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Monday 15 August 2022 12:38:25 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लाल किले की प्राचीर से देश को एकसाथ कई कड़े संदेश दिए और समझने वालों ने अच्छी तरह से समझ भी लिया होगाकि प्रधानमंत्री ने कहां-कहां प्रहार किए हैं। राजनीति से लेकर देश की महत्वपूर्ण संस्थाओं में परिवारवाद जातिवाद और भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री ने तीखे प्रहार किए। आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव पर देशमें हरघर तिरंगा अभियान की अप्रतिम सफलता से प्रफुल्लित प्रधानमंत्री ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन में देशवासियों से देश का असहनीय दर्द बयां किया। किसी दल राजेनता या संस्था का नाम लिए बिना उन्होंने निकट भविष्य में इनपर कड़े और ऐतिहासिक फैसले लेने के संकेत दे दिए हैं, जिससे लगता हैकि देश में नरेंद्र मोदी सरकार कुछ और बड़ा करने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतवासियों और भारत से प्रेम करने वालों को अनेकानेक शुभकामनाएं और बधाईयां दीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सिर्फ हिंदुस्तान में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में किसी न किसी रूपमें भारतीय और भारत केप्रति अपार प्रेम रखने वाले आन-बान-शान के साथ हमारा तिरंगा लहरा रहे हैं। उन्होंने कहाकि आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो इन 75 साल में देश केलिए जीने मरने वाले, देश की सुरक्षा करने वाले, देशके संकल्पों को पूरा करनेवाले सभी लोगों के योगदान का स्मरण करने का अवसर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि 75 साल की हमारी ये यात्रा अनेक उतार-चढ़ाव से भरी हुई है, सुख-दु:ख की छाया मंडराती रही है और इसके बीच भी हमारे देशवासियों ने उपलब्धियां हासिल की हैं, पुरुषार्थ किया है, हार नहीं मानी है। उन्होंने कहाकि भारत की विविधता ही भारत की अनमोल शक्ति है, शक्ति का एक अटूट प्रमाण है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि दुनिया को पता नहीं थाकि भारत के पास एक अंतर्निहित सामर्थ्य है, एक संस्कार सरिता है और वो है भारत लोकतंत्र की जननी है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि वर्ष 2014 में देशवासियों ने मुझे दायित्व दिया, आजादी केबाद जन्मा हुआ मैं पहला व्यक्ति था, जिसको लाल किले से देशवासियों को गौरवगान करने का अवसर मिला है। प्रधानमंत्री का यह संबोधन ऐतिहासिक माना जा रहा है, जिसके अनेक निहितार्थ और सटीक विश्लेषण खोज लिए गए हैं।
लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोई घोषणाएं या आमतौर पर जनकल्याण के नए फैसलों की जानकारी नहीं दी, किंतु आज जैसे ही यह दिन देश से कुछ खास कहने के नाम रहा। प्रधानमंत्री के नए वाक्य की शुरूआत ही कुछ करने और कहने की नई भूमिका थी और जब उन्होंने कहा तो वह वास्तव में एक संदेश था, जिसके झटके महसूस किए गए। प्रधानमंत्री कहीं भावुक कहीं अत्यंत सह्रदयी और कहीं आक्रामक मूड में भी नज़र आए। उन्होंने लोगों की भाषा और भाषण शैली एवं कुछ भी बोल देने की प्रवृत्ति पर तगड़ा हमला किया। उन्होंने इसे खासतौर से महिलाओं के सम्मान से जोड़ते हुए कड़ी नसीहत दी। गौरतलब हैकि इसी संसद सत्र के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर असम्मानजनक टिप्पणी और उसपर कांग्रेस नेतृत्व की चुप्पी की देशभर में कड़ी आलोचना हुई है। अधीर रंजन चौधरी ने यद्यपि ज़ुबान फिसल जाने की बात कहकर अपना बचाव करने की कोशिश की और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपने कथन पर लिखित माफी भी मांग ली है, लेकिन यह मुद्दा कांग्रेस पर बहुत भारी पड़ा है, जिसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से भी घटनाक्रम का उल्लेख किए बिना रोषपूर्ण संदेश दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बड़ी दूरदृष्टि से सिलसिलेवार देश के ज्वलंत मुद्दे