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Monday 15 August 2022 12:19:26 PM
नई दिल्ली। भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्र के नाम अपने पहले संदेश में देश-विदेश में रहने वाले भारतीयों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं और कहाकि उन्हें बहुत खुशी हैकि भारत की स्वाधीनता के 75वें साल में देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि जब हम स्वाधीनता दिवस मनाते हैं तो वास्तव में हम अपनी ‘भारतीयता’ का उत्सव मनाते हैं, हमारा भारत अनेक विविधताओं से भरा देश है, परंतु इस विविधता के साथही हममें कुछ न कुछ ऐसा है, जो एक समान है और यही समानता देशवासियों को एकसूत्र में पिरोती है, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना जागृत करती है। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि आज हमारे पास जो कुछभी है, वह मातृभूमि का दिया है, इसलिए हमें उसकी सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि केलिए अपना सबकुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए, देखिए! देश के कोने-कोने में हर घर पर कितनी शान से तिरंगा लहरा रहा है। उन्होंने कहाकि हमारे अस्तित्व की सार्थकता ही एक महान भारत के निर्माण में दिखाई देगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत की आजादी हमारे साथ-साथ विश्व में लोकतंत्र के हर समर्थक केलिए उत्सव है, स्वाधीनता आंदोलन केप्रति लोगों में व्यापक जागरुकता देखकर हमारे स्वाधीनता सेनानी अवश्य प्रफुल्लित हुए होंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि जब भारत स्वाधीन हुआ तो अनेक अंतर्राष्ट्रीय नेताओं और विचारकों ने हमारी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की सफलता पर बड़ी आशंकाएं व्यक्त की थीं, उनकी इस आशंका के कई कारण भी थे, उन दिनों लोकतंत्र आर्थिक रूपसे उन्नत राष्ट्रों तकही सीमित था, विदेशी शासकों ने वर्षों तक भारत का शोषण किया था, इस कारण भारत के लोग ग़रीबी और अशिक्षा से जूझते आ रहे थे, लेकिन भारतवासियों ने उन लोगों की आशंकाओं को गलत साबित कर दिया, भारत में लोकतंत्र की जड़ें लगातार गहरी और मजबूत होती गईं, भारत में लोकतंत्र की सफलता पर आज पूरी दुनिया न केवल आश्चर्यचकित है, बल्कि भारत के लोकतंत्र का अनुसरण भी कर रही है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने केलिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा, लेकिन भारतीय गणतंत्र की शुरुआत ही सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार से हुई, इस प्रकार आधुनिक भारत के निर्माताओं ने प्रत्येक वयस्क नागरिक को राष्ट्रनिर्माण की सामूहिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्रदान किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत को यह श्रेय जाता हैकि उसने विश्व समुदाय को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता से परिचित कराया। राष्ट्रपति ने कहाकि मैं मानती हूंकि भारत की यह उपलब्धि केवल संयोग नहीं थी, सभ्यता के आरंभ मेही भारतभूमि के संतों और महात्माओं ने सभी प्राणियों की समानता एवं एकता पर आधारित जीवनदृष्टि विकसित कर ली थी, महात्मा गांधी जैसे महानायकों के नेतृत्व में हुए स्वाधीनता संग्राम में हमारे प्राचीन जीवन मूल्यों को आधुनिक युग में फिरसे स्थापित किया गया, इसी कारण हमारे लोकतंत्र में भारतीयता के तत्व दिखाई देते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि गांधीजी सत्ता के विकेंद्रीकरण और जनसाधारण को अधिकार सम्पन्न बनाने के पक्षधर थे। उन्होंने कहाकि 75 सप्ताह से हमारे देश में स्वाधीनता संग्राम के महान सेनानियों का स्मरण किया जा रहा है, ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिरसे जीवंत रूप देकर शुरू किया गया, उस युगांतकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्वपटल पर स्थापित किया, उसे सम्मान देकर इस महोत्सव की शुरुआत की गई, यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है। उन्होंने कहाकि देशवासियों की सफलता के आधार पर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का संकल्प भी इस उत्सव का हिस्सा है, हर आयुवर्ग के नागरिक पूरे देश में महोत्सव के कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं।
