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Thursday 18 August 2022 01:53:44 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय कपड़ा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एशियाई वस्त्र सम्मेलन ‘टेक्सॉन’ के 10वें संस्करण का उद्घाटन किया और दोहरायाकि नवाचार और डिजिटलीकरण हमारे कपड़ा उद्योग को पुनर्जीवित करने में मदद कर सकते हैं, वैश्विक कपड़ा केंद्र बनने की दिशा में भारत की यात्रा को और तेज कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि मुक्त व्यापार समझौतों को सफल बनाने में कपड़ा उद्योग बड़ी भूमिका निभाता है। उन्होंने कहाकि हमें आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर कपड़ा सेक्टर की उपलब्धियों पर गर्व है। उन्होंने कहाकि विकसित देशों केसाथ मुक्त व्यापार समझौते मोदी सरकार के एजेंडे में प्रमुख स्थान रखते हैं। उल्लेखनीय हैकि यह सम्मेलन ‘अगले दशक केलिए कपड़ा और लिबास उद्योग का पुनर्गठन’ विषय पर आयोजित किया गया। पीयूष गोयल ने कहाकि विकसित राष्ट्र बनने की दिशामें भारत के अग्रसर होने में नवोन्मेष निर्णायक भूमिका निभाएगा।
केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने कपड़ा सेक्टर की सभी मूल्य श्रृंखलाओं में नवोन्मेष की भूमिका को रेखांकित किया तथा कपड़ा सेक्टर से आग्रह कियाकि वह री-साइकलिंग और डिजिटलीकरण पर ध्यान केंद्रित करे। पीयूष गोयल ने कहाकि यदि उद्योग नवोन्मेष, निरंतरता, डिजिटलीकरण, नवीन उत्पादों और मुक्त व्यापार समझौतों के उपयोग पर ध्यान लगाए तो वह तेजीसे विकास कर सकता है तथा विश्व के सर्वश्रेष्ठ उद्योगों केसाथ प्रतिस्पर्धा कर सकता है। पीयूष गोयल ने कहाकि कपड़ा सेक्टर दोबारा उपयोग में आनेवाले स्रोतों का इस्तेमाल करके पर्यावरण पर पड़ने वाले दबावों को कम कर सकता है तथा अपनी उत्पादन लागत में भी कटौती कर सकता है। पीयूष गोयल ने कहाकि डिजिटलीकरण ऐसा क्षेत्र है, जो इस सेक्टर की पूरी मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने में मदद कर सकता है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त कियाकि उद्योग के दिग्गज अब डिजिटलीकरण की बात करने लगे हैं, सूचना प्रौद्योगिकी के मौजूदा दौर में हर उद्योग ब्लॉकचेन, आदि जैसी नई प्रौद्योगिकियों से लाभ उठा रहा है।
पीयूष गोयल ने सलाह दीकि ज़िप (चेन) और लिबास की सुंदरता बढ़ाने वाली सामग्रियों जैसे प्राथमिक उत्पादों तथा उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों केबारे में विचार करना चाहिए, जिन्हें अभी यह उद्योग आयात करता है। पीयूष गोयल ने कहाकि उद्योग को अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना से बहुत लाभ हो रहा है। स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के विकसित भारत के पांच प्रण-औपनिवेशिक मानसिकता से छुटकारा पाने, विरासत पर गर्व करने, एकता और एकता की भावना का हवाला देते हुए पीयूष गोयल ने कहाकि सामूहिक ऊर्जा और सामूहिक संकल्प से काम करने केलिए हर नागरिक की अपनी भूमिका होती है, एक अरब 30 करोड़ लोगों का संकल्प प्रधानमंत्री के प्रदत्त पांच प्रणों को पूरा करने में सहायक होगा। कपड़ा मूल्य श्रृंखला के हितधारकों को एक मंच पर लाने केलिए भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ की सराहना करते हुए पीयूष गोयल ने कहाकि ‘री-इमेजिंग दी टेक्सटाइल एंड ऐपरल इंडस्ट्री फॉर दी नेक्स्ट डीकेड’ विषयवस्तु बहुत प्रासंगिक है, खासतौरसे भारतीय कपड़ा निर्यात के मामले में जिसने 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य तय किया है।
एशियाई वस्त्र सम्मेलन के दौरान सीआईटीआई और इजिप्शियन कॉटन ने एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए। दोनों संस्थान आपसी लाभ केलिए मिलकर काम करेंगे। कपड़ा राज्यमंत्री दर्शना विक्रम जरदोश भी इस अवसर पर उपस्थित थीं। उन्होंने कपड़ा और लिबास उद्योग के दिग्गजों से आग्रह कियाकि वे वैश्विक कपड़ा बाजार में होनेवाले बदलाव तथा चुनौतियों का सामना करने केलिए तैयार रहें। कपड़ा सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह ने कहाकि भारत में हर उद्योग और सेक्टर को अगले 25 वर्ष में विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहाकि भारतीय कपड़ा उद्योग में इतनी क्षमता हैकि वह वैश्विक बाजार में अपना विस्तार कर सकता है, क्योंकि उसके पास पूरी मूल्य श्रृंखला मौजूद है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार उद्योग की मौजूदा समस्याओं का समाधान करने केलिए सक्रियता से काम कर रही है। सीआईटीआई के अध्यक्ष टी राजकुमार ने कहाकि वैश्विक कपड़ा उद्योग इस समय पूरी आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव के दौर से गुजर रहा है, इसमें वे देश भी शामिल हैं, जहां से सिले-सिलाये वस्त्र आते हैं।
सीआईटीआई के अध्यक्ष ने कहाकि पूरी कपड़ा मूल्य श्रृंखला में ‘चाइना प्लस वन’ (केवल चीन में निवेश करने से बचना), ‘जहां आपूर्ति श्रृंखला सस्ती है, वहां चले जाना’ या ‘आपूर्ति श्रृंखला को लचीला बनाना’ जैसी शब्दावलियां आमतौर पर सुनी जाने लगी हैं। उन्होंने कहाकि वैश्विक वस्त्र का मूल्य और लिबास का निर्यात 2021 में 828 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। इस तरह पिछले वर्ष के 770 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात से इसमें आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2021-22 में भारत के कुल निर्यातों में कपड़ा, लिबास यानी सिले-सिलाये वस्त्रों और हस्तशिल्प का निर्यात 10.62 प्रतिशत था। कपास और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक होने के अलावा भारत रेशम उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है। एक अनुमान के अनुसार विश्व बाजार में तकनीकी वस्त्र क्षेत्र की भी हिस्सेदारी 9-11 प्रतिशत तक है।