उठाए। उन्होंने कहाकि भ्रष्टाचार और परिवारवाद देश केलिए बेहद खतरनाक है। राजनीति और संस्थाओं में परिवारवाद, भाई-भतीजावाद और इनसे जनित भ्रष्टाचार पर तगड़ा हमला किया। प्रधानमंत्री ने संस्थाओं की बात कहकर कदाचित एक तरह देशकी सर्वोच्च न्यायपालिका को भी संदेश दिया, जिसमें अपवाद को छोड़कर कॉलेजियम के नाम पर करीब दोसौ जजों के परिवार नातेदार-रिश्तेदार भाई-भतीजे ही हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट के जज बनते आ रहे हैं। प्रधानमंत्री का यह संदेश और संकेत बताता हैकि मोदी सरकार इस मामले पर काफी गंभीर है और वह इसके समाधान की तरफ कदम उठाने जा रही है। हालके कुछ घटनाक्रमों ने मोदी सरकार को ऐसे मामलों में गंभीरतापूर्वक सोचने को जैसे मजबूर किया हो और इन मुद्दों पर देश की जनता भी प्रधानमंत्री के विचार से सहमत लगती है। प्रधानमंत्री ने आज न्यायपालिका का उल्लेख किए बिना बहुत कुछ कहा है, जिसपर चर्चा शुरू हो गई है और जहां तक राजनीति में परिवारवाद का मामला है तो वह तो देश के सामने है ही। देश समझ गयाकि जब राजनीति में परिवारवाद और भ्रष्टाचार की बात आई तो वे परिवार जगजाहिर हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि महात्मा गांधी का जो सपना आखिरी इंसान की चिंता करने का, अंतिम छोर पर बैठे हुए व्यक्ति को समर्थ बनाने का था तो मैंने अपने आपको उसके लिए समर्पित किया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अमृतकाल का पहला प्रभात आकांक्षी समाज की आकांक्षा को पूरा करने का सुनहरा अवसर है। उन्होंने कहाकि हमारे देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, एक तिरंगे झंडे ने दिखा दिया है, विश्व के हर कोने में हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकारों को भी समय केसाथ दौड़ना पड़ता है और मुझे विश्वास हैकि चाहे केंद्र सरकार हो, राज्य सरकार हो, स्थानीय स्वराज्य की संस्थाएं हों, किसीभी प्रकार की शासन व्यवस्था क्यों न हो, हर किसी को इस एस्पिरेशन सोसाइटी को संबोधित करना पड़ेगा, उनकी आकांक्षाओं केलिए हम ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते। उन्होंने कहाकि हमने पिछले दिनों जिस ताकत का अनुभव किया है और वोहै भारत में सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण, आजादी के इतने संघर्ष में जो अमृत था, वो अब संजोया जा रहा है, संकलित हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब दुनिया कोरोना के कालखंड में वैक्सिन लेना या न लेना, वैक्सिन काम की है या नहीं है की उलझन में जी रही थी, उस समय मेरे गरीब देश ने दो सौ करोड़ डोज का लक्ष्य हासिल करके दुनिया को चौंका देने वाला काम कर दिखाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि विश्व भारत की तरफ गर्व से देख रहा है, अपेक्षा से देख रहा है, दुनिया समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर खोजने लगी है, विश्व का यह बदलाव, विश्व की सोचमें यह परिवर्तन 75 साल की हमारी अनुभव यात्रा का परिणाम है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब राजनीतिक स्थिरता हो, नीतियों में गतिशीलता हो, निर्णयों में तेजी हो तो विकास केलिए हर कोई भागीदार बनता है, हम सबका साथ, सबका विकास का मंत्र लेकर चले थे, लेकिन देखते ही देखते देशवासियों ने सबका विश्वास और सबके प्रयास से उसमें और रंग भर दिए हैं। उन्होंने कहाकि आने वाले 25 साल देश केलिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, हमें पंच प्रण पर अपनी शक्ति केंद्रित करनी होगी। उन्होंने कहाकि जब मैं पंचप्रण की बात करता हूं तो पहला प्रण है-अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा, दूसरा प्रण है-हमें अपने मन के भीतर, आदतों के भीतर गुलामी का कोई अंश बचने नहीं देना है, तीसरी प्रण-हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए, चौथा प्रण-एकता और एकजुटता और पांचवां प्रण है-नागरिकों का कर्तव्य, जिसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं है, मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहाकि इस महासंकल्प में मेरा देश विकसित देश होगा, विकास के हरेक पैरामीटर में हम मानवकेंद्री व्यवस्था को विकसित करेंगे, हमारे केंद्र में मानव होगा, हमारे केंद्र के मानव की आशा-आकांक्षाएं होंगी।