स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 15 October 2022 03:31:11 PM
वाशिंगटन डीसी/ नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा हैकि वैश्विक बाधाओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर बनी रहेगी और वित्तीय वर्ष 2022-23 में इसके 7 प्रतिशत की विकास दर से बढ़ने का अनुमान है। उन्होंने कहाकि ये अनुकूल घरेलू नीति के माहौल और विकास को बढ़ावा देने केलिए प्रमुख संरचनात्मक सुधारों पर सरकार के फोकस काही नतीजा है। निर्मला सीतारमण ने आज वाशिंगटन डीसी में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष मुख्यालय में 2022 की वार्षिक बैठकों के दौरान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा और वित्त समिति की पूर्ण बैठक में भाग लिया और दुनिया के सामने मौजूद रणनीतिक चुनौतियों से निपटने में मदद केलिए वैश्विक समुदाय से समन्वित प्रतिक्रिया मांगी है। वित्तमंत्री ने कहाकि आईएमएफसी की ये बैठक ऐसे समय में होरही हैं, जब वैश्विक आर्थिक परिदृश्य कई प्रमुख नकारात्मक जोखिमों से घिरा हुआ है, जैसेकि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में ग्रोथ में मंदी, मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति के कारण सीमापार पड़ते प्रभाव, बढ़ती हुई खाद्य और ऊर्जा कीमतों के कारण उपजे मुद्रास्फीति के दबाव, जिन्होंने कमजोर अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मुद्रास्फीति प्रबंधन को आगे बढ़ते हुए विकास दर की रक्षा केलिए भारत सरकार की पहलों पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि हमने देशके विशाल सार्वजनिक वितरण नेटवर्क के माध्यम से 25 महीने से 800 मिलियन से ज्यादा कमजोर परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित की है। निर्मला सीतारमण ने कहाकि वित्तीय सेवाओं को अंतिम मील तक गरीबों केपास पहुंचाना सरकार की प्रमुख प्राथमिकता रही है और इसे भारत के बेहतर सार्वजनिक डिजिटल ढांचे से मदद मिली है। वित्तमंत्री ने कहाकि भारत डिजिटल भुगतान नवाचारों के मामले में दुनियामें अग्रणी है और हमारी लेनदेन लागत दुनियामें सबसे कम है। उन्होंने कहाकि उनका मानना हैकि आईएमएफ को वैश्विक वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा केलिए उभरते और कम आय वाले देशों केलिए उपलब्ध संसाधनों को बढ़ाने की जरूरत है, इसलिए 15 दिसंबर 2023 तक 16वें जीआरक्यू का समापन करना विश्व अर्थव्यवस्था में सापेक्ष स्थिति के अनुरूप उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के मतदान अधिकारों को बढ़ाने केलिए महत्वपूर्ण है।
वित्तमंत्री ने कहाकि वैश्विक रिकवरी की राहमें एक प्रमुख नकारात्मक जोखिम, कई कम आय वाले देशोंमें बढ़ा हुआ ऋण संकट है, इसलिए ये महत्वपूर्ण हैकि आईएमएफ उन्हें भुगतान संतुलन संबंधी कमजोरियों से निपटने केलिए आवश्यक सहायता प्रदान करे। इस संदर्भ में उन्होंने विश्व के देशोंको खाद्य असुरक्षा से निपटने में मदद करने केलिए नई फूड शॉक विंडो की आईएमएफ की हालिया पहल का स्वागत किया। जलवायु परिवर्तन पर वित्तमंत्री ने समानता के सिद्धांतों और समान लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं केसाथ बहुपक्षीय दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दियाकि भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तरपर निर्धारित अपडेटेड योगदानों के माध्यम से एक महत्वाकांक्षी क्लाइमेट एक्शन प्लान तय किया है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से आर्थिक विकास को अलग करने केलिए उच्चतम स्तरपर भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। वित्तमंत्री ने रेखांकित कियाकि विकसित देशोंसे विकासशील देशोंको जलवायु वित्त और कम लागत वाली जलवायु प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण करना अब बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।