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Saturday 18 May 2013 08:50:53 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को यहां कहा कि देश के तीव्र और समावेशी विकास के लिए कुशल श्रमशक्ति उसकी आधार भूत आवश्यकता है, इसी कारण सरकार कौशल विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम की स्थापना के बाद सरकार ने हाल ही में प्रशिक्षण-व्यवस्था की गुणवत्ता में सुधार और उसे हमारी उभरती हुई आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के लिए राष्ट्रीय कौशल विकास अभिकरण (एनएसडीए) स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। यह अभिकरण कौशल विकास की प्रक्रिया में श्रेत्रीय, सामाजिक, लैंगिक और आर्थिक परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए असमानताओं को दूर करने का भी प्रयास करेगा। प्रधानमंत्री इंडियन लेबर कांफेंस के दो दिवसीय 45वें अधिवेशन का उद्घाटन कर रहे थे। उद्घाटन सत्र को केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्री मल्लिकार्जुन खडगे, श्रम राज्य मंत्री के सुरेश, भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष सीके साजी नारायणन और लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों, घरेलू श्रमिकों, असुरक्षित परिस्थितियों में कार्य करने वाले श्रमिकों की सेवा-शर्तों में सुधार पर खासतौर से ध्यान देने की आवश्यकता है, हम चाहते हैं कि इन सभी की सेवा-शर्तें अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और प्रचलनों के अनुरुप हों, इस दृष्टि से उद्योग जगत के दूतों और श्रमिक संघों, दोंनों के बीच अधिकाधिक सहयोग अपेक्षित है। डॉ मनमोहन सिंह ने श्रमिक संघों के संगठित और गैर-संगठित दोनों क्षेत्रों के सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने, राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष गठित करने, पेंशन की न्यूनतम धनराशि 1000 रुपये करने और राष्ट्रीय आधारभूत न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने जैसी मांगों का उल्लेख करते हुए बताया कि वित्त मंत्री की अध्यक्ष्ाता में गठित मंत्रि-समूह इन सभी मांगों पर विचार करेगा।
मल्लिकार्जुन खडगे ने भी कहा कि औद्योगिक और तकनीकी उत्थान के लिए प्रशिक्षित श्रम शक्ति पहली शर्त है, हमारी कुल जनसंख्या में 54 प्रतिशत व्यक्ति 24 वर्ष की आयु से कम है, इसलिए उनका मंत्रालय कौशल विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। इस दृष्टि से सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि में 3000 नये औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई), 5000 नये कौशल विकास केंद्र और 24 एडवांस ट्रेनिगं इंस्टीट्यूट खोलने का लक्ष्य रखा है।