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Tuesday 22 November 2022 01:21:43 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा हैकि स्टील और स्टेनलेस स्टील पर निर्यात शुल्क हटाने से देशके इस्पात क्षेत्र केलिए एक नए युग की शुरुआत होगी और इसे वैश्विक बाजार में मजबूती से अपनी स्थिति स्थापित करने मेभी मदद मिलेगी। उन्होंने बतायाकि सरकार ने लौह अयस्क लंप और 58 प्रतिशत लौह सामग्री से कम लौह अयस्क पेलेट्स और पिग आयरन सहित निर्दिष्ट इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क वापस ले लिया है, एन्थ्रेसाइट/ पीसीआई कोयला, कोकिंग कोल, कोक और सेमी कोक और फेरोनिकेल पर आयात शुल्क रियायतें भी वापस ले ली हैं। भारतीय इस्पात संघ के तीसरे सम्मेलन को संबोधित करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि इस्पात क्षेत्र न केवल अपनी अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति को बहाल करेगा, बल्कि घरेलू बाजार में अपेक्षाकृत कम समय में नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा।
इस्पात मंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिवर्ष लगभग 17 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत बुनियादी ढांचे को बढ़ाने केलिए जनादेश दिया है, इस प्रकार इस्पात की मांग लगभग दो अंकों (लगभग 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष) तक बढ़ रही है। उन्होंने कहाकि इस्पात क्षेत्र न केवल कोविड-19 के चरम पर होने के दौरान एक कठिन समय से उभरा है, बल्कि यह और मजबूत, अधिक लचीला, वैश्विक, केंद्रित और प्रतिबद्ध क्षेत्र के रूपभी उभरा है, इस क्षेत्र ने आठ वर्ष में एक बड़ा परिवर्तन देखा है और यह विश्वस्तर पर चौथे सबसे बड़े उत्पादक से अब दूसरे सबसे बड़े उत्पादक और स्टील के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूपमें उभरा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि इस परिवर्तनकारी विकासपथ की कल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 में शताब्दीकाल में एक आत्मनिर्भर भारत के रूपमें की है, इस मिशन में बुनियादी ढांचे और विनिर्माण को बढ़ावा देना शामिल होगा, जिनमें से स्टील एक महत्वपूर्ण आधारभूत अंश है, इसके लिए उन्होंने मेड इन इंडिया स्टील ब्रांड स्थापित करने पर भी जोर दिया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुसार घरेलू स्टील के उपयोग की नीति से इस्पात आयात पर 22,400 करोड़ रुपए की बचत हुई है। उन्होंने उद्योग से सर्कुलर इकोनॉमी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया, जिसमें स्क्रैप से स्टील उत्पादन की दिशामें धीरे-धीरे आंदोलन शामिल होगा। घरेलू उत्पादन बढ़ाने केलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि विशिष्ट इस्पात केलिए पीएलआई योजना को 35 कंपनियों से 79 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 46,020 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, लगभग 26 मिलियन टन की क्षमता में वृद्धि हुई है और लगभग 70,000 लोगों के रोज़गार सृजन की क्षमता विकसित हुई है। उन्होंने कहाकि यह पीएलआई योजना आनेवाले महीनों में घरेलू इस्पात मांग को नई गति प्रदान करेगी। सम्मेलन में आईएसए के अध्यक्ष दिलीप ओमेन, सेल की अध्यक्ष सोमा मंडल, टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन और भारतीय इस्पात उद्योग के हितधारकों ने भी विचार व्यक्त किए।
भारतीय इस्पात उद्योग के हितधारकों ने स्टील और स्टेनलेस स्टील पर निर्यात शुल्क हटाने के सरकार के फैसले का स्वागत किया और इसे भारतीय इस्पात क्षेत्र केलिए एक बूस्टर बताया। इस अवसर पर इस्पात बिरादरी के विभिन्न सदस्यों को आईएसए स्टील पुरस्कार प्रदान किए गए, जिनमें धातु और खनन के उपाध्यक्ष जतिंदर मेहरा शामिल थे, जिन्हें इस क्षेत्र में उनके अनुकरणीय कार्य और योगदान केलिए लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कॉन्क्लेव के उद्घाटन सत्र में 'पाथवेज टू लो कार्बन एमिशन स्टील' पर एक नॉलेज पेपर भी जारी किया गया।