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Thursday 1 September 2022 02:48:13 PM
नई दिल्ली। शहीद भगत सिंह सांध्य महाविद्यालय की एनएसएस इकाई ने नेत्रदान और इसके महत्व को प्रोत्साहन देने केलिए एक संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी दिव्यांगजनों के सर्वांगीण विकास हेतु समर्पित राष्ट्रीय संगठन समदृष्टि क्षमता विकास एवं अनुसंधान मंडल 'सक्षम' के संयुक्त तत्वावधान में हुई। संगोष्ठी की शुरुआत एनएसएस के कार्यक्रम अधिकारी शरद कुमार यादव के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने कहाकि अभियान चलाकर जनसामान्य को नेत्रदान केप्रति जागरुक करने की आवश्यकता है। संगोष्ठी के अध्यक्ष भूगोल विभाग के प्रोफेसर वीएस नेगी ने नेत्रदान की इच्छा और इसके प्रति जनजागरण पर छात्रों और शिक्षकों से अपने विचार साझा किए।
संगोष्ठी के अतिथि और मुख्य वक्ता डॉ सौरभ रे थे। डॉ सौरभ रे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली में दृष्टिबाधित लोगों केलिए विशेष शिक्षा शिक्षण और प्रशिक्षण विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं। डॉ सौरभ रे ने दृष्टिबाधितों के बारे में अपनी व्यापक अंतर्दृष्टि केसाथ छात्रों को प्रबुद्ध किया और बतायाकि यह समाज में किसप्रकार एक सामाजिक बुराई बन गया है, जबकि दृष्टिहीनता सामाजिक बुराई नहीं है। उन्होंने दृष्टिहीनों को हाशिए पर डालने और मुख्यधारा से बहिष्कार करने से लेकर समाज के नकारात्मक प्रभाव में उनके दमन की स्थिति से अवगत कराया। डॉ सौरभ रे ने उनके उन कष्टों से भी परिचित कराया, जिनका उन्हें अपने जीवनकाल में सामना करना पड़ा है या पड़ता है। उन्होंने दृष्टिबाधितों की बाधाएं दूर करने के तरीकों पर भी प्रकाश डाला।
डॉ सौरभ रे ने दृष्टिबाधित व्यक्ति केसाथ किस तरह व्यवहार करना चाहिए, उन्हें कैसे दिशा-निर्देश दिखाने हैं, उन्हें कुर्सी पर कैसे बैठाना है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैकि उन्हें कैसे समाज का हिस्सा बनाया जाए, इन विषयों पर लोगों को शिक्षित किया। डॉ सौरभ रे ने छोटे-छोटे प्रदर्शनों को प्रस्तुत करके नेत्रहीनों की मदद करने केलिए प्रभावी ढंगसे उपयोग की जाने वाली सभी तकनीकों से छात्रों और शिक्षकों को अवगत कराया। गौरतलब हैकि डॉ सौरभ रे को तीन प्रमुख राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। संगोष्ठी का मुख्य आकर्षण द ब्लाइंडफोल्ड एक मार्च केसाथ आगे बढ़ा, जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने दो जोड़े में प्रदर्शन करके दिखाया, जिसमें एककी आंखों पर पट्टी बंधी थी और दूसरे ने कॉलेज के पूरे परिसर के अंदर दिशा दिखाई।
नेत्रदान जागरुकता केलिए छात्रों और शिक्षकों ने आंखों पर पट्टी बांधकर द ब्लाइंडफोल्ड मार्च में भाग लिया और अपने अनुभवों से नेत्रहीन व्यक्ति से जुड़ी कठिनाइयों का एहसास कराया। संगोष्ठी में एक बेहद उत्साहजनक और प्रेरकक्षण भी देखा गया, जब कई छात्रों ने अपने नेत्रदान के लिए अपना नाम दर्ज कराया और संकल्प केसाथ इस पुनीतकार्य केलिए मदद का हाथ बढ़ाया। छात्रों को इस साहसिक निर्णय केलिए प्रमाणपत्र दिए गए। संगोष्ठी में 'सक्षम', दिल्ली प्रांत के महामंत्री देवेंद्र कुमार एवं डीयू के वेंकटश्वर कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संतोष सिंह भी उपस्थित थे।