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Thursday 8 September 2022 01:19:28 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग ने ट्रांसवुमन केलिए 'भारत में ट्रांसवुमन, समावेशन वृद्धि: समस्याएं और संभावनाएं' विषय पर अपना पहला परामर्श सत्र आयोजित किया, ताकि इस समुदाय के लोगों से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया जा सके और समाज में उनकी भी स्वीकृति एवं भागीदारी हो। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इस अवसर पर कहाकि एक ट्रांसवुमन को अपने परिवार और समाजमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और यह परामर्श सत्र उन समस्याओं और चुनौतियों के बारेमें है, जिनका सामना इस समुदाय के सदस्य करते हैं। रेखा शर्मा ने कहाकि हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को सम्मान केसाथ जीवन जीनेका अधिकार देता है और हमें सभी केलिए समानता प्राप्त करनेकी दिशामें सामूहिक रूपसे काम करना है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय महिला आयोग ट्रांसवुमन की शिकायतों को स्वीकार करता रहा है और इस परामर्श के जरिए हम उनके सामने आनेवाली समस्याओं के निवारण केलिए रूपरेखा को आकार देना चाहते हैं।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने परामर्श सत्र के माध्यम से शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नीति निर्माताओं, नागरिक समाज के सदस्यों और स्वयं ट्रांस महिलाओं को एक व्यापक मंच देने का प्रयास किया, ताकि उन समस्याओं का विश्लेषण किया जा सके, जिनका सामना वे विभिन्न क्षेत्रों में करती हैं और ट्रांस महिलाओं के कल्याण केलिए भविष्य के निर्देशों एवं नीतिगत प्रस्तावों पर चर्चा की जा सके। परामर्श सत्रमें राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सचिव मीता राजीवलोचन, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की संयुक्त सचिव राधिका चक्रवर्ती, एनसीडब्ल्यू के संयुक्त सचिव अशोली चलाई और आयोग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। ट्रांसवुमन कम्युनिटी केलिए काम करनेवाले संगठनों के हितधारक और प्रतिनिधि, पुलिस, एनएएलएसए, डीएलएसए के अधिकारी और खुदको ट्रांसवुमन के तौरपर पहचानने वाले व्यक्तियों ने परामर्श सत्र में भाग लिया। सहोदरी फाउंडेशन, हमसफर ट्रस्ट, महिला जागृत सेवाभावी संस्था, ट्रांस केयर इंडिया, नाज़ फाउंडेशन, उड़ान ट्रस्ट, एलायंस इंडिया आदि संगठनों ने भी हिस्सा लिया।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की संयुक्त सचिव राधिका चक्रवर्ती ने कहाकि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों केलिए राष्ट्रीय पोर्टल, इस समुदाय केलिए शुरू की गईं सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने केलिए एंडटूएंड सुविधाएं प्रदान करता है और सिर्फ स्वयं को प्रकट करने वाला एक पहचान दस्तावेज ही इसके लिए एकमात्र जरूरी शर्त है। उन्होंने सरकार की गरिमा गृह योजना के बारेमें भी बताया, जिसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों केलिए आश्रय, भोजन, चिकित्सा और मनोरंजक जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। परामर्श सत्रमें पैनलिस्टों ने ट्रांसवुमन और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण केलिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के कार्यों की सराहना की। पैनलिस्टों ने प्राथमिकता देकर जनता को संवेदनशील बनाने और स्कूलों एवं शैक्षणिक संस्थानों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों केलिए परामर्श तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
विशेषज्ञों ने येभी सिफारिश कीकि ट्रांसवुमन के माता-पिता और परिवार वालों को परामर्श दिया जाएकि वे अपने बच्चों को न छोड़ें, उन्हें संपत्ति के अधिकार दें और ट्रांस महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारेमें जागरुक करने केलिए जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। इसके अतिरिक्त विशेषज्ञों ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम-2019 को लागू करने की सराहना की और इस अधिनियम के उचित कार्यांवयन की आवश्यकता पर जोर दिया। विशेषज्ञों ने ट्रांसवुमन केलिए कौशल निर्माण कार्यशालाएं करने और चिकित्सा व सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तथा बीमा तक पहुंच सुनिश्चित करने का सुझाव दिया। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों को संवेदनशील बनाने केलिए स्कूलों में एक समावेशी पाठ्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता कीभी सिफारिश की, क्योंकि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों में स्कूल ड्रॉपआउट रेट बहुत ज्यादा है। अन्य सुझावों और सिफारिशों में ट्रांसवुमन की समस्याओं के समाधान केलिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन स्थापित करना भी शामिल था।