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Saturday 6 August 2022 02:48:56 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग ने यौनकर्मियों की समस्याओं को समझने और उनको मुख्यधारा में लाने का प्रयास करने, उनके लिए विभिन्न अनुशंसाओं पर गौर करने केलिए ‘गरिमा केसाथ जीने हेतु यौनकर्मियों केलिए अनुकूल परिस्थितियां’ विषय पर परामर्श का आयोजन किया। महिला आयोग ने हाशिए पर पड़े यौनकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से अवगत कराने एवं उनकी सुरक्षा केलिए इसका उपयोग कैसे करें पर व्यापक चर्चा की। वक्ताओं का कहना थाकि यौनकर्मियों के मानवाधिकारों एवं मौलिक अधिकारों के साथ-साथ यौनकर्मियों और उनके बच्चों की गरिमा की रक्षा केलिए जनता को संवेदनशील बनाया जाना आवश्यक है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा, मीता राजीवलोचन सदस्य सचिव राष्ट्रीय महिला आयोग और वरिष्ठ पदाधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थीं। यौनकर्मियों की समस्याओं को समझने केलिए देशभर से हितधारकों या संबंधित पक्षों को आमंत्रित किया गया था। विचार-विमर्श में शामिल होनेवाले कुछ संगठन थे-यौनकर्मियों का अखिल भारतीय नेटवर्क, सहेली संघ, संग्राम, कट-कथा फाउंडेशन, गुरिया इंडिया, दरबार, यौनकर्मियों का राष्ट्रीय नेटवर्क, वीएएमपी, अपने आप वीमेन्स कलेक्टिव, महिला जागृत सेवाभावी संस्था, एसआईएएपी, कर्नाटक यौनकर्मी संघ और महिलाओं की पहल (मैं और मेरी दुनिया)। परामर्श में विशेषज्ञों ने आश्रय गृहों की निगरानी करने पर भी चर्चा की, क्योंकि वे भी उत्पीड़न का कारण बन सकते हैं, जिसके तहत यह सुनिश्चित किया जाए कि पुनर्वास जबरन न हो और यौनकर्मियों एवं उनके बच्चों को शैक्षणिक और कौशल विकास के अवसर प्रदान किए जाएं।
रेखा शर्मा ने इस अवसर पर कहाकि हर नागरिक की तरह ही यौनकर्मी भी सभी अधिकारों एवं गरिमापूर्ण जीवन की हकदार होती हैं और उन्हें अवसर एवं आवश्यक सहयोग प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहाकि परामर्श का उद्देश्य यौनकर्मियों की समस्याओं को समझना और उन्हें बेहतर संस्थागत सहयोग प्रदान कर उनके अधिकारों केलिए अच्छी तरह से सोच-समझकर भविष्य का रोडमैप तैयार करना है। प्रतिभागियों ने पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया, क्योंकि यौनकर्मियों केसाथ उनके आचरण में व्यापक हिंसा/ शक्ति का दुरुपयोग देखा जाता है। प्रतिभागियों ने विशेष जोर देते हुए यह भी कहाकि यौनकर्मियों और उनके बच्चों तक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और विभिन्न लाभों की पहुंच को आसान बनाया जाना चाहिए। प्रतिभागियों ने यौनकर्मियों का शारीरिक, सामाजिक एवं मानसिक आरोग्य सुनिश्चित करने और यौनकर्मियों की सहमति केबिना ही उनकी तस्वीरें साझा करने पर मीडिया को संवेदनशील बनाने पर भी चर्चा की।