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब मैंने स्वच्छता की बात कही थी तो मेरे पहले भाषण में देश उसपर चल पड़ा, जिससे जहां हो सका, स्वच्छता की ओर आगे बढ़ा और गंदगी के प्रति नफरत एक स्वभाव बनता गया। उन्होंने कहाकि हमने जब तय किया थाकि 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेडिंग का लक्ष्य हो तो यह सपना बड़ा लगता था, लेकिन समय से पहले 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेडिंग करके देशने इस सपने कोभी पूरा कर दिया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि ढाई करोड़ लोगों को इतने कम समय में बिजली कनेक्शन पहुंचाना छोटा काम नहीं था, देश ने करके दिखाया। प्रधानमंत्री ने कहाकि क्या हम अपने मानक नहीं बनाएंगे? क्या 130 करोड़ का देश अपने मानकों को पार करने केलिए पुरुषार्थ नहीं कर सकता है, हमें किसी भी हालत में औरों के जैसा दिखने की कोशिश करने की जरूरत नहीं है, हम जैसे हैं वैसे, लेकिन सामर्थ्य के साथ खड़े होंगे, ये हमारा मिजाज होना चाहिए। उन्होंने कहाकि जिस प्रकार से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, जिस मंथन केसाथ बनी है और भारत की धरती की जमीन से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है, रसकस हमारी धरती के मिले हैं, हमने जो कौश्लय पर बल दिया है, ये एक ऐसा सामर्थ्य है, जो हमें गुलामी से मुक्ति की ताकत देगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए, हमें भाषा आती हो या न आती हो, लेकिन मेरे देश की भाषा है, मेरे पूर्वजों ने दुनिया को दी हुई ये भाषा है, हमें गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहाकि आज दुनिया समग्र स्वास्थ्य देखभाल की चर्चा कर रही है, लेकिन जब दुनिया समग्र स्वास्थ्य देखभाल की चर्चा करती है तो उसकी नज़र भारत के योग, भारत के आयुर्वेद पर जाती है, भारत की समग्र जीवनशैली पर जाती है, ये हमारी विरासत है, जो हम दुनिया को दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है, ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है, इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है। उन्होंने कहाकि विश्व के सामाजिक तनाव की जब चर्चा हो रही है, व्यक्तिगत तनाव की चर्चा होती है तो लोगों को योग दिखता है, सामूहिक तनाव की बात होती है, तब भारत की पारिवारिक व्यवस्था दिखती है। उन्होंने कहाकि हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नदी को मां मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जन कल्याण से जग कल्याण की राह पर चलने वाले हम लोग जब दुनिया की कामना करते हैं, तब कहते हैं-सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। उन्होंने कहाकि एक और महत्वपूर्ण विषय है एकता, एकजुटता, इतने बड़े देश को उसकी विविधता को हमें सेलिब्रेट करना है, हमारे यहां इतने पंथ और परंपराएं यह हमारी आन-बान-शान हैं। उन्होंने कहाकि कोई नीचा नहीं, कोई ऊंचा नहीं है, सब बराबर हैं, कोई मेरा नहीं, कोई पराया नहीं सब अपने हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अगर बेटा-बेटी एकसमान नहीं होंगे तो एकता के मंत्र नहीं गुथ सकते हैं, जेंडर इक्वैलिटी हमारी एकता में पहली शर्त है, जब हम एकता की बात करते हैं, अगर हमारे यहां एक ही पैरामीटर हो एक ही मानदंड हो, जिस मानदंड को हम कहे इंडिया फर्स्ट मैं जो कुछ भी कर रहा हूं, जोभी सोच रहा हूं, जो भी बोल रहा हूँ इंडिया फर्स्ट के अनुकुल है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि क्या हम स्वभाव, संस्कार, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं, नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। यह सामर्थ्य मैं देख रहा हूं और इसलिए मैं इस बात का आग्रही हूं।