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Tuesday 3 January 2023 04:37:29 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंस के जरिए 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस को संबोधित किया, जिसका मुख्य विषय 'महिला सशक्तिकरण केसाथ सतत विकास केलिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी' है, जहां सतत विकास, महिला सशक्तिकरण और इसे प्राप्त करने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका के मुद्दों पर चर्चा की जा रही है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अगले 25 वर्ष में भारत के विकास की गाथा में भारत की वैज्ञानिक शक्ति की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहाकि जब विज्ञान में जुनून केसाथ राष्ट्रीय सेवा की भावना का संचार होता है तो परिणाम अभूतपूर्व होते हैं और मुझे यकीन हैकि भारत का वैज्ञानिक समुदाय हमारे देश केलिए एक ऐसी जगह सुनिश्चित करेगा, जिसका वह हमेशा से हकदार रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अवलोकन विज्ञान की जड़ है और यह इस प्रकार के अवलोकन से वैज्ञानिक एक पैटर्न का अनुसरण करते हुए आवश्यक परिणामों पर पहुंचते हैं। उन्होंने डेटा एकत्र करने और परिणामों का विश्लेषण करने के महत्व के बारेमें भी बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21वीं सदी के भारत में डेटा और प्रौद्योगिकी की प्रचुर उपलब्धता पर कहाकि 21वीं सदी के भारत में हमारे पास दो चीजें बहुतायत में हैं, पहली-डेटा और दूसरी टेक्नोलॉजी, इन दोनों में भारत की साइंस को नई बुलंदियों पर पहुंचाने की ताकत है। उन्होंने कहाकि डेटा विश्लेषण का क्षेत्र तेजीसे बढ़ रहा है, जो सूचना को अंतर्दृष्टि और विश्लेषण को क्रियाशील ज्ञान में बदलने में बहुत मदद करता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि चाहे वह पारंपरिक ज्ञान हो या आधुनिक तकनीक, प्रत्येक वैज्ञानिक खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने अनुसंधान आधारित विकास की विभिन्न तकनीकों को लागू करके वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण केसाथ भारत के प्रयास के परिणाम के बारेमें प्रधानमंत्री ने कहाकि साइंस के क्षेत्रमें भारत तेजी से वर्ल्ड के टॉप कंट्रीज में शामिल हो रहा है, 2015 तक हम 130 देशों की ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें नंबर पर आते थे, लेकिन 2022 में हम 40वें नंबर पर पहुंच गए हैं, भारत पीएचडी और स्टार्टअप इकोसिस्टम की संख्या के मामले में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल है।
विज्ञान कांग्रेस की इस वर्ष की थीम पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने दोनों क्षेत्रों केबीच पूरकता पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि हमारी सोच सिर्फ यह नहीं हैकि हमें विज्ञान के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना चाहिए, बल्कि महिलाओं के योगदान से विज्ञान कोभी सशक्त बनाना चाहिए। यह बताते हुएकि भारत को जी-20 की अध्यक्षता करने का अवसर प्राप्त हुआ है प्रधानमंत्री ने कहाकि महिलाओं के नेतृत्व में विकास उच्च प्राथमिकता वाले विषयों मेसे एक है। उन्होंने कहाकि बीते 8 वर्ष में भारत ने शासन से लेकर समाज और अर्थव्यवस्था तकके असाधारण कार्यों को हाथ में लिया है, जिसकी चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है। दुनिया को अपनी ताकत दिखाने वाली महिलाओं के बारे में चर्चा करते हुए चाहे वह छोटे उद्योगों और व्यवसायों में साझेदारी हो या स्टार्ट-अप दुनिया में नेतृत्व हो प्रधानमंत्री ने मुद्रा योजना का उदाहरण दिया, जो भारत की महिलाओं को सशक्त बनाने में सहायक रही है। उन्होंने बाहरी अनुसंधान और विकास के क्षेत्रमें महिलाओं की भागीदारी को दोगुना करने की ओरभी इशारा किया और कहाकि महिलाओं की बढ़ती भागीदारी इस बातका प्रमाण हैकि देश में महिलाएं और विज्ञान दोनों प्रगति कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्ञान को कार्रवाई योग्य और सहायक उत्पादों में बदलने की वैज्ञानिकों की चुनौती के बारेमें कहाकि साइंस के प्रयास बड़ी उपलब्धियों में तभी बदल सकते हैं, जब वे लैब से निकलकर लैंड तक पहुंचे, जब उसका प्रभाव ग्लोबल से लेकर ग्रास रूट तक हो, जब उसका विस्तार जर्नल्स से लेकर जमीन तक हो, जब उससे बदलाव रिसर्च से होते हुए रियल लाइफ में दिखने लगे। उन्होंने कहाकि जब विज्ञान की उपलब्धियां लोगों के अनुभवों से प्रयोगों केबीच की दूरी को पूरा करती हैं तो यह महत्वपूर्ण संदेश देती हैं और युवा पीढ़ी को प्रभावित करती हैं, जो विज्ञान की भूमिका के प्रति आश्वस्त हो जाती हैं। ऐसे युवाओं की मदद केलिए प्रधानमंत्री ने एक संस्थागत ढांचे की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने इस तरह के एक सक्षम संस्थागत ढांचे को विकसित करने पर काम करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने टैलेंट हंट और हैकथॉन का उदाहरण दिया, जिसके जरिए वैज्ञानिक सोच वाले बच्चों की खोज की जा सकती है। प्रधानमंत्री ने खेल के क्षेत्र में भारत की प्रगति के बारेमें बात की और उभरते मजबूत संस्थागत तंत्र और गुरु-शिष्य परंपरा को सफलता का श्रेय दिया। प्रधानमंत्री ने सुझाव दियाकि यह परंपरा विज्ञान के क्षेत्रमें सफलता का मंत्र हो सकती है।
