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Monday 24 October 2022 03:59:43 PM
लेह। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सैनिकों के साथ दीपावली पर्व मनाने केलिए कारगिल पहुंचे हैं। दीपावली पर अपने बीच प्रधानमंत्री को पाकर सैनिक भी जोश से भावविभोर हो उठे। सैनिकों के बीच खड़े प्रधानमंत्री ने उनसे कहाकि पराक्रम और शौर्य से सिंचित कारगिल की मिट्टी को नमन करने का मन उन्हें बार-बार अपने वीर बेटे-बेटियों केबीच खींच लाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मेरे लिए तो वर्षों-वर्षसे मेरा परिवार आप सबही हैं, मेरी दीपावली की मिठास आपके बीच बढ़ जाती है, मेरी दीपावली का प्रकाश आपके बीच है जो अगली दिवाली तक मेरा पथप्रशस्त करता रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि मेरा सौभाग्य हैकि मुझे बरसों से दिवाली आपके बीच बॉर्डर पर आकर मनाने का अवसर मिल रहा है, एकओर देशकी संप्रभु सीमा और दूसरी ओर उसके समर्पित सिपाही हैं, एकओर मातृभूमि की ममतामयी मिट्टी और दूसरी ओर उसे चंदन बनाकर माथे पर लगानेवाले मेरे वीर जवान साथी, जांबाज नौजवान, इससे बेहतर दिवाली मुझे और कहां नसीब हो सकती है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि शौर्य की अप्रतिम गाथाओं केसाथ ही हमारी परंपरा, मधुरता और मिठास कीभी है, इसलिए भारत अपने त्योहारों को प्रेम केसाथ मनाता है, पूरी दुनिया को उसमें शामिल करके मनाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज कारगिल की विजयभूमि सेसभी जवानों केबीच से मैं देशवासियों और पूरे विश्व को दीपावली की हार्दिक बधाई देता हूं। इस अवसर पर उन्होंने कहाकि पाकिस्तान केसाथ एकभी लड़ाई ऐसी नहीं हुई है, जहां कारगिल ने विजयध्वज न फहराया हो, आजके वैश्विक परिदृश्य में प्रकाश का ये पर्व पूरे विश्व केलिए शांति का पथप्रदर्शन करे भारत की ये कामना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि दिवाली का अर्थ है-आतंक के अंत केसाथ उत्सव! यही कारगिल नेभी किया, कारगिल में हमारी सेना ने आतंक के फन को कुचला था और देशमें कारगिल जीतकी ऐसी दिवाली मनी थीकि उसे लोग आजभी याद करते हैं। उन्होंने कहाकि मेरा ये सौभाग्य रहा हैकि मैं कारगिल विजय काभी साक्षी बना था और मैंने उस युद्ध को करीब से देखा था, क्योंकि जब हमारे जवान कारगिल युद्ध में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे रहे थे, तब मुझे उनके बीच आने का सौभाग्य मिला था, मेरा कर्तव्यपथ, मुझे रणभूमि तक ले आया था, देशने अपने सैनिकों की सेवा केलिए जो राहत सामग्री भेजी थी, हम उसे लेकर यहां पहुंचे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि कारगिल युद्ध की कितनी ही यादें हैं, जो मैं कभी भूल नहीं सकता। उन्होंने कहाकि ऐसा लगता थाकि चारों दिशाओं में विजय का जयघोष हो रहाहै, हर मन का आह्वान था-मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित, चाहता हूं देशकी धरती तुझे कुछ और भी दूं! उन्होंने कहाकि हम जिस राष्ट्र की आराधना करते हैं, हमारा वो भारत केवल एक भौगोलिक भूखंड मात्र नहीं है, हमारा भारत एक जीवंत विभूति है, एक चिरंतर चेतना है, एक अमर अस्तित्व है। उन्होंने कहाकि जब हम भारत कहते हैं तो सामने शाश्वत संस्कृति का चित्र उभर जाता है, वीरता की विरासत उठ खड़ी होती है, पराक्रम की परिपाटी प्रखर हो उठती है, ये एक ऐसी अजस्र धारा है, जो एक ओर गगनचुंबी हिमालय से प्रस्फुटित होती है तो दूसरी ओर हिंद महासागर में समाहित होती है, अतीत में असीम लपटें उठीं, विश्वकी कितनी ही लहलहाती सभ्यताएं रेगिस्तान सी वीरान हो गईं, लेकिन भारत के अस्तित्व की ये सांस्कृतिक धारा आजभी अविरल है, अमर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि कारगिल का कुरुक्षेत्र भारतीय सेना के इस पराक्रम का बुलंद गवाह बन चुका है, ये द्रास, ये बटालिक और ये टाइगर हिल, ये गवाह