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Tuesday 27 September 2022 02:50:07 PM
नई दिल्ली/ मुंबई। भारतीय फिल्मों में अपने जमाने में शानदार अभिनय के जल्वे बिखेरने वाली विख्यात फिल्म अभिनेत्री पद्मश्री आशा पारिख को भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फाल्के सम्मान प्रदान किया जाएगा। आशा पारिख आज करीब 80 की उम्र में हैं। दादासाहेब फाल्के सम्मान चयन बोर्ड के ज्यूरी सदस्य फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी, पूनम ढिल्लो, गायिका आशा भोसले, उदित नारायण, टीएस नागभरण ने इस सम्मान केलिए अभिनेत्री आशा पारिख का चयन किया है, जिसकी बॉलीवुड सहित सर्वत्र सराहना हो रही है। आशा पारिख को यह सम्मान घोषित होने पर उन्हें बधाईयां देने वालों तांता लग गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस सम्मान केलिए आशा पारिख को बधाई दी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 30 सितंबर को समारोहपूर्वक आशा पारिख को यह सम्मान प्रदान करेंगी। गौरतलब हैकि आशा पारिख भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड की चेयरमैन भी रह चुकी हैं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुका है। वह फिल्म निर्देशक और निर्माता भी हैं। आशा पारिख सबसे सफल और प्रभावशाली अभिनेत्रियों में से एक हैं।
आशा पारिख को 1992 में भारतीय सिनेमा में उनके सर्वश्रेष्ठ योगदान केलिए भारत सरकार उन्हें पद्मश्री सम्मान प्रदान कर चुकी है। आशा पारिख गुजराती हैं। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1942 को हुआ था। सुधा उर्फ सलमा पारिख उनकी माँ हैं, जो एक बोहरा मुस्लिम थीं और उनके पिता बचूभाई पारिख हिंदू गुजराती थे। आशा पारिख की माँ ने उन्हें कम उम्र में ही भारतीय शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा दिलाई। उन्होंने पंडित बंसीलाल भारती सहित कई नृत्य शिक्षकों से नृत्य सीखा। आशा पारिख ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूपमें बेबी आशा पारिख नाम से की। प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक बिमल रॉय ने एक मंच पर उनका नृत्य देखा और दस साल की उम्र में उन्हें माँ (1952) केलिए में कास्ट किया और फिर (1954) उन्हें बाप बेटी में दोहराया। यद्यपि यह फिल्में असफल रहीं, जिससे उन्हें निराशा हुई। काफी समय बाद फिल्म निर्माता सुबोध मुखर्जी और लेखक निर्देशक नासिर हुसैन ने उन्हें शम्मी कपूर के साथ दिल देके देखो (1959) में नायिका के रूपमें लिया, जिसने उन्हें एक बहुत बड़ा स्टार बना दिया।
आशा पारिख के फिल्मी जीवन में नासिर हुसैन का एक लंबा साथ रहा और कहा जाता हैकि उनसे प्यार भी रहा और अपनी शादी ही नहीं की। नासिर हुसैन ने उन्हें छह और फिल्मों में अपनी नायिका के रूपमें मौके दिए-जब प्यार किसी से होता है (1961), फिर वही दिल लाया हूं (1963), तीसरी मंजिल (1966), बहारों के सपने (1967), प्यार का मौसम (1969) और कारवां (1971)। उन्होंने नासिर हुसैन की फिल्म मंजिल मंजिल (1984) में भी एक कैमियो किया था। बहारों के सपने (1967) से शुरू होकर नासिर हुसैन ने उन्हें 21 फिल्मों के वितरण में भी शामिल किया। आशा पारिख को मुख्य रूपसे अधिकांश फिल्मों में एक ग्लैमर गर्ल, उत्कृष्ट डांसर, टॉम्बॉय के रूपमें जाना जाता था, जब तककि निर्देशक राज खोसला ने उन्हें उनकी तीन पसंदीदा फिल्मों में त्रासदीपूर्ण भूमिकाओं में कास्ट करके एक गंभीर छवि नहीं दी। दो बदन (1966), चिराग़ (1969) और मैं तुलसी तेरे आंगन की (1978) उनकी ऐसी ही फिल्में हैं। फिल्म निर्देशक शक्ति सामंत ने आशा पारिख को फिल्म पगला कहीं का (1970) और कटी पतंग (1970) में अधिक नाटकीय भूमिकाएं दीं।