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमें कर्तव्य पर बल देना ही होगा, चाहे पुलिस हो, या पीपुल हो, शासक हो या प्रशासक हो, यह नागरिक कर्तव्य से कोई अछूता नहीं हो सकता, हर कोई अगर नागरिक के कर्तव्यों को निभाएगा तो मुझे विश्वास हैकि हम इच्छित लक्ष्य को प्राप्त करने में समय से पहले सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि आत्मनिर्भर भारत यह हर नागरिक, हर सरकार, समाज की हर ईकाई का यह दायित्व बन जाता है, आत्मनिर्भर भारत सरकारी एजेंडा, सरकारी कार्यक्रम नहीं है, यह समाज का जन आंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि दुनिया के लोग हिंदुस्तान में अपना नसीब आजमाने आ रहे हैं, टेक्नोलॉजी लेकर आ रहे हैं, रोज़गार के नए अवसर बना रहे हैं और भारत मैन्यूफैक्चिरिंग हब बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजादी के 75 साल के बाद जिस आवाज़ को सुनने केलिए हमारे कान तरस रहे थे, 75 साल केबाद वो आवाज़ सुनाई दी है, लाल किले पर से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार मेड इन इंडिया तोप ने किया है, कौन हिंदुस्तानी होगा, जिसको यह आवाज़ उसे नई प्रेरणा, ताकत नहीं देगी, मैं देश के सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करता हूं, मेरी आत्मनिर्भर बात को मेरी सेना ने अपने कंधे पर उठाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमें आत्मनिर्भर बनना है। उन्होंने प्राइवेट सेक्टर का आह्वान कियाकि हमें विश्व में छा जाना है, आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने में भारत पीछे नहीं रहेगा। उन्होंने कहाकि हमारे लघु उद्योग, सूक्ष्म उद्योग, कुटीर उद्योग, ‘जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट’ हमें करके दुनिया में जाना होगा, हमें स्वदेशी पर गर्व करना होगा। उन्होंने कहाकि मैं लाल किले से मेरी एक पीड़ा और कहना चाहता हूं, यह दर्द मैं कहे बिना नहीं रह सकता, मैं जानता हूंकि शायद यह लाल किले का विषय नहीं हो सकता, लेकिन मेरे भीतर का दर्द मैं कहां कहूंगा, देशवासियों के सामने नहीं कहूंगा तो कहां कहूंगा और वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आयी है, हमारी बोलचाल में, हमारे व्यवहार में, हमारे कुछ शब्दों में हम नारी का अपमान करते हैं, क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प नहीं ले सकते हैं? नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है, यह सामर्थ्य मैं देख रहा हूं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारा प्रयास हैकि देश के युवाओं को असीम अंतरिक्ष से लेकर समंदर की गहराई तक रिसर्च केलिए भरपूर मदद मिले, इसलिए हम स्पेस मिशन, डीप ओशन मिशन का विस्तार कर रहे हैं, स्पेस और समंदर की गहराई में ही हमारे भविष्य केलिए जरूरी समाधान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम बार-बार लालबहादुर शास्त्री को याद करते हैं, जय जवान-जय किसान का उनका मंत्र आजभी देश केलिए प्रेरणा है, बादमें अटल बिहारी वाजपेयी ने जब विज्ञान कह करके उसमें एक और कड़ी जोड़ दी और देश ने उसको स्वीकार किया, लेकिन अब अमृतकाल केलिए एक और अनिवार्यता है और वो है यानी जय अनुसंधान, जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान-जय अनुसंधान-इनोवेशन। उन्होंने कहाकि इनोवेशन की ताकत देखिए कि आज हमारे यूपीआई-भीम, हमारे डिजिटल पेमेंट का दुनिया में स्थान है, आज विश्व में रियल टाइम 40 पर्सेंट अगर डिजिटली फाइनेंशियल का ट्रांजेक्शन होता है तो वह हमारे देश में हो रहा है, हिंदुस्तान ने ये करके दिखाया है। उन्होंने कहाकि मुझे खुशी हैकि हिंदुस्तान के चार लाख कॉमन सर्विस सेंटर्स गांवों में विकसित हो रहे हैं, गांव के नौजवान बेटे-बेटियां कॉमन सर्विस सेंटर चला रहे हैं। उन्होंने कहाकि ये जो डिजिटल इंडिया का मूवमेंट है, जो सेमीकंडक्टर की ओर हम कदम बढ़ा रहे हैं, 5जी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, ऑप्टिकल फाइबर का नेटवर्क बिछा रहे हैं।