हैंकि पहाड़ों की ऊंचाइयों पर बैठा दुश्मन भी भारतीय सेना के गगनचुंबी साहस और शौर्य के आगे कैसे बौना बन जाता है। उन्होंने कहाकि जिस देशके सैनिकों का शौर्य इतना अनंत हो, उस राष्ट्र का अस्तित्व अमर और अटल ही होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सीमा के हमारे प्रहरी देशकी रक्षाके मज़बूत स्तंभ हैं। उन्होंने कहाकि देश सुरक्षित तभी होता है, जब बॉर्डर सुरक्षित हों, अर्थव्यवस्था सशक्त हो और समाज आत्मविश्वास से भरा हो। उन्होंने सैनिकों से कहाकि आपभी बॉर्डर पर देशकी ताकत की खबरें सुनते हैंतो आपका हौसला दोगुना हो जाता होगा, जब देशके लोग स्वच्छता के मिशन से जुड़ते हैं, गरीब से गरीब कोभी अपना पक्का घर, पीनेका पानी, बिजली-गैस जैसी सुविधाएं रिकॉर्ड समय पर मिलती हैं, तब हर जवान कोभी गर्व होता है, दूर कहीं उसके घर, उसके गांव, उसके शहर में सुविधाएं पहुंचती हैं तो सीमापर उसका सीना भी तन जाता है, उसे अच्छा लगता है, जब वो देखता हैकि कनेक्टिविटी अच्छी हो रही है, तो उसका घर पर बात करना भी आसान होता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब एक तरफ आप जैसे युवा सीमा को संभालते हैं और दूसरी तरफ आपके ही युवा साथी 80 हज़ार से अधिक स्टार्टअप बना देते हैं, नए-नए इनोवेशन करते हैं तो आपकी खुशी भी बढ़ जाती है, दो दिन पहले ही इसरो ने ब्रॉडबैंड इंटरनेट का विस्तार करने वाले 36 सैटेलाइट, एकसाथ लॉंचकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है, अंतरिक्ष में भारत जब अपना सिक्का जमाता हैतो कौन मेरा वीर जवान होगा, जिसकी छाती चौड़ी न होती हो। उन्होंने कहाकि कुछ महीने पहले जब युक्रेन में लड़ाई छिड़ी तो हमारा प्यारा तिरंगा कैसे वहां फंसे भारतीयों का सुरक्षा कवच बना, ये हम सभीने देखा है, दुनिया में आज जिस प्रकार भारत का मान बढ़ा है, सम्मान बढ़ा है, विश्वपटल पर बढ़ती भारत की भूमिका आज सबके सामने है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज ये सबकुछ इसलिए हो पा रहा है, क्योंकि भारत अपने बाहरी और भीतरी दोनों दुश्मनों के विरुद्ध सफलता केसाथ मोर्चा ले रहा है, आप सीमा पर कवच बनकर खड़े हैं तो देशके भीतरभी देशके दुश्मनों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो रही है। उन्होंने कहाकि आतंकवाद, नक्सलवाद, अतिवाद, जोभी जड़ें बीते दशकों में पनपी थी, उसको उखाड़ने का सफल प्रयास देश निरंतर कर रहा है। उन्होंने कहाकि कभी नक्सलवाद ने देशके एक बहुत बड़े हिस्सों को चपेट में ले लिया था, लेकिन आज वो दायरा लगातार सिमट रहा है, आज देश भ्रष्टाचार के खिलाफ भी निर्णायक युद्ध लड़ रहा है, भ्रष्टाचारी चाहे कितना भी ताकतवर क्यों ना हो, अब वो बच नहीं सकता और बचेगा भी नहीं, कुशासन ने लंबे समय तक देशके सामर्थ्य को सीमित रखा, हमारे विकास के रास्ते में रोड़े अटकाए। प्रधानमंत्री ने कहाकि सबका, साथ सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र केसाथ हम उन सभी पुरानी कमियों को तेज़ी से दूर कर रहे हैं, राष्ट्रहित में आज बड़े से बड़े निर्णय तेजीसे किए जाते हैं, तेजीसे लागू किए जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि विश्व की नज़र भारत पर है, भारत के बढ़ते सामर्थ्य पर है, आज़ादी का ये अमृतकाल भारत की इसी ताकत, इसी सामर्थ्य का साक्षात साक्षी बनने वाला है, इसमें वीर सैनिकों की भूमिका बहुत बड़ी भूमिका है, क्योंकि वे भारत की शान हैं, इन्हें देखकर हर भारतीय गर्व से भर जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भविष्य के युद्धों का स्वरूप बदल रहा है, नए दौर में नई चुनौतियों, नए तौर-तरीकों और राष्ट्ररक्षा के बदलती ज़रूरतों के हिसाब सेभी हम देशकी सैन्य ताकत को तैयार कर रहे हैं। सेना में बड़े रिफॉर्म्स, बड़े सुधार की जो ज़रूरत दशकों से महसूस की जा रही थी, वो आज ज़मीन पर उतर रही है। उन्होंने कहाकि हमारी सेना में बेहतर तालमेल