द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि 14 अगस्त का दिन विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूपमें मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तिकरण और एकता को बढ़ावा देना है। राष्ट्रपति ने कहाकि 15 अगस्त 1947 को हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था, उस दिन हमने अपनी नियति को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया था, उस शुभ दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं, उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया, ताकि हमसब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारा गौरवशाली स्वाधीनता संग्राम इस विशाल भारत भूमि में बहादुरी केसाथ संचालित होता रहा, अनेक महान स्वाधीनता सेनानियों ने वीरता के उदाहरण प्रस्तुत किए और राष्ट्र जागरण की मशाल अगली पीढ़ी को सौंपी, अनेक वीर योद्धाओं तथा उनके संघर्षों विशेषकर किसानों और आदिवासी समुदाय के वीरों का योगदान एक लंबे समय तक सामूहिक स्मृति से बाहर रहा। राष्ट्रपति ने कहाकि पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूपमें मनाने का सरकार का निर्णय स्वागत योग्य है, हमारे जनजातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे पूरे देश केलिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि एक राष्ट्र केलिए विशेष रूपसे भारत जैसे प्राचीन देश के लंबे इतिहास में 75 वर्ष का समय बहुत छोटा प्रतीत होता है, लेकिन व्यक्तिगत स्तरपर यह कालखंड एक जीवन यात्रा जैसा है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि हमारे वरिष्ठ नागरिकों ने अपने जीवनकाल में अद्भुत परिवर्तन देखे हैं, वे गवाह हैंकि कैसे आजादी केबाद सभी पीढ़ियों ने कड़ी मेहनत की, विशाल चुनौतियों का सामना किया और स्वयं अपने भाग्यविधाता बने, आज हम 2047 में स्वाधीनता के शताब्दी उत्सव तककी 25 वर्ष की अवधि यानि भारत के अमृतकाल में प्रवेश कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारा संकल्प हैकि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे, इसी कालखंड में हम बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में संविधान का निर्माण करने वाली विभूतियों के विज़न को साकार कर चुके होंगे, हम एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में पहले से ही तत्पर हैं। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि वह एक ऐसा भारत होगा, जो अपनी संभावनाओं को साकार कर चुका होगा। उन्होंने कहाकि दुनिया ने हाल के वर्षों में एक नए भारत को उभरते हुए देखा है, हमने कोविड-19 महामारी का जिस सफलता से सामना किया है, उसकी सर्वत्र सराहना की गई है, हमने स्वनिर्मित वैक्सीन केसाथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया और पिछले महीने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है।
द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं, इस प्रशंसनीय उपलब्धि केलिए हम अपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और टीकाकरण से जुड़े कर्मचारियों के आभारी हैं, इस आपदा में कोरोना योद्धाओं का किया गया योगदान विशेष रूपसे प्रशंसनीय है। राष्ट्रपति ने कहाकि कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में मानवजीवन और अर्थव्यवस्थाओं पर कठोर प्रहार किया है, जब दुनिया इस गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी, तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्रगति से आगे बढ़ने लगा है, इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत के स्टार्ट-अप इको-सिस्टम का विश्व में ऊंचा स्थान है, हमारे देश में स्टार्ट-अप की सफलता विशेषकर यूनिकॉर्न की बढ़ती हुई संख्या हमारी औद्योगिक प्रगति का शानदार उदाहरण हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि विश्व में चल रही आर्थिक कठिनाई के विपरीत भारत की अर्थव्यवस्था को तेजीसे आगे बढ़ाने का श्रेय सरकार तथा नीति निर्माताओं को जाता है, पिछले कुछ वर्ष में भौतिक और डिजिटल अवसंरचना के विकास में अभूतपूर्व प्रगति हुई है।