उन्होंने कहाकि ये सिर्फ आधुनिकता की पहचान है ऐसा नहीं है, तीन बड़ी ताकतें इसके अंदर समाहित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आंतकवाद ने डगर-डगर चुनौतियां पैदा की हुई हैं, निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया गया, छद्म युद्ध चलते रहे, प्राकृतिक आपदाएं आती रहीं, सफलता-विफलता, आशा-निराशा न जाने कितने पड़ाव आए हैं, लेकिन भारत विचलित नहीं है, आगे बढ़ता रहा है। उन्होंने कहाकि भारत की विविधता जो औरों को भारत केलिए बोझ लगती थी, वो भारत की अनमोल शक्ति का एक अटूट प्रमाण है। उन्होंने कहाकि डिजिटल से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं में आमूल-चूल क्रांति आनेवाली है, किसी जीवन में भी बहुत बड़ा बदलाव डिजिटल से आने वाला है। उन्होंने कहाकि हमारा अटल इनोवेशन मिशन, हमारे आयुष्मान केंद्र, हमारे स्टार्टअप एक नए क्षेत्र का विकास कर रहे हैं, युवा पीढ़ी केलिए नए अवसर ले करके आ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि छोटे किसान, उनका सामर्थ्य, छोटे उद्यमी-उनका सामर्थ्य, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग, सूक्ष्म उद्योग, रेहड़ी-पटरी वाले, घरों में काम करने वाले, ऑटो रिक्शा वाले, बस सेवाएं देने वाले लोगों का सामर्थ्यवान होना भारत के सामर्थ्य की गारंटी है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम सभी देशवासी कृतज्ञ हैं पूज्य बापू, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर, वीर सावरकर के जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि यह देश मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे अनगिनत क्रांति वीरों का कृतज्ञ है जिन्होंने अंग्रेजों की हुकुमत की नींव हिला दी थी। उन्होंने कहाकि यह राष्ट्र कृतज्ञ है उन वीरांगनाओं रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी गाइदिन्ल्यू, रानी चेनम्मा, बेगम हजरत महल, वेलु नाच्चियार का जो भारत की नारी शक्ति के नाम से सम्मानित और विख्यात हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम जीवन के हर क्षेत्र में देखें, खेल-कूद का मैदान देखें या युद्ध की भूमि देखें, भारत की नारी शक्ति एक नए सामर्थ्य, नए विश्वास के साथ आगे आ रही है। उन्होंने कहाकि नारी शक्ति का भारत की 75 साल की यात्रा में जो योगदान है, उसमें मैं आने वाले 25 साल में कई गुना योगदान नारीशक्ति का देख रहा हूं। उन्होंने कहाकि भारत की नारी शक्ति त्याग और बलिदान की पराकाष्ठा है, ऐसी अनगिनत वीरांगनाओं का स्मरण करते हुए हर हिंदुस्तानी गर्व से भर जाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के संविधान के निर्माताओं का भी धन्यवाद, जिन्होंने हमें संघीय ढांचा दिया है। उन्होंने कहाकि आज हमें सहकारी संघवाद केसाथ-साथ सहकारी प्रतिस्पर्धी संघवाद की जरूरत है, हमें विकास की स्पर्धा की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि देशके सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं पहली भ्रष्टाचार और दूसरी भाई-भतीजावाद, परिवारवाद। प्रधानमंत्री ने कहाकि इन कारणों से भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, इनसे देश को लड़ना ही होगा। उन्होंने कहाकि हमारी कोशिश हैकि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं तो लोगों को लगता हैकि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं, जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है। उन्होंने कहाकि मैं भाई-भतीजावाद के खिलाफ लड़ाई में देश के नौजवानों का साथ चाहता हूं। उन्होंने कहाकि आजादी का अमृत महोत्सव, अब अमृतकाल की दिशा में पलट चुका है, आगे बढ़ चुका है, तब इस अमृतकाल में सबका प्रयास अनिवार्य है, टीम इंडिया की भावना ही देश को आगे बढ़ाने वाली है और 130 करोड़ देशवासियों की ये टीम इंडिया एक टीम के रूप में आगे बढ़कर के सारे सपनों को साकार करेगी।