राष्ट्र में विज्ञान के विकास का मार्ग प्रशस्त करने वाले मुद्दों की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत की आवश्यकता की पूर्ति केलिए भारत में साइंस का विकास हमारे वैज्ञानिक समुदाय की मूल प्रेरणा होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में साइंस भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 17-18 प्रतिशत मानव आबादी भारत में निवास करती है और इस तरह के वैज्ञानिक विकास से पूरी आबादी को लाभ होना चाहिए। उन्होंने उन विषयों पर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया, जो संपूर्ण मानवता केलिए महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री ने बतायाकि देश में ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने केलिए भारत एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन पर काम कर रहा है और इसे सफल बनाने केलिए भारत में इलेक्ट्रोलाइजर जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने उभरती हुई बीमारियों से निपटने के तरीके विकसित करने और नए टीकों के विकास में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को लेकर वैज्ञानिक समुदाय की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने बीमारियों का समय पर पता लगाने केलिए एकीकृत रोग निगरानी की बात कही। उन्होंने सभी मंत्रालयों के समंवित प्रयासों की जरूरत पर बल दिया, इसी तरह लाइफ यानी लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट मूवमेंट से वैज्ञानिकों को काफी मदद मिल सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि यह प्रत्येक नागरिक केलिए गर्व की बात हैकि भारत के आह्वान पर संयुक्तराष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया है। उन्होंने कहाकि भारत के मोटे अनाज और इसके उपयोग में सुधार केलिए काम किया जा सकता है, जबकि जैव प्रौद्योगिकी की मदद से वैज्ञानिक समुदाय फसल कटाई के बादके नुकसान को कम करने केलिए प्रभावी कदम उठा सकता है। प्रधानमंत्री ने अपशिष्ट प्रबंधन में विज्ञान की भूमिका पर जोर दिया, क्योंकि नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, इलेक्ट्रॉनिक कचरा, जैव चिकित्सा अपशिष्ट और कृषि अपशिष्ट का विस्तार हो रहा है और सरकार एक सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री ने भारत के तेजीसे बढ़ते अंतरिक्ष क्षेत्रमें कम लागत वाले उपग्रह प्रक्षेपण यानों की भूमिका पर कहाकि दुनिया हमारी सेवाएं लेने केलिए आगे आएगी। प्रधानमंत्री ने अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक संस्थानों केसाथ जुड़कर निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स केलिए अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने क्वांटम कंप्यूटिंग केबारे में बतायाकि कैसे भारत दुनिया में क्वांटम फ्रंटियर के रूपमें अपनी पहचान बना रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत क्वांटम कंप्यूटर, रसायन विज्ञान, संचार, सेंसर, क्रिप्टोग्राफी और नई सामग्री की दिशामें तेजीसे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्होंने युवा अनुसंधानकर्ताओं और वैज्ञानिकों से क्वांटम क्षेत्रमें विशेषज्ञता हासिल करने और अग्रणी बनने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भविष्य के विचारों और उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया, जहां कोईभी काम नहीं हो रहा है। उन्होंने एआई, एआर और वीआर को प्राथमिकता के तौरपर रखने को कहा। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय को सेमीकंडक्टर चिप्स में नवाचार करने केलिए प्रेरित किया और उन्हें सेमीकंडक्टर आधारित भविष्य को अभीसे तैयार रखने के बारेमें सोचने केलिए कहा। उन्होंने कहाकि अगर देश इन क्षेत्रों में पहल करता है तो हम उद्योग 4.0 का नेतृत्व करने की स्थिति में होंगे। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि भारतीय विज्ञान कांग्रेस के इस सत्र के दौरान विभिन्न रचनात्मक बिंदुओं पर भविष्य केलिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया जाएगा। नरेंद्र मोदी ने संबोधन के समापन में कहाकि अमृतकाल में हमें भारत को आधुनिक विज्ञान की सबसे उन्नत प्रयोगशाला बनाना है। गौरतलब हैकि इस दौरान सतत विकास, महिला सशक्तिकरण और इसे प्राप्त करने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। प्रतिभागी महिलाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित शिक्षा, अनुसंधान के अवसरों और आर्थिक भागीदारी तक समान पहुंच प्रदान करने के तरीके खोजने के प्रयासों केसाथ शिक्षण, अनुसंधान और उद्योग के शीर्ष क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा और विचार-विमर्श करेंगे।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं के योगदान को प्रदर्शित करने केलिए एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिकों के व्याख्यान भी होंगे। आईएससी केसाथ-साथ कई अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। बच्चों केबीच वैज्ञानिक रुचि और स्वभाव को प्रोत्साहित करने में मदद करने केलिए बाल विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया जाएगा। किसान विज्ञान कांग्रेस जैव अर्थव्यवस्था में सुधार और युवाओं को कृषि के प्रति आकर्षित करने केलिए एक मंच प्रदान करेगी। जनजातीय विज्ञान कांग्रेस भी आयोजित की जाएगी, जो आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान देने केसाथ-साथ स्वदेशी प्राचीन ज्ञान प्रणाली और परंपरा को वैज्ञानिक तरीके से दर्शाने केलिए एक मंच होगा। ज्ञातव्य हैकि विज्ञान कांग्रेस का पहला अधिवेशन 1914 में आयोजित किया गया था और आईएससी का 108वां वार्षिक सत्र राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया, जो इस वर्ष अपनी शताब्दी भी मना रहा है।