकास आयुक्त हथकरघा कार्यालय की विशेष पहल बताया गया है। कपड़ा राज्यमंत्री दर्शना जरदोश ने इस अवसर पर कहाकि हथकरघा क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। स्वदेशी आंदोलन जिसकी शुरूआत 7 अगस्त 1905 को हुई थी, उसने स्वदेशी उद्योगों और विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था। उन्होंने कहाकि वर्ष 2015 में भारत सरकार ने हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूपमें मनाने का निर्णय किया था, इसदिन हम अपने हथकरघा बुनकर समुदाय का सम्मान करते हैं और देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में इस क्षेत्र के योगदान को उजागर करते हैं।
कपड़ा राज्यमंत्री ने कहाकि हम अपनी हथकरघा विरासत की रक्षा करने और हथकरघा बुनकरों और श्रमिकों को अधिक अवसरों केसाथ सशक्त बनाने के अपने संकल्प की पुष्टि करते हैं। दर्शना जरदोश ने कहाकि हथकरघा बुनाई की कला से पारंपरिक मूल्य जुड़े हुए हैं और प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट किस्में देखने को मिलती हैं। राज्यमंत्री दर्शना जरदोश ने कहाकि पोचमपल्ली, तंगलिया साड़ी, कोटा डोरिया, बनारसी, जामदानी, बलूचरी, इकत, कलमकारी आदि उत्पादों की विशिष्ट बुनाई, डिजाइन और पारंपरिक नमूनों की विशिष्टता दुनियाभर के ग्राहकों को आकर्षित करती है। उन्होंने कहाकि इन प्रदर्शनियों के माध्यम से हथकरघा बुनकर न केवल मुनाफे की दरों पर अपने उत्पादों का विपणन करते हैं, बल्कि भविष्य में उत्पाद में सुधार केलिए रंग, डिजाइन और बुनाई के संबंध में ग्राहकों की पसंद को भी जानने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहाकि ऐसी प्रदर्शनियां पुरस्कार विजेता हथकरघा बुनकरों और उपभोक्ताओं केबीच सीधे संबंध बनाती हैं।
भारत के मोहक स्थानों पर तैयार किए गए हथकरघा उत्पाद इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित और बिक्री केलिए आए हैं जैसे-आंध्र प्रदेश की वेंकटगिरी जामदानी सूती साड़ी, असम की वेजीटेबल डाइड सिल्क साड़ी, गुजरात की टंगालिया साड़ी, दुपट्टा मैरीनो ऊनी शॉल, हिमाचल प्रदेश की कुल्लू शॉल, जम्मू और कश्मीर की कनी शॉल, मध्य प्रदेश की चंदेरी साड़ी, सूट, दुपट्टा, मणिपुर के मणिपुर पारंपरिक एच/ एल उत्पाद, नागालैंड के नगालैंड पारंपरिक एच/ एल उत्पाद, ओडिशा की त्रियंत्र साड़ी, प्रतिजना, रामशिला, बेटी कॉटन साड़ी, राजस्थान के पुंजा दूरी, कोटा डोरिया साड़ी, तमिलनाडु की कांचीपुरम कोरवई सिल्क साड़ी, तेलंगाना की डबल इकत तेलिया रुमाल साड़ी, उत्तर प्रदेश की रंगकट साड़ी, कॉटन जामदानी, कटवर्क स्टोल, पश्चिम बंगाल की जामदानी साड़ी, ड्रेस मैटीरियल, स्टोल।