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Monday 7 November 2022 03:01:05 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया हैकि 8 नवंबर 2022 (17 कार्तिक, शक संवत 1944) को पूर्ण चंद्रग्रहण घटित होगा। चंद्रोदय के समय ग्रहण भारत के सभी स्थानों से दिखाई देगा, हांलाकि ग्रहण की आंशिक एवं पूर्णावस्था का आरंभ भारत के किसीभी स्थान से दिखाई नहीं देगा, क्योंकि यह घटना भारत में चंद्रोदय के पहलेही प्रारम्भ हो चुकी होगी। ग्रहण की पूर्णावस्था एवं आंशिक अवस्था दोनों हीका अंत देशके पूर्वी हिस्सों से दिखाई देगा। देश के बाकी हिस्सों से आंशिक अवस्था का केवल अंत ही दिखाई देगा। ग्रहण दक्षिण अमरीका, उत्तर अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर तथा प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा।
पूर्ण चंद्रग्रहण भारतीय मौसम समय के अनुसार 14.39 मिनट पर प्रारंभ होगा, जिसकी पूर्णावस्था 15.46 मिनट पर प्रारंभ होगी। ग्रहण की पूर्णावस्था का अंत 17.12 मिनट पर होगा तथा आंशिक अवस्था का अंत 18.19 मिनट पर होगा। देशके पूर्वी भाग के शहरों यथा कोलकाता एवं गुवाहाटी में चंद्रोदय के समय ग्रहण की पूर्णावस्था चल रही होगी। कोलकाता में चंद्रोदय के समय से लेकर पूर्णावस्था के अंततक की अवधि 20 मिनट की होगी तथा चंद्रोदय के समय से लेकर ग्रहण की आंशिक अवस्था के अंततक की अवधि 1 घंटा 27 मिनट की होगी। गुवाहाटी में चंद्रोदय के समय से लेकर पूर्णावस्था के अंततक की अवधि 38 मिनट की होगी, जबकि वहां चंद्रोदय के समय से लेकर ग्रहण की आंशिक अवस्था के अंततक की अवधि 1 घंटा 45 मिनट की होगी।
दिल्ली, मुंबई, चेन्नई एवं बैंगलुरू में पूर्णावस्था के अंतके उपरांत चंद्रोदय होगा एवं उस समय आंशिक ग्रहण चल रहा होगा तथा उपर्युक्त शहरों में चंद्रोदय के समय से लेकर ग्रहण की आंशिक अवस्था के अंत तक की अवधि क्रमश: 50 मिनट, 18 मिनट, 40 मिनट एवं 29 मिनट तक की होगी। भारत में दृश्य अगला चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर 2023 को घटित होगा, जोकि आंशिक चंद्रग्रहण होगा। भारत में दृश्य पिछला चंद्रग्रहण 19 नवंबर 2021 को घटित हुआ था, जोकि आंशिक चंद्रग्रहण था। चंद्रग्रहण पूर्णिमा को घटित होता है, जब पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा केबीच आ जाती है तथा ये तीनों एक सीधी रेखा में अवस्थित हो जाते हैं। पूर्ण चंद्रग्रहण तब घटित होता है, जब चंद्रमा पूर्णतया पृथ्वी की प्रच्छाया से आवृत हो जाता है तथा आंशिक चंद्रग्रहण तब घटित होता है, जब चंद्रमा का एक हिस्सा ही पृथ्वी की प्रच्छाया से ढक पाता है।