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Monday 17 October 2022 06:11:30 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत की समृद्धि और विकास के अहम भागीदार किसानों को दिवाली की अग्रिम बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए उन्हें सौगातें सौंपी। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज किसानों के जीवन को और आसान बनाने, उनको और अधिक समृद्ध बनाने और हमारी कृषि व्यवस्थाओं को और आधुनिक बनाने की दिशामें कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली में पीएम किसान सम्मान सम्मेलन-2022 का उद्घाटन किया। उन्होंने रसायन और उर्वरक मंत्रालय केतहत 600 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों का शुभारंभ किया, प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना-एक राष्ट्र एक उर्वरक का शुभारंभ किया और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 16,000 करोड़ रुपये की 12वीं किस्त भी जारी की। प्रधानमंत्री ने कृषि स्टार्टअप कॉन्क्लेव और प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, इस दौरान, उर्वरक पर एक ई-पत्रिका 'इंडियन एज' का विमोचन किया, स्टार्टअप प्रदर्शनी की थीम पवेलियन का भ्रमण किया और वहां प्रदर्शित उत्पादों का अवलोकन भी किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए एक परिसर में जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान की उपस्थिति को स्वीकार किया और कहाकि हम आज यहां इस मंत्र को जीवंत रूपमें देख सकते हैं। उन्होंने बतायाकि किसान सम्मेलन किसानों के जीवन को आसान बनाने, उनकी क्षमता को बढ़ाने और उन्नत कृषि तकनीकों को बढ़ावा देने का एक माध्यम है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज 600 से अधिक प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों की शुरुआत हो रही है, ये केंद्र न केवल उर्वरक केलिए बिक्री केंद्र हैं, बल्कि देशके किसानों केसाथ एक घनिष्ठ नाता जोड़ने वाला एक तंत्र हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पर प्रधानमंत्री ने कहाकि बिना किसी बिचौलिए को शामिल किए पैसा सीधे किसानों के खातों में पहुंचता है। उन्होंने दिवाली से ठीक पहले किसानों तक धनराशि पहुंचने पर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज एक राष्ट्र एक उर्वरक के रूपमें किसानों को सस्ती और क्वालिटी खाद भारत ब्रांड केतहत उपलब्ध कराने की योजना भी शुरू की गई है। वर्ष 2014 से पहले के उस समय को याद करते हुए जब किसानों को संकटग्रस्त कृषि क्षेत्र और यूरिया की कालाबाजारी से जूझना पड़ता था, प्रधानमंत्री ने कहाकि किसानों को अपना उचित हक जताने केलिए भी डंडों का आघात सहना पड़ता था। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार ने यूरिया पर 100 प्रतिशत नीम का लेप लगाकर उसकी कालाबाजारी को रोका है, हमने देशकी उन 6 सबसे बड़ी यूरिया फैक्ट्रियों को फिरसे शुरू करने केलिए कड़ी मेहनत की, जो वर्षों से बंद पड़ी थीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत तरल नैनो यूरिया उत्पादन में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहा है, नैनो यूरिया कम लागत में अधिक उत्पादन करने का माध्यम है, यूरिया से भरी एक बोरी का स्थान अब नैनो यूरिया की एक बोतल ले सकती है। उन्होंने कहाकि इससे यूरिया की परिवहन लागत में भी काफी कमी आएगी। प्रधानमंत्री ने भारत की उर्वरक सुधार की कहानी में दो नए उपायों का उल्लेख किया, सबसे पहले देशभर में 3.25 लाख से अधिक उर्वरक दुकानों को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों के रूपमें विकसित करने का अभियान शुरू किया जा रहा है, ये ऐसे केंद्र होंगे, जहां किसान न केवल उर्वरक और बीज खरीद सकते हैं, बल्कि मिट्टी परीक्षण भी करा सकते हैं और कृषि तकनीकों के बारेमें उपयोगी जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। दूसरे-एक राष्ट्र, एक उर्वरक से किसान को खाद की गुणवत्ता और उसकी उपलब्धता को लेकर फैली हर तरह की भ्रांति से मुक्ति मिलने वाली है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अब देशमें बिकने वाला यूरिया एक ही नाम, एक ही ब्रांड और एक ही गुणवत्ता का होगा और यह ब्रांड 'भारत' है! अब यूरिया देशमें केवल 'भारत' ब्रांड नाम के तहत ही उपलब्ध होगा। उन्होंने कहाकि इससे उर्वरकों की लागत कम होगी और उनकी उपलब्धता भी बढ़ेगी।
प्रौद्योगिकी आधारित आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने की समय की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि हमें कृषि में नई प्रणालियां सृजित करनी होंगी, खुले दिमाग से अधिक वैज्ञानिक और तकनीकी विधियों को भी अपनाना होगा, इसी सोच के साथ हमने कृषि में वैज्ञानिक विधियों को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने बतायाकि अभीतक 22 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं और सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने केलिए भी वैज्ञानिक प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहाकि 7-8 वर्ष के दौरान किसानों को बदली हुई जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल लगभग 1700 नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराए गए हैं। प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर बाजरे के बारेमें बढ़ती जिज्ञासा पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि हमारे यहां जो पारंपरिक मोटा अनाज बाजरा होता है, उनके बीजों की गुणवत्ता बढ़ाने केलिए भी देशमें अनेक हब बनाए जा रहे हैं। पूरे विश्व में भारत के मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बतायाकि अगले वर्ष को मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष भी घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री ने सिंचाई केलिए अंधाधुंध मात्रा में पानी का उपयोग करने के बारेमें सचेत किया और प्रति बूंद, अधिक फसल, सूक्ष्म सिंचाई और ड्रिप सिंचाई की दिशा में सरकार के प्रयासों को दोहराया। उन्होंने बतायाकि 7-8 वर्ष में देश की लगभग 70 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन को सूक्ष्म सिंचाई के दायरे में लाया जा चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करते हुए कहाकि यह भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने का एक अहम रास्ता प्रदान करता है, इसके लिए भी देशभर में हम काफी जागरुकता का अनुभव कर रहे हैं, प्राकृतिक खेती को लेकर गुजरात, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश केसाथ यूपी, उत्तराखंड में बड़े स्तर पर किसान काम कर रहे हैं, गुजरात में तो जिला और ग्राम पंचायत स्तर पर भी इसको लेकर योजनाएं बनाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग से छोटे किसानों को कैसे लाभ होता है, इसका एक उदाहरण पीएम किसान सम्मान निधि है। उन्होंने कहाकि इसके शुरू होने केबाद से दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए हैं, छोटे किसानों केलिए जो देशकी किसानों की कुल आबादी का 85 प्रतिशत से ज्यादा हैं, यह एक बहुत बड़ा समर्थन है। किसानों केलिए 'ईज ऑफ लिविंग' सुनिश्चित करनेवाले विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि आज बेहतर और आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए हम खेत और बाजार केबीच की दूरी कोभी कमकर रहे हैं, इसका भी सबसे बड़ा लाभार्थी छोटा किसान ही है, जो फल, सब्जियां, दूध और मछली जैसे जल्दी खराब होने वाले उत्पादों से जुड़ा है, किसान रेल और कृषि उड़ान हवाई सेवा इसमें बहुत काम आ रही है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि ये आधुनिक सुविधाएं आज किसानों के खेतों को देशभर के बड़े शहरों और विदेश के बाजारों से जोड़ रही हैं। उन्होंने बतायाकि भारत कृषि निर्यात के मामले में शीर्ष 10 देशों में शामिल है, विश्वव्यापी महामारी की समस्याओं के बावजूद कृषि निर्यात में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने कहाकि ऐसी पहल को एक जिला, एक उत्पाद योजना केतहत समर्थन दिया जा रहा है और जिला स्तरपर निर्यात हब स्थापित किए जा रहे हैं, इसी तरह प्रोसेस्ड फूड से किसानों को ज्यादा आमदनी हो रही है, बड़े फूड पार्कों की संख्या दो से बढ़कर 23 हो गई है, साथही एफपीओ और एसएचजी को इन पार्कों से जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि ई-नाम ने किसानों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, ई-नाम टेक्नोलॉजी के माध्यम से किसानों को देशके किसीभी मंडी में अपनी उपज बेच सकने में सक्षम बनाता है। उन्होंने बतायाकि कुल 1.75 करोड़ से ज्यादा किसानों और 2.5 लाख व्यावसायियों को ई-नाम से जोड़ा गया है, ई-नाम के माध्यम से दो लाख करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन किया गया है। देश में कृषिक्षेत्र में स्टार्टअप्स की बढ़ती संख्या पर प्रधानमंत्री ने कहाकि यह इस क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था केलिए एक शुभ संकेत है। उन्होंने कहाकि स्टार्टअप्स और इनोवेटिव युवा ही भारतीय कृषि और भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भविष्य हैं, लागत से लेकर परिवहन तक हमारे स्टार्टअप्स के पास हर समस्या का समाधान है। आत्मनिर्भर भारत पर अपने लगातार आग्रह की वजहें बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि खाद्य तेल, उर्वरक और कच्चे तेल जैसे प्रमुख उत्पाद भारी वित्तीय व्यय और वैश्विक स्थितियों केलिए जिम्मेदार हैं, जिनसे आपूर्ति भी प्रभावित होती है।
प्रधानमंत्री ने डीएपी और अन्य उर्वरकों का उदाहरण दिया, जिनकी कीमतों में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई और भारत को 75-80 रुपये प्रति किलो की दर से यूरिया खरीदना पड़ा, हालांकि इसकी आपूर्ति किसानों को 5-6 रुपये प्रति किलो की दर से की गई। नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार इस सालभी किसानों को किफायती खाद सुनिश्चित करने केलिए 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। उन्होंने कच्चे तेल और गैस के संबंध में विदेशी निर्भरता को कम करने केलिए जैव-ईंधन और इथेनॉल जैसे उपायों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने भारत के किसानों से मिशन ऑयल पाम का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह किया, जो खाद्य तेल क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशामें एक कदम है। उन्होंने कहाकि तिलहन का उत्पादन बढ़ाकर भारत खाद्य तेलों की खपत को कम कर सकता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमारे किसान इस क्षेत्र में बहुत सक्षम हैं। दलहन उत्पादन के संबंध में 2015 में अपने आह्वान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने दलहन उत्पादन में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी पर प्रसन्नता व्यक्त की और किसानों को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजादी के अमृतकाल में हम कृषि को बेहद आकर्षक और समृद्ध बना रहें। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे एवं कैलाश चौधरी और केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री भगवंत खुबा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।