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Wednesday 12 October 2022 01:16:28 PM
उज्जैन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पारंपरिक पूजा परिधान में उज्जैन में भगवान श्रीमहाकाल का दर्शन-पूजन किया। उन्होंने भगवान श्रीमहाकाल की आरती उतारी, पुष्पांजलि अर्पित की और आंतरिक गर्भगृह के दक्षिणी कोने में बैठकर मंत्रों का जाप करते हुए ध्यान किया। प्रधानमंत्री नंदी प्रतिमा के बगल में बैठे और हाथ जोड़कर प्रार्थना की। उन्होंने मंदिर के संतों से मुलाकात और बातचीत भी की। प्रधानमंत्री ने श्रीमहाकाल लोक में महाकाल लोक परियोजना का पहला चरण राष्ट्र को समर्पित करते हुए पट्टिका का अनावरण किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने महाकाल लोक मंदिर परिसर का दौरा किया और सप्तऋषि मंडल, मंडपम, त्रिपुरासुर वध और नवगढ़ देखा। प्रधानमंत्री ने भित्ति चित्र देखें, जिनमें कई कहानियां उकेरी हुई थीं, इनमें शिवपुराण में वर्णित सृजन का कार्य, गणेश के जन्म, सती और दक्ष की कहानियां शामिल थीं। नरेंद्र मोदी ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम देखा और मानसरोवर में मलखंब प्रदर्शन देखा। उन्होंने भारत माता मंदिर के भी दर्शन किए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहाकि श्रीमहाकाल लोक की ये भव्यता समय की सीमाओं से परे आनेवाली पीढ़ियों को अलौकिक दिव्यता के दर्शन कराएगी, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना को ऊर्जा देगी। उन्होंने कहाकि श्रीमहाकाल की नगरी उज्जैन के बारेमें हमारे यहां कहा गया है-'प्रलयो न बाधते तत्र महाकालपुरी' अर्थात महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार सेभी मुक्त है, हजारों वर्ष पूर्व जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आजसे अलग रहा होगा, तबसे ये माना जाता हैकि उज्जैन भारत के केंद्र में है, एक तरह से ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र है, बल्कि ये भारत की आत्मा का भी केंद्र है, ये वो नगर है, जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है, जहां स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने भी आकर शिक्षा ग्रहण की थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वो प्रताप देखा है, जिसने भारत के स्वर्णकाल की शुरुआत की थी, श्रीमहाकाल की धरती से विक्रम संवत के रूपमें भारतीय कालगणना का एक नया अध्याय शुरू हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि यहां कालचक्र एवं 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग हैं, यहां 4 महावीर हैं, 6 विनायक हैं, 8 भैरव हैं, अष्टमातृकाएं हैं, 9 नवग्रह हैं, 10 विष्णु हैं, 11 रुद्र हैं, 12 आदित्य हैं, 24 देवियां हैं और 88 तीर्थ हैं, इन सबके केंद्र में राजाधिराज कालाधिराज महाकाल विराजमान हैं यानि एक तरह से हमारे पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को हमारे ऋषियों ने प्रतीक स्वरूप में उज्जैन में स्थापित किया हुआ है, इसीलिए उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारतकी संपन्नता और समृद्धि, ज्ञान और गरिमा, सभ्यता और साहित्य का नेतृत्व किया है। उन्होंने कहाकि भगवान श्रीमहाकाल एकमात्र ऐसे ज्योतिर्लिंग हैं, जो दक्षिणमुखी हैं, ये शिव के ऐसे स्वरूप हैं, जिनकी भस्म आरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, हर भक्त अपने जीवन में भस्म आरती के दर्शन जरूर करना चाहता है। उन्होंने कहाकि महाकाल लोक परियोजना का पहला चरण विश्वस्तरीय आधुनिक सुविधाएं प्रदान करके यहां आनेवाले तीर्थयात्रियों के अनुभव को समृद्ध करने में मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि परियोजना का उद्देश्य इस पूरे क्षेत्रमें भीड़भाड़ को कम करना, विरासत संरचनाओं के संरक्षण और जीर्णोद्धार पर विशेष जोर देना है, इसके तहत मंदिर परिसर का करीब सात गुना विस्तार किया जाएगा, जिसकी लागत लगभग 850 करोड़ रुपये है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि श्रीमहाकाल मंदिर का मौजूदा फुटफॉल वर्तमान में लगभग 1.5 करोड़ प्रतिवर्ष है, इसके दोगुना होने की उम्मीद है, परियोजना के विकास की योजना दो चरणों में बनाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि यहां महाकाल पथ में 108 स्तंभ हैं, जो भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप (नृत्य रूप) को दर्शाते हैं। उन्होंने बतायाकि महाकाल पथ के किनारे भगवान शिव के जीवन को दर्शाने वाली कई धार्मिक मूर्तियां स्थापित की गई हैं, भित्ति चित्र शिव पुराण में वर्णित सृजन के कार्य, गणेश के जन्म, सती और दक्ष की कहानियों पर आधारित हैं। उन्होंने बतायाकि इस प्लाजा का क्षेत्रफल 2.5 हेक्टेयर है और ये कमल के तालाब से घिरा हुआ है, जिसमें पानी के फव्वारे केसाथ शिव की मूर्ति है। उन्होंने कहाकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सर्विलांस कैमरों की मदद से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से इस पूरे परिसर की चौबीस घंटे निगरानी की जाएगी। प्रधानमंत्री केसाथ मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे।