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Monday 26 September 2022 06:48:52 PM
शिमला। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज राष्ट्र की सेवामें अपने प्राणों की आहुति देनेवाले हिमाचल प्रदेश के सशस्त्रबलों के शहीद जवानों के परिजनों को सम्मानित किया है। हिमाचल के कांगड़ा जिले के बाडोली गांव में सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया। रक्षामंत्री ने परमवीरचक्र से सम्मानित मेजर सोमनाथ शर्मा (1947), महावीरचक्र से सम्मानित ब्रिगेडियर शेरजंग थापा (1948), परमवीरचक्र से सम्मानित लेफ्टिनेंट कर्नल धनसिंह थापा (1962), परमवीरचक्र से सम्मानित कैप्टन विक्रम बत्रा (1999) और सूबेदार मेजर संजय कुमार (1999) सहित उन सभी युद्ध नायकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका नाम उनकी बेजोड़ बहादुरी और बलिदान केलिए हर भारतीय के दिल में अंकित है। राजनाथ सिंह ने युद्धवीरों के परिजनों के सम्मान में कहाकि देश शहीदों के बलिदान का सदैव ऋणी रहेगा। उन्होंने कहाकि सशस्त्रबल हमेशा युवाओं केलिए प्रेरणास्रोत रहेंगे, क्योंकि उनमें अनुशासन, कर्तव्य, समर्पण, देशभक्ति और बलिदान के गुण हैं और वे राष्ट्रीय गौरव एवं विश्वास के प्रतीक हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसने पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया है और इसकी बहादुरी केलिए दुनियाभर में इसकी सेना का सम्मान किया जाता है। उन्होंने कहाकि भारत ने कभीभी किसी देश पर हमला नहीं किया है, न ही उसने एक इंच भी विदेशी भूमि पर कब्जा किया है। उन्होंने कहाकि पृष्ठभूमि, धर्म और पंथ मायने नहीं रखते, बल्कि यह मायने रखता हैकि हमारा प्रिय तिरंगा ऊंचा उड़ता रहे। उन्होंने राष्ट्र को आश्वासन दियाकि यदि भारतमें सद्भाव को बिगाड़ने का कोई प्रयास किया गया तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहाकि भारत एक शांतिप्रिय देश है, लेकिन इसे कायर या युद्ध से डरने वाला समझने की गलती नहीं करनी चाहिए। रक्षामंत्री ने कहाकि ऐसे समय में जब हम दुनिया केसाथ मिलकर कोविड-19 से निपट रहे थे, हमें चीन केसाथ उत्तरी सीमा पर तनाव का सामना करना पड़ा, गलवान घटना के दौरान हमारे जवानों के साहस ने यह साबित कर दियाकि सत्ता कितनी भी बड़ी क्यों न हो, भारत कभी नहीं झुकेगा। राजनाथ सिंह ने कहाकि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई रणनीति ने उन लोगों की कमर तोड़ दी है, जो राष्ट्र की एकता और अखंडता को चोट पहुंचाने की कोशिश करते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहाकि एक सुविचारित नीति केतहत पाकिस्तान में सीमापार से आतंकवादी गतिविधियां की गई हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि उरी और पुलवामा हमलों केबाद हमारी सरकार और सशस्त्र बलों ने 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में बालाकोट हवाई हमले से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने केलिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया। उन्होंने कहाकि हमने दिखायाकि हमारे सुरक्षाबलों केपास इस तरफ और जरूरत पड़ने पर सीमा के दूसरी तरफ भी कार्रवाई करने की क्षमता है। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत की छविमें बदलाव आया है, अब इसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गंभीरता से सुना जाता है। रक्षामंत्री ने देशको मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के सरकार के अटूट संकल्प और साकार करने के उपायों के कारण हासिल प्रगति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि पहले भारत को एक रक्षा आयातक के रूपमें जाना जाता था, आज यह दुनियाके शीर्ष 25 रक्षा निर्यातकों में से एक है। रक्षामंत्री ने कहाकि आज रक्षा निर्यात 13,000 करोड़ रुपये को पारकर गया है, उम्मीद हैकि 2025 तक रक्षा निर्यात 35,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा और 2047 केलिए निर्धारित 2.7 लाख करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा।
रक्षामंत्री ने कहाकि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का गठन और सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना राष्ट्रीय सुरक्षा केलिए कुछ प्रमुख सुधार हैं। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के दरवाजे लड़कियों केलिए भी खोल दिए गए हैं, सशस्त्रबलों में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया जा रहा है, युद्धपोतों पर महिलाओं की तैनाती का रास्ता खोल दिया है। उन्होंने कहाकि सरकार एक नए भारत का निर्माण कर रही है, गलत इरादे वाले लोगों को धूल चाटने के सिवा कुछभी नहीं मिलेगा। रक्षामंत्री ने कहाकि सशस्त्रबलों से ली गई प्रेरणा ही भारत के विकासपथ पर तेजीसे आगे बढ़ने का मुख्य कारण है। उन्होंने कहाकि जब राष्ट्रीय हितों पर हमला होता है तो सैनिक ही उस हमले को सहन करता है, देशकी रक्षा करता है, शहीद नायकों का सर्वोच्च बलिदान लोगों को जीवंत रखता है। राजनाथ सिंह ने हिमाचल प्रदेश को भारत और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों केलिए रणनीतिक रूपसे महत्वपूर्ण सीमावर्ती राज्य बताया। रक्षामंत्री ने कहाकि सीमा के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के साथ-साथ देशकी खुफिया और संचार क्षमता को नरेंद्र मोदी सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि सीमावर्ती क्षेत्रोंमें सैकड़ों किलोमीटर लंबी सड़कों, पुलों और सुरंगों का निर्माण किया गया है, जिसमें हिमाचल प्रदेश में बनी अटल सुरंग ऐसीही बड़ी परियोजनाओं मेसे एक है। उन्होंने पूर्व सैनिकों की भलाई और कल्याण केलिए सरकार की प्रतिबद्धता और कर्तव्य को दोहराया। उन्होंने 'डिजिटल इंडिया' केतहत ऑनलाइन सेवाओं सहित रक्षा मंत्रालय के जीवनयापन को आसान बनाने के उन कदमों को सूचीबद्ध किया, जिनमें स्मार्ट कैंटीन कार्ड, भूतपूर्व सैनिक पहचान पत्र, केंद्रीय सैनिक बोर्ड और पुनर्वास सेवा महानिदेशालय तक ऑनलाइन पहुंच और पेंशन प्रशासन प्रणाली (रक्षा) (स्पर्श) पहल केलिए प्रणाली की शुरुआत शामिल हैं। राजनाथ सिंह ने 1971 के युद्धमें भारत की जीत का उल्लेख करते हुए कहाकि इसे इतिहास में किसीभी प्रकार की संपत्ति, अधिकार या शक्ति के बजाय मानवता केलिए लड़े गए युद्ध के रूपमें याद किया जाएगा। उन्होंने कहाकि जनरल सैम मानेकशॉ, जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा, जनरल जैकब, जनरल सुजान सिंह उबान और जनरल ऑफिसर इन कमांड एयर मार्शल लतीफ के नाम उल्लेखनीय हैं, जिन्होंने भारत को शानदार जीत दिलाई। रक्षामंत्री ने कहाकि युद्धमें भारतीय सैनिकों में हिंदू, मुस्लिम, पारसी, सिख और यहूदी शामिल थे, यह सर्वधर्म समभाव केप्रति भारत के विश्वास का प्रमाण है, ये सभी वीर सैनिक अलग-अलग मातृभाषा वाले अलग-अलग राज्यों के थे।