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Wednesday 4 January 2023 05:06:43 PM
माउंट आबू (राजस्थान)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत ब्रहमाकुमारीज के 'राइज-राइजिंग इंडिया थ्रू स्पिरीचुअल एमपॉवरमेंट' विषय पर राष्ट्रीय अभियान का माउंट आबू में समारोहपूर्वक शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य लोगों को जागरुक करना, उन्हें यह समझने में मदद करनाकि आध्यात्मिक सशक्तिकरण से कैसे वे अपने जीवन को शांतिपूर्ण, आनंदमय और सफल बना सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि धरती पर प्रत्येक मनुष्य मानसिक शांति चाहता है और उसके लिए प्रयास भी करता है, हम चाहे किसीभी देश धर्म जाति या संप्रदाय के हों, भोजन और पानी की तरह शांति भी हमारी मूल आवश्यकता है और यह प्रसन्नता की बात हैकि ब्रह्माकुमारी संस्थान शांति और आनंद केलिए मार्गप्रशस्त कर रहा है। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर सिकंदराबाद में ब्रहमाकुमारीज मौन साधना केंद्र का वर्चुअल रूपसे उद्घाटन किया तथा इंदौर में ब्रहमाकुमारीज सभागार और आध्यात्मिक कलादीर्घा भी का शिलान्यास किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि ब्रहमाकुमारीज संस्थान से उनका गहरा जुड़ाव रहा है और बना रहेगा, खुद उन्होंने इस संस्थान में राजयोग की पद्धति सीखी है, जो बाह्य भौतिक सुविधों और कार्यकलापों के अपेक्षाकृत आंतरिक आध्यात्मिक शक्ति को महत्व देता है। राष्ट्रपति ने कहाकि जब उन्हें अपने आसपास अंधकार महसूस हो रहा था और उन्होंने उम्मीद छोड़ दीथी, तब राजयोग ने उनके अंतर में प्रकाश और उत्साह का संचार किया। राष्ट्रपति ने कहाकि यह गौरव की बात हैकि लगभग 80 वर्ष से ब्रहमाकुमारीज संस्थान आध्यात्मिक प्रगति, व्यक्तित्व के आंतरिक परिवर्तन और विश्व समुदाय के कायाकल्प केलिए अमूल्य योगदान कररहा है, शांति अहिंसा और प्रेम के आधार पर सेवा भावना के जरिए इसने आमूल शिक्षा, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, आपदा प्रबंधन, दिव्यांगजनों और बेसहारा लोगों के कल्याण तथा पर्यावरण सुरक्षा जैसे अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान किया है। राष्ट्रपति ने इन उत्कृष्ट कार्यों केलिए ब्रहमाकुमारीज की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि यह अभियान भारतवासियों को आध्यात्मिक रूपसे सशक्त बनाकर तथा पूरी मानवजाति के कल्याण को समर्थन देकर भारत को अग्रणी राष्ट्र बनाने में योगदान करेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गौर कियाकि ब्रहमाकुमारीज संगठन 137 देशों में लगभग 5000 ध्यान केंद्र चला रहा है, इसमें महिलाएं मुख्य भूमिका निभाती हैं और आध्यात्मिक भ्रातागण उनकी सहायता करते हैं। उन्होंने कहाकि महिलाओं से संचालित यह सबसे बड़ा आध्यात्मिक संगठन है, जिससे यह साबित होता हैकि अगर महिलाओं को मौका मिले तो वे पुरुषों के समकक्ष कार्य कर सकती हैं या शायद उनसे बेहतर काम कर सकती हैं। राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त कीकि ब्रहमाकुमारीज संगठन महिला सशक्तिकरण में सक्रिय भूमिका निभाता आ रहा है। उन्होंने कहाकि परमपूज्य ब्रह्मा बाबा ने जिस सोच केसाथ महिलाओं को अग्रणी भूमिका दी, उसी सोच की और अधिक आवश्यकता आज के विश्वसमुदाय को है, अनेक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करनेवाली महिलाओं की कार्यशैली और उनके जीवन मूल्यों को देखकर बहुत से लोगों ने यह विचार व्यक्त किया हैकि यदि विश्व समुदाय का नेतृत्व महिलाओं द्वारा किया जाए तो ऐसा विश्व शायद अधिक सक्षम, सुरक्षित, शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण और प्रेमपूर्ण होगा। राष्ट्रपति ने कहाकि आध्यात्मिकता दिशा दिखाने वाला प्रकाश है, जो पूरी मानवजाति का मार्गप्रशस्त कर सकता है, हमारे देश को विश्वशांति केलिए विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों का उपयोग करना होगा।
राष्ट्रपति ने कहाकि अमृतकाल में 2047 के स्वर्णिम भारत की ओर आगे बढ़ते हुए हमारे देशको विश्व शांति केलिए विज्ञान और अध्यात्म दोनों का उपयोग करना है, हमारा लक्ष्य है-भारत को ज्ञान महाशक्ति बनाना, इस ज्ञान को सतत विकास, सामाजिक समरसता तथा महिलाओं और अभावग्रस्त वर्गों के उन्नयन, युवाओं के ऊर्जा के उचित प्रयोग तथा विश्व में सतत शांति की स्थापना केलिए उपयोग किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि आज हमें जलवायु परिवर्तन के कारण बाहरी खतरे का सामना है, पर्यावरण का संरक्षण भी एक प्रकार का आध्यात्मिक सशक्तिकरण है, क्योंकि स्वच्छ एवं स्वस्थ्य पर्यावरण से हमें शांति मिलती है, पर्यावरण और आध्यात्मिकता का यह अंतर्सम्बंध हमारे लिये कोई नई चीज नहीं है। उन्होंने कहाकि हम सदियों से पेड़ों, पर्वतों और नदियों की पूजा करते आए हैं, अपने जीवन में शांति लाने केलिए हमें पर्यावरण को बचाना होगा। राष्ट्रपति ने कहाकि अनिश्चितता के इस युग में भारत एक तरफ अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ वह विश्व में शांति दूत की भूमिका भी निभा रहा है। उन्होंने कहाकि भारत इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता कर रहा है, हमारा देश अपनी संस्कृति और परंपरा केसाथ आध्यात्मिकता एवं नैतिकता के आधार पर विश्वव्यवस्था का निर्माण करने में सक्रिय है।