हो, हम हर चुनौती के विरुद्ध तेज़ीसे त्वरित कार्रवाई कर सकें, इसके लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं, इसके लिए सीडीएस जैसे संस्थान का निर्माण किया गया है। सीमा पर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, ताकि आप जैसे हमारे साथियों को अपना कर्तव्य निभाने में अधिक सुविधा हो। देशमें अनेक सैनिक स्कूल खोले जा रहे हैं, इनमें सैन्य ट्रेनिंग संस्थानों को बेटियों केलिए खोल दिया गया है, भारत की सेना में बेटियों के आनेसे हमारी ताकत में वृद्धि होगी, सामर्थ्य बढ़ेगा। उन्होंने कहाकि देशकी सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है-आत्मनिर्भर भारत भारतीय सेनाओं केपास आधुनिक स्वदेशी हथियार, विदेशी हथियारों, सिस्टम पर हमारी निर्भरता कम से कम हो, इसके लिए तीनों सेनाओं ने आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया है। उन्होंने प्रशंसा की तीनों सेनाओं की, जिन्होंने ये तय किया हैकि 400 से भी अधिक रक्षा साजो सामान अब विदेशों से नहीं खरीदे जाएंगे। अब ये 400 हथियार भारत में ही बनेंगे, 400 प्रकार के भारत का सामर्थ्य बढ़ाएंगे। इसका एक और सबसे बड़ा लाभ होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब भारत का सैनिक अपने देशमें बने हथियारों से लड़ेगा तो उसका विश्वास चरम पर होगा, उसके हमले में दुश्मन केलिए आश्चर्य तत्व होगा और दुश्मन का मनोबल कुचलने का साहस भी और खुशी हैकि एक तरफ अगर हमारी सेनाएं ज्यादा से ज्यादा मेड इन इंडिया हथियार अपना रही हैं तो वहीं सामान्य भारतीय भी लोकल केलिए वोकल हो रहा है और लोकल को ग्लोबल बनाने केलिए सपने देखकर के समय लगा रहा है। उन्होंने कहाकि ब्रह्मोस सुपर सोनिक मिसाइल्स से लेकर प्रचंड लाइट कॉम्बैट हेलीकाप्टर्स और तेजस फाइटर जेट्स तक ये रक्षा साजो सामान भारत की शक्ति का पर्याय बन रहे हैं, भारत केपास विशाल समंदर में विप्लवी विक्रांत है, युद्ध गहराइयों में हुआ तो अरि का अंत अरिहंत है, भारत के पास पृथ्वी है, आकाश है। अगर विनाश का तांडव है तो शिव का त्रिशूल है, पिनाका है। प्रधानमंत्री ने कहाकि कितना भी बड़ा कुरुक्षेत्र होगा, लक्ष्य भारत का अर्जुन भेदेगा, आज भारत अपनी सेना की ज़रूरत तो पूरी कर ही रहा है, बल्कि रक्षा उपकरणों का एक बड़ा निर्यातक भी बन रहा है, भारत अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम को सशक्त रहा है, वहीं दूसरी तरफ ड्रोन जैसी आधुनिक और प्रभावी तकनीक पर भी तेज़ी से काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम उस परंपरा को मानने वाले हैं, जहां युद्ध को कभी पहला विकल्प नहीं, अंतिम विकल्प माना जाता है, युद्ध लंका में हुआ हो या फिर कुरुक्षेत्र में अंततक उसको टालने की हर संभव कोशिश हुई है, इसलिए हम विश्वशांति के पक्षधर हैं, हम युद्ध के विरोधी हैं, लेकिन शांति भी बिना सामर्थ्य के संभव नहीं होती। उन्होंने कहाकि हमारी सेनाओं के पास सामर्थ्य भी है, रणनीति भी है, अगर कोई हमारी तरफ नज़र उठाकर देखेगा तो हमारी तीनों सेनाएं दुश्मन को उसीकी भाषा में मुंहतोड़ जवाब देना भी जानती हैं। उन्होंने कहाकि लंबे समय तक देशकी राजधानी में राजपथ गुलामी का प्रतीक था, आज वो कर्तव्यपथ बनकर नए भारत के नए विश्वास को बढ़ावा दे रहा है, इंडिया गेट के पास जहां कभी गुलामी का प्रतीक था, वहां आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भव्य विशाल प्रतिमा हमारे मार्ग दिखा रही है, हमारा मार्गदर्शन कर रही है। उन्होंने कहाकि नेशनल वॉर मेमोरियल, राष्ट्रीय पुलिस स्मारक राष्ट्ररक्षा केलिए कुछभी कर गुजरने की प्रेरणा देने वाले ये तीर्थ भी नए भारत की पहचान हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि कुछ समय पहले ही देश ने गुलामी के प्रतीक से भारतीय नौसेना को भी मुक्त किया है, नौसेना के ध्वज से अब वीर शिवाजी की नौसेना के शौर्य की प्रेरणा जुड़ गई है।