राष्ट्रपति ने कहाकि प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना से कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया जा रहा है, परिवहन के जल, थल, वायु आदि पर आधारित सभी माध्यमों को भली-भांति एकदूसरे केसाथ जोड़कर पूरे देश में आवागमन को सुगम बनाया जा रहा है, देश में विकास के उत्साह का श्रेय किसान और मजदूर भाई-बहनों, व्यवसाय की सूझ-बूझ से समृद्धि का सृजन करने वाले उद्यमियों को भी जाता है। राष्ट्रपति ने कहाकि सबसे अधिक खुशीकी बात यह हैकि देश का आर्थिक विकास और अधिक समावेशी हो रहा है तथा क्षेत्रीय विषमताएं भी कम हो रही हैं, उदाहरण केलिए ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान के जरिए ज्ञान पर आधारित अर्थव्यवस्था की आधारशिला स्थापित की जा रही है। राष्ट्रपति ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भावी पीढ़ी को औद्योगिक क्रांति के अगले चरण केलिए तैयार करना तथा उन्हें हमारी विरासत के साथ फिरसे जोड़ना भी है। उन्होंने कहाकि आर्थिक प्रगति से देशवासियों का जीवन और भी सुगम हो रहा है, आर्थिक सुधारों केसाथ-साथ जन-कल्याण के नए कदम भी उठाए जा रहे हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना की सहायता से गरीब केपास स्वयं का घर होना अब सपना नहीं रह गया है, बल्कि सच्चाई का रूप ले चुका है, इसी तरह जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर जल योजना पर कार्य चल रहा है।
राष्ट्रपति ने कहाकि भारत में आज संवेदनशीलता और करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है, इन जीवनमूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। उन्होंने देशवासियों से अनुरोध कियाकि वे अपने मूल कर्तव्यों केबारे में जानें, उनका पालन करें, जिससे हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सके। राष्ट्रपति ने कहाकि आज देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थव्यवस्था तथा इनके साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों में जो अच्छे बदलाव दिखाई दे रहे हैं, उनके मूल में सुशासन पर विशेष बल दिए जाने की प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहाकि राष्ट्र सर्वोपरि की भावना से किए कार्य का प्रभाव प्रत्येक निर्णय एवं कार्यक्षेत्र में दिखाई देता है, यह बदलाव विश्व समुदाय में भारत की प्रतिष्ठा में भी दिखाई दे रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत के नए आत्मविश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और सबसे बढ़कर देश की महिलाएं हैं, अब देश में स्त्री-पुरुष के आधार पर असमानता कम हो रही है, महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी, पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि देश की बहुतसी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं, समुचित अवसर मिलने पर वे शानदार सफलता हासिल कर सकती हैं, अनेक बेटियों ने हालही में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में देश का गौरव बढ़ाया है, हमारे खिलाड़ी अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी देश को गौरवांवित कर रहे हैं, हमारे बहुतसे विजेता समाज के वंचित वर्गों में से आते हैं, हमारी बेटियां फाइटर पायलट से लेकर स्पेस साइंटिस्ट होने तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। उन्होंने कहाकि भारत अपने पहाड़ों, नदियों, झीलों और वनों तथा उन क्षेत्रों में रहने वाले जीव-जंतुओं के कारण भी अत्यंत आकर्षक है। उन्होंने कहाकि पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं, हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए, प्रकृति की देखभाल माँ की तरह करना हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहाकि हम भारतवासी अपनी पारंपरिक जीवनशैली से दुनिया को सही राह दिखा सकते हैं, योग एवं आयुर्वेद विश्व-समुदाय को भारत का अमूल्य उपहार है। राष्ट्रपति ने कहाकि मातृभूमि तथा देशवासियों के उत्थान केलिए सर्वस्व बलिदान करना हमारा आदर्श होना चाहिए, मैं अपने देश के युवाओं से विशेष आशा करती हूं कि वेही 2047 के भारत का निर्माण करेंगे। राष्ट्रपति ने संबोधन समाप्त करने से पहले भारत के सशस्त्र बलों, विदेशों में भारतीय मिशनों और अपनी मातृभूमि को गौरवांवित करने वाले प्रवासी भारतीयों को भी स्वाधीनता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दीं।