आशा पारिख ने हिंदी फिल्मों के अलावा अपनी मातृभाषा की तीन गुजराती फिल्मों में अभिनय किया। इनमें एक अखंड सौभाग्यवती (1963) फिल्म थी, जो बड़ी हिट हुई। उन्होंने कुछ पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया जैसे-धर्मेंद्र केसाथ कंकण दे ओहले (1971) और दारा सिंह केसाथ लम्बरदारनी (1976)। आशा पारिख ने कन्नड़ फिल्म शारवेगड़ा सारदरा (1989) में प्रमुख नायिका के रूपमें काम किया। उन्होंने देव आनंद, शम्मी कपूर और राजेश खन्ना जैसे अभिनेताओं केसाथ लोकप्रिय जोड़ी बनाई। विजय आनंद और मोहन सहगल आदि निर्देशकों ने उन्हें अपनी कई फिल्मों में बार-बार कास्ट किया। आशा पारिख ने अपने फिल्मी कैरियर के अंतिम दौर में भाभी और माँ के सहायक किरदार भी निभाए। फिल्म कालिया (1981) में उन्होंने अमिताभ बच्चन केसाथ काम किया। इसके बाद उन्होंने फिल्मों में अभिनय करना बंद कर दिया। आशा पारिख 1990 के दशक में गुजराती धारावाहिक ज्योति की टेलीविजन निर्देशक बनीं। उन्होंने एक प्रोडक्शन कंपनी बनाई और पलाश के फूल, बाजे पायल, कोरा कागज़ और एक कॉमेडी दाल में काला जैसे धारावाहिक बनाए।
आशा पारिख अविवाहित हैं। उनकी जिंदगी का यह पक्ष बहुत दुर्लभ माना जाता है। इस संबंध में आशा पारिख ने कभीभी कोई स्पष्ट स्वीकार्यता नहीं की। उनसे जबभी सवाल हुआ तो उसका निर्णायक उत्तर नहीं लिया जा सका। आशा पारिख ने अपने संस्मरण द हिट गर्ल में अफवाहों की पुष्टि जरूर की है, जैसेकि वह निर्देशक नासिर हुसैन केसाथ रोमांटिक रूपसे शामिल थीं, जो पहले से ही शादीशुदा थे, लेकिन दोनों परिवारों के सम्मान में वह उससे शादी नहीं कर सकती थी। आशा पारिख पहले केवल यही बताती थींकि उनका एक प्रेमी था, लेकिन उन्होंने अपने इस रिश्ते के बारेमें विस्तार से बताने से इंकार कर दिया। आशा पारिख का कहना हैकि उन्होंने नासिर हुसैन को उसके जीवन के अंतिम वर्ष में नहीं देखा, क्योंकि वह अपनी पत्नी की मृत्यु के कारण एकांतप्रिय हो गया था, लेकिन उसने वर्ष 2002 में उसकी मृत्यु से एक दिन पहले उससे बात की थी। उसने अमेरिका में रहने वाली एक भारतीय प्रोफेसर से लगभग शादी कर ली, लेकिन वह अपनी प्रेमिका को छोड़ना नहीं चाहता था, इसलिए उसने शादी की योजना को रद्द कर दिया। उसने एक बच्चे को गोद लेने की भी कोशिश की थी वगैहरा-वगैहरा।
आशा पारिख ने फिल्म जगत में अभिनय के अलावा और भी भूमिकाएं निभाईं। वे वर्ष 1994 से 2000 तक सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन की अध्यक्ष बनीं। वे सिने एंड टेलीविज़न आर्टिस्ट एसोसिएशन की कोषाध्यक्ष हुईं। भारत के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की 1998 से 2001 तक अध्यक्ष हुईं। आशा पारिख फिल्म सेंसर बोर्ड की पहली महिला हुई हैं। इस पद पर रहते उन्होंने कोई वेतन नहीं लिया। उनका फिल्मों को सेंसर करने और शेखर कपूर की एलिजाबेथ को मंजूरी नहीं देना काफी विवाद और चर्चा में रहा। उन्हें बहुत ख्यातिप्राप्त अवार्ड मिले हैं। आशा पारिख की मुंबई में कारा भवन सांताक्रूज़ में नृत्य अकादमी है और मुंबई में एक अस्पताल भी चला रही हैं, उन्होंने जिसका नाम उनके कई मानवीय योगदानों के कारण उनके सम्मान में रखा है।