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'अरबिंदो एक भारत श्रेष्ठ भारत के प्रतिबिंब'

प्रधानमंत्री का श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती समारोह में संबोधन

अरबिंदो के सम्मान में स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 14 December 2022 12:20:00 PM

commemorative coin and postage stamp released in honor of sri aurobindo

पुडुचेरी/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव के तत्वावधान में पुडुचेरी के कंबन कलई संगम में वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने श्री अरबिंदो के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया। उन्होंने कहाकि राष्ट्र श्री अरबिंदो को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है और श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती के महत्व को रेखांकित किया, जिसे पूरे वर्ष बड़े उत्साह केसाथ मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि ऐसे प्रयासों से भारत के संकल्पों को नई ऊर्जा और शक्ति मिलेगी। उन्होंने कहाकि जब कई बड़े आयोजन एकसाथ होते हैं तो अक्सर उनके पीछे योग शक्ति यानी एक सामूहिक और एकजुट करने वाली शक्ति होती है। प्रधानमंत्री ने कई महान हस्तियों का स्मरण किया, जिन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया, बल्कि राष्ट्र की आत्मा को भी नया जीवन दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि श्री अरबिंदो, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के जीवन में एकही समय में कई महान घटनाएं हुईं, इन घटनाओं ने न केवल इन हस्तियों के जीवन को बदल दिया, बल्कि उनके द्वारा राष्ट्रीय जीवन मेभी दूरगामी परिवर्तन हुए। प्रधानमंत्री ने बतायाकि वर्ष 1893 में श्री अरबिंदो भारत लौट आए और उसीवर्ष स्वामी विवेकानंद विश्वधर्म संसद में अपना प्रतिष्ठित भाषण देने केलिए अमेरिका गए। उन्होंने कहाकि गांधीजी उसीवर्ष दक्षिण अफ्रीका गए, जहां से उनके महात्मा गांधी बनने की यात्रा की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री ने उल्लेख कियाकि वर्तमान समय में भारत ऐसेही अनकों संयोंगों का साक्षी बन रहा है, जब देश अमृतकाल की अपनी यात्रा शुरू कर रहा है, क्योंकि हम श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती और नेताजी सुभाष की 125वीं जयंती मना रहे हैं। उन्होंने कहाकि जब मोटिवेशन और एक्शन एकसाथ मिलजाते हैं तो असंभव प्रतीत होनेवाला लक्ष्य भी अवश्यम्भावी रूपसे पूर्ण होजाता है। उन्होंने कहाकि अमृतकाल में देश की सफलताएं और सबका प्रयास का संकल्प इसका प्रमाण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि श्री अरबिंदो का जीवन 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' का प्रतिबिंब है, क्योंकि उनका जन्म बंगाल में हुआ था और वे गुजराती, बंगाली, मराठी, हिंदी और संस्कृत सहित कई भाषाओं को जानते थे, उन्होंने अपना अधिकांश जीवन गुजरात एवं पुडुचेरी में व्यतीत किया और जहां भी गए उन्होंने अपनी गहरी छाप छोड़ी। प्रधानमंत्री ने श्री अरबिंदो की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहाकि जब हम अपनी परंपराओं और संस्कृति के बारेमें जागरुक होते हैं और उनके माध्यम से जीना शुरू करते हैं तो यह वह क्षण होता है, जब हमारी विविधता हमारे जीवन का एक स्वाभाविक उत्सव बन जाती है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह आजादी के अमृतकाल केलिए बहुत बड़ी प्रेरणा का स्रोत है, एक भारत श्रेष्ठ भारत को समझाने केलिए इससे बेहतर कोई और तरीका नहीं है। प्रधानमंत्री ने काशी तमिल संगमम का स्मरण किया और कहाकि यह अद्भुत पहल इस बात का उदाहरण हैकि भारत अपनी संस्कृति और परंपराओं के जरिए देश को एकसूत्र में कैसे बांधता है। उन्होंने कहाकि काशी तमिल संगमम ने दिखाया हैकि आज का युवा भाषा और पहनावे के आधार पर भेद करनेवाली राजनीति को पीछे छोड़कर एक भारत, श्रेष्ठ भारत की राजनीति को अपना रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि श्री अरबिंदो एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनके जीवन में आधुनिक वैज्ञानिक सोच, राजनीतिक विद्रोह और साथही परमात्मा की भावना भी थी। प्रधानमंत्री ने बंगाल विभाजन के दौरान उनके 'कोई समझौता नहीं' के नारे का स्मरण किया, उनकी वैचारिक स्पष्टता, सांस्कृतिक शक्ति और देशभक्ति ने उन्हें उस समय के स्वतंत्रता सेनानियों केलिए एक आदर्श व्यक्ति बना दिया था। नरेंद्र मोदी ने कहाकि श्री अरबिंदो के जीवन की दार्शनिक और आध्यात्मिक गहराई को देखेंगे तो वह आपको उतने ही गंभीर और मनस्वी ऋषि नज़र आएंगे, उन्होंने उपनिषदों में समाजसेवा का तत्व जोड़ा। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम बिना किसी हीनभावना के विकसित भारत की यात्रा में सभी विचारों को अपना रहे हैं, हम इंडिया फर्स्ट के मंत्र केसाथ काम कररहे हैं और पूरी दुनिया के सामने अपनी विरासत को गर्व केसाथ प्रस्तुत कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि श्री अरबिंदो का जीवन भारत की शक्ति का प्रतीक है, जो पंच प्रण मेसे एक 'गुलामी की मानसिकता से मुक्ति' है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारी पश्चिमी प्रभाव के बावजूद श्री अरबिंदो जब भारत लौटे तो जेल में अपने व्यतीत समय के दौरान वे गीता के संपर्क में आए और भारतीय संस्कृति की सबसे तेज आवाज़ के रूपमें उभरे। नरेंद्र मोदी ने कहाकि उन्होंने शास्त्रों का अध्ययन किया और रामायण, महाभारत एवं उपनिषद से लेकर कालिदास, भवभूति और भर्तृहरि तक के ग्रंथों का अनुवाद किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि अरबिंदो जिन्हें कभी युवावस्था में भारतीयता से दूर रखा गया था, लेकिन लोगों ने भारत को श्री अरबिंदो के विचारों में देखा, यह भारत और भारतीयता की असली ताकत है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत वह अमर बीज है, जो विपरीत परिस्थितियों में थोड़ा दबाया जा सकता है, थोड़ा मुरझा सकता है, लेकिन यह मर नहीं सकता। नरेंद्र मोदी ने समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास पर कहाकि भारत मानव सभ्यता का सबसे परिष्कृत विचार, मानवता का सबसे स्वाभाविक स्वर है, महर्षि अरबिंदो के समय मेभी भारत अमर था और यह आजादी के अमृतकाल में भी अमर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज की दुनिया के सामने आनेवाली गंभीर चुनौतियों पर ध्यान देते हुए इन चुनौतियों पर काबू पानेमें भारत की भूमिका के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि इसलिए हमें महर्षि अरबिंदो से प्रेरणा लेकर खुदको तैयार करना होगा और सबके प्रयास से एक विकसित भारत बनाना होगा। ज्ञातव्य हैकि श्री अरबिंदो का जन्म 15 अगस्त 1872 को हुआ था। वे एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय योगदान दिया। आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर आजादी का अमृत महोत्सव भारत के लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का उत्सव मनाने का एक प्रयास है, जिसके अंतर्गत देशभर में वर्षभर की गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन करके श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती मनाई